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चिराग पासवान के तल्ख तेवर, प्रेशर पॉलिटिक्स या फिर कुछ और! - बिहार विधानसभा चुनाव 2020

चिराग पासवान के बयानों के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं. नजदीक आते विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी और जेडीयू पर एलजेपी का हमलावर हो जाना यूं ही नहीं है.

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Published : Feb 29, 2020, 3:35 PM IST

पटना: एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अभी से ही चुनावी रंग दिखाने में जुट गए हैं. वैसे तो उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा है. बावजूद इसके उनके तेवर अपने सहयोगियों के लिए काफी तल्ख दिखाई पड़ रहे हैं. पहले तो उन्होंने गिरिराज सिंह को संभलकर बोलने की नसीहत दी. अब कह रहे हैं दिल्ली हिंसा के लिए कहीं ना कहीं बीजेपी नेताओं की बयानबाजी जिम्मेदार है.

सिर्फ बीजेपी ही नहीं जेडीयू पर भी चिराग पासवान काफी आक्रामक हो गए हैं. राज्य सरकार के कामों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. कह रहे हैं विकास की बात हो रही है तो बिहार विकसित राज्य क्यों नहीं हुआ.

पिता हैं 'मौसम वैज्ञानिक'
सवाल उठता है कि आखिर चिराग पासवान अचानक इतना तेवर क्यों दिखा रहे हैं? क्या ये सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा है या फिर इसके पीछे उनके पिता रामविलास पासवान का दिमाग? वैसे भी रामविलास पासवान को राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता है. कहीं वह हवा की रुख को भांप तो नहीं लिए हैं?

पेश है खास रिपोर्ट

क्या है पीछे की कहानी ?
अब इसके पीछे की कहानी को जरा समझने की कोशिश करते हैं. आखिर जिस पीएम और सीएम के कसीदे पढ़ने में चिराग पासवान लगे रहते थे. अचानक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? बीजेपी और जेडीयू पर हमलावर क्यों हो गए हैं?
दरअसल, बीजेपी को लगातार जिस प्रकार से राज्यों के चुनाव में मुंहकी खानी पड़ी है, उनके सहयोगी सोचने लगे हैं कि ज्यादा से ज्यादा बारगेन किया जाए. चुंकि चिराग को पता है कि अकेले भाजपा की सीटों को कम करने से उनको फायदा नहीं मिलेगा. लिहाजा वह जेडीयू को भी टार्गेट करने लगे हैं.

अधिक सीट के लिए प्रेशर पॉलिट्कि्स!
वैसे भी चुनाव से पहले हर पार्टी के लिए कई द्वार खुले रहते हैं. ऐसे में लोग सोचने लगे हैं, कहीं एलजेपी किसी दूसरी तरफ तो रुख नहीं कर रही है. हालांकि अभी की जो राजनीतिक हकीकत है उसके अनुसार एलजेपी केन्द्र में किसी भी प्रकार बने रहना चाहेगी. बीजेपी का साथ छोड़ना उसके लिए कतई सही नहीं होगा. मतलब ये पूरा मामला प्रेशर पॉलिट्कि्स के जरिए विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटों को हासिल करने का ही लग रहा है.

पटना: एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अभी से ही चुनावी रंग दिखाने में जुट गए हैं. वैसे तो उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा है. बावजूद इसके उनके तेवर अपने सहयोगियों के लिए काफी तल्ख दिखाई पड़ रहे हैं. पहले तो उन्होंने गिरिराज सिंह को संभलकर बोलने की नसीहत दी. अब कह रहे हैं दिल्ली हिंसा के लिए कहीं ना कहीं बीजेपी नेताओं की बयानबाजी जिम्मेदार है.

सिर्फ बीजेपी ही नहीं जेडीयू पर भी चिराग पासवान काफी आक्रामक हो गए हैं. राज्य सरकार के कामों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. कह रहे हैं विकास की बात हो रही है तो बिहार विकसित राज्य क्यों नहीं हुआ.

पिता हैं 'मौसम वैज्ञानिक'
सवाल उठता है कि आखिर चिराग पासवान अचानक इतना तेवर क्यों दिखा रहे हैं? क्या ये सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा है या फिर इसके पीछे उनके पिता रामविलास पासवान का दिमाग? वैसे भी रामविलास पासवान को राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता है. कहीं वह हवा की रुख को भांप तो नहीं लिए हैं?

पेश है खास रिपोर्ट

क्या है पीछे की कहानी ?
अब इसके पीछे की कहानी को जरा समझने की कोशिश करते हैं. आखिर जिस पीएम और सीएम के कसीदे पढ़ने में चिराग पासवान लगे रहते थे. अचानक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? बीजेपी और जेडीयू पर हमलावर क्यों हो गए हैं?
दरअसल, बीजेपी को लगातार जिस प्रकार से राज्यों के चुनाव में मुंहकी खानी पड़ी है, उनके सहयोगी सोचने लगे हैं कि ज्यादा से ज्यादा बारगेन किया जाए. चुंकि चिराग को पता है कि अकेले भाजपा की सीटों को कम करने से उनको फायदा नहीं मिलेगा. लिहाजा वह जेडीयू को भी टार्गेट करने लगे हैं.

अधिक सीट के लिए प्रेशर पॉलिट्कि्स!
वैसे भी चुनाव से पहले हर पार्टी के लिए कई द्वार खुले रहते हैं. ऐसे में लोग सोचने लगे हैं, कहीं एलजेपी किसी दूसरी तरफ तो रुख नहीं कर रही है. हालांकि अभी की जो राजनीतिक हकीकत है उसके अनुसार एलजेपी केन्द्र में किसी भी प्रकार बने रहना चाहेगी. बीजेपी का साथ छोड़ना उसके लिए कतई सही नहीं होगा. मतलब ये पूरा मामला प्रेशर पॉलिट्कि्स के जरिए विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटों को हासिल करने का ही लग रहा है.

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