पटना: बौद्ध वास्तुकला में रुचि रखने के कारण हर साल बड़ी संख्या में थाई भारत आते हैं. दोनों के बीच की परंपराएं एक दूसरे को बांधती है, जिसके कारण भारत और थाईलैंड एक-दूसरे से सांस्कृतिक तौर पर जुड़े हुए हैं. इस बात को बिहार के लोगों तक पहुंचाने के लिए पटना स्थित बिहार म्सूजियम में 20 अक्टूबर से प्रदर्शनी लग रही है. जहां बिहार के लोगों को थाईलैंड और भारत के बीच की संस्कृतिक संबंध को तस्वीरों के जरिए दिखाया जाएगा. इस प्रदर्शनी को देखने के लिए देश-विदेश से कलाकार जुट रहे हैं. जहां सभी छापा कला की आधुनिक तकनीक की जानकारी प्राप्त करेंगे.
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305 कलाकृतियों की प्रदर्शनी: इस संबंध में बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार ने बताया कि छापा एक पारंपरिक कला है, जिसका प्रयोग भारत में आदिकाल से हो रहा है. ऐसे में बिहार के लोगों को इस कला का अनुभव कराने के लिए 20 अक्टूबर से बिहार म्यूजियम में प्रदर्शनी लगने वाली है. जहां 49 देश के कलाकारों द्वारा 305 कलाकृतियों की प्रदर्शनी की जाएगी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय प्रिंट मेकिंग प्रथाओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान किया जाएगा. यहां दर्शक प्रिंट मेकिंग के विविध प्रकारों का आनंद उठा सकेंगे. जिसमें क्यूरेटर ,वॉकथ्रू ,पैनल चर्चा ,प्रिंट मेकिंग पर डॉक्यूमेंट्री और एक विशेष डी आई वाई स्टैंप बनाने की योजना शामिल रहेगी.
पद्मश्री श्याम शर्मा जी की कलाकारी देखने को मिलेगी: वहीं, उन्होंने बताया कि 2013 में कलाकार राजेश पूलरवार द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रिंट एक्सचेंज प्रोग्राम इंडिया की शुरुआत की गई थी. ऐसे में 20 अक्टूबर को प्रिंट वास्तु विनिमय की दसवीं वर्षगांठ है. इस अवसर पर प्रदर्शनी लगाई जा रही है. प्रदर्शनी में ऐतिहासिक छाप कला से जुड़ा एक शांति स्तूप बनाया जाएगा. इसके अलावा बुरहानपुर किला, राजा रवि वर्मा का पोलियोग्राफ और भारत के प्रसिद्ध थॉमस डेनियल के कुछ प्रिंट प्रदर्शनी देखने को मिलेगी. साथ ही पद्मश्री श्याम शर्मा जी के कुछ महत्वपूर्ण छाप चित्रें भी देखने को मिलेगी.
"बिहार म्यूजियम में 20 अक्टूबर से प्रिंट मेकिंग की प्रदर्शनी लगेगी. इस प्रदर्शनी में 49 देश के कलाकार शामिल होंगे. यहां भारत और थाईलैंड के बीच की संस्कृतिक संबंध को तस्वीरों के जरिए दिखाया जाएगा. साथ ही छापा काला से जुड़ी प्रस्तूति भी दी जाएगी" - अंजनी कुमार, बिहार म्यूजियम महानिदेशक