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स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में फिर फिसड्डी साबित न हो जाए पटना!

स्वच्छता में कमी न आए इसके लिए पटना नगर निगम ने शहर के विभिन्न इलाकों में 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए हैं. इन शौचालयों को बनाने में लगभग करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन गंदगी की वजह से लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं.

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Published : Nov 30, 2020, 1:57 PM IST

पटनाः स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पटना की रैंकिंग में सुधार के लिए नगर निगम कई योजना चला रहा है. साथ ही नाटक, गाना आदि का मंचन करके लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद शहर में गंदगी कम नहीं हो रही है. लोगों की माने तो इसका सबसे बड़ा कारण पब्लिक शौचालय है.

साफ-सफाई का अभाव
पटना स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में हर साल फिसड्डी साबित हो जाता है. नगर निगम ने गंदगी न फैले इसके लिए लिए पब्लिक शौचालय भी बनवाया है, लेकिन साफ-सफाई के अभाव में ये बहुत गंदे हो गए हैं. इससे लोग इसका इस्तेमाल करने की जगह सड़क किनारे शौच करते हैं.

देखें रिपोर्ट

"सड़क किनारे कहीं पब्लिक टॉयलेट नहीं दिखता है इसलिए मजबूरन हम सड़क किनारे ही शौच करने को मजबूर होते हैं."- स्थानीय

महिलाओं को ज्यादा परेशानी
पब्लिक शौचालय के सवाल पर एक बार फिर से पटना फिसड्डी साबित होने वाला है. इसके सुधार को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है. पटना जंक्शन, बस अड्डा हो या प्रमुख बाजार कहीं भी पब्लिक शौचालय नहीं दिखते हैं. बेली रोड, बोरिंग रोड, बुद्ध मार्ग जैसे प्रमुख सड़कों पर जो शौचालय बने हैं उनमें ताला लटका रहता है. ऐसे में महिलाओं को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है.

बनाए गए 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट
स्वच्छता में कमी न आए इसके लिए पटना नगर निगम ने शहर के विभिन्न इलाकों में 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए हैं. इन शौचालयों को बनाने में लगभग करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन गंदगी की वजह से लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं.

स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग
बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह में भारत सरकार से चयनित कमेटी पटना आएगी. स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में शौचालय पर 100 अंक रखा गया है. ऐसे में नगर निगम के इसकी साफ सफाई पर ध्यान न देने से इस बार भी पटना रैंकिंग में फिसड्डी साबित न हो जाए.

पटनाः स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पटना की रैंकिंग में सुधार के लिए नगर निगम कई योजना चला रहा है. साथ ही नाटक, गाना आदि का मंचन करके लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद शहर में गंदगी कम नहीं हो रही है. लोगों की माने तो इसका सबसे बड़ा कारण पब्लिक शौचालय है.

साफ-सफाई का अभाव
पटना स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में हर साल फिसड्डी साबित हो जाता है. नगर निगम ने गंदगी न फैले इसके लिए लिए पब्लिक शौचालय भी बनवाया है, लेकिन साफ-सफाई के अभाव में ये बहुत गंदे हो गए हैं. इससे लोग इसका इस्तेमाल करने की जगह सड़क किनारे शौच करते हैं.

देखें रिपोर्ट

"सड़क किनारे कहीं पब्लिक टॉयलेट नहीं दिखता है इसलिए मजबूरन हम सड़क किनारे ही शौच करने को मजबूर होते हैं."- स्थानीय

महिलाओं को ज्यादा परेशानी
पब्लिक शौचालय के सवाल पर एक बार फिर से पटना फिसड्डी साबित होने वाला है. इसके सुधार को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है. पटना जंक्शन, बस अड्डा हो या प्रमुख बाजार कहीं भी पब्लिक शौचालय नहीं दिखते हैं. बेली रोड, बोरिंग रोड, बुद्ध मार्ग जैसे प्रमुख सड़कों पर जो शौचालय बने हैं उनमें ताला लटका रहता है. ऐसे में महिलाओं को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है.

बनाए गए 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट
स्वच्छता में कमी न आए इसके लिए पटना नगर निगम ने शहर के विभिन्न इलाकों में 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए हैं. इन शौचालयों को बनाने में लगभग करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन गंदगी की वजह से लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं.

स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग
बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह में भारत सरकार से चयनित कमेटी पटना आएगी. स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में शौचालय पर 100 अंक रखा गया है. ऐसे में नगर निगम के इसकी साफ सफाई पर ध्यान न देने से इस बार भी पटना रैंकिंग में फिसड्डी साबित न हो जाए.

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