पटना: दिल्ली में केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री के सिंहासन पर बिठाने के बाद प्रशांत किशोर की नजर अब बिहार पर पड़ गई है. 2015 में जो करिश्मा पीके ने कर दिखाया था उसे वो फिर से दोहराने की जुगत में लग गए हैं. सवाल उठता है आखिर किसके लिए?
जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर अब बिहार में कुछ बड़ा गेम प्लान कर रहे हैं. जाहिर है इसी साल बिहार में चुनाव होना है. ऐसे में अब पीके का नया मिशन 2020 ही है. हम इसलिए ये कह रहे हैं क्योंकि एक दस्तावेज EXCLUSIVE ईटीवी भारत के हाथ लगा है. जिससे ये बातें पुख्ता होती दिख रही हैं.
गांव में जातिगत जनसंख्या पर फोकस
दरअसल, प्रशांत किशोर ने गांव गांव में अपने लोगों को जातीय सर्वे में लगा दिया है. इस सर्वे में उनके कर्मचारी गांव-गांव घूम-घूमकर मुखिया, पोस्टमैन, ब्लॉक अधिकारी साथ ही गांव के लोगों की जाति की जानकारी जुटाई जा रही है. प्रशांत किशोर ने इसके लिए 300 कर्मचारियों को काम पर लगाया है. प्रशांत किशोर की टीम का टारगेट बिहार की 8000 पंचायतों के आंकड़े का है.
EXCLUSIVE दस्तावेज सिर्फ ईटीवी भारत के पास
ईटीवी भारत के हत्थे लगे दस्तावेज के मुताबिक प्रशांत किशोर ने एक एक्सल शीट अपने लोगों को दिया है. उसमें पिछले चुनावों में किस जाति का उम्मीदवार जीता इसके अलावा किन किन लोगों के वोट ज्यादा पोल हुए ये सभी जानकारी जुटाई जा रही है.
24 घंटे काम कर रही प्रशांत किशोर की टीम
प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक के लिए लगभग 3 सालों से 24 घंटे काम कर रहे हैं. दिल्ली फतह के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नजर बिहार में मिशन 2020 पर है. प्रशांत किशोर बिहार के राजनीतिक दलों से बातचीत कर जहां एक ओर गैर भाजपा जदयू गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इस बात की संभावना प्रबल है कि प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी के लिए बिहार में चेहरा हो सकते हैं.
कार्यकर्ताओं में उत्साह
आप पार्टी के बिहार प्रदेश के कार्यकर्ता भी उत्साहित हैं. पार्टी प्रवक्ता शशिकांत ने बताया कि दिल्ली में प्रशांत किशोर की भूमिका अहम रही है और वह बिहार में अगर हमारी पार्टी से जुड़ते हैं तो इसका फायदा मिलेगा, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय शीर्ष नेतृत्व को करना है.