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Prashant Kishor ने शिक्षा व्यवस्था पर उठाया सवाल, बोले- 'पढ़ाई के बदले पिलुआ वाली खिचड़ी खिलाई जा रही' - Patna News

बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर प्रशांत किशोर ने सवाल उठाया. कहा कि बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाई के बदले बच्चों को पिलुआ वाली खिचड़ी खिलाई जा रही है. हर साल 40 हजार करोड़ रुपये शिक्षा बजट के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कोई सुविधा नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 2, 2023, 3:40 PM IST

प्रशांत किशोर

पटनाः बिहार के बगहा में मध्याह्न भोजन खाने से 125 बच्चे बीमार पड़ गए थे. इसको लेकर प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है. कहा कि बिहार में स्कूलों में बच्चों को सड़ा हुआ खाना दिया जा रहा है. कहा कि पिलुवा वाली खिचड़ी खाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, तो मजदूर ही तो बनेंगे न. बता दें कि गुरुवार को बगहा के नरवल-बरवल पंचायत स्थित सरकारी स्कूल में गुरुवार को मध्याह्न भोजन खाने से 125 बच्चे बीमार पड़ गए थे.

यह भी पढ़ेंः Bagaha News: बगहा में मिड डे मील खाने से बच्चे बीमार, डीएम पहुंचे अस्पताल, कईयों ने फेंका खाना

शिक्षा व्यवस्था की खुली पोलः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल चुकी है. शिक्षा व्यवस्था की बदतर स्थिति उजागर हो रही है. इस हकीकत से न तो बिहार की आम जनता और न ही उनके बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुन रहे. शिक्षा व्यवस्था की इस गर्त वाली स्थिति पर प्रशांत किशोर ने कहा कि आज सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है, बल्कि बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी खिलाई जा रही है.

बच्चों को कोई सुविधा नहींः आज स्कूलों में बच्चों को कोई सुविधा भी नहीं दी जा रही है. आज बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं, जो परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं उनका भी भला नहीं होने जा रहा है. आज अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा तो रहे हैं, मगर इसके बाद आपको उन्हें सरकारी कॉलेजों में ही पढ़ाना होगा. सच्चाई यह नहीं है कि बिहार में पढ़ाई के लिए पैसे खर्च नहीं किए जा रहे हैं.

बच्चों का भविष्य खराबः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य में हर साल 40 हजार करोड़ रुपये शिक्षा बजट के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं. 40 हजार करोड़ रुपये में आपके बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी और साइकिल के सिवा और कुछ नहीं मिल रहा है. अगर आपके बच्चे स्कूलों में पिलुवा वाली खिचड़ी खाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, तो मजदूर ही तो बनेंगे न. चट्टे बट्टे जो अधिकारी हैं वह लोग शिक्षा व्यवस्था को बंदरबांट कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि गरीब परिवार वाले भी सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं. खिचड़ी खिलाकर बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है.

"बिहार में शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है. बच्चों के लिए पढ़ने की सुविधा नहीं है. सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है. बच्चों को पिलुआ वाली खिचड़ी खिलायी जा रही है. खिचड़ी खिलाकर बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है. बिहार में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहा है, लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही है." - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

प्रशांत किशोर

पटनाः बिहार के बगहा में मध्याह्न भोजन खाने से 125 बच्चे बीमार पड़ गए थे. इसको लेकर प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है. कहा कि बिहार में स्कूलों में बच्चों को सड़ा हुआ खाना दिया जा रहा है. कहा कि पिलुवा वाली खिचड़ी खाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, तो मजदूर ही तो बनेंगे न. बता दें कि गुरुवार को बगहा के नरवल-बरवल पंचायत स्थित सरकारी स्कूल में गुरुवार को मध्याह्न भोजन खाने से 125 बच्चे बीमार पड़ गए थे.

यह भी पढ़ेंः Bagaha News: बगहा में मिड डे मील खाने से बच्चे बीमार, डीएम पहुंचे अस्पताल, कईयों ने फेंका खाना

शिक्षा व्यवस्था की खुली पोलः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल चुकी है. शिक्षा व्यवस्था की बदतर स्थिति उजागर हो रही है. इस हकीकत से न तो बिहार की आम जनता और न ही उनके बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुन रहे. शिक्षा व्यवस्था की इस गर्त वाली स्थिति पर प्रशांत किशोर ने कहा कि आज सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है, बल्कि बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी खिलाई जा रही है.

बच्चों को कोई सुविधा नहींः आज स्कूलों में बच्चों को कोई सुविधा भी नहीं दी जा रही है. आज बिहार में ऐसे लोग भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं, जो परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं उनका भी भला नहीं होने जा रहा है. आज अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा तो रहे हैं, मगर इसके बाद आपको उन्हें सरकारी कॉलेजों में ही पढ़ाना होगा. सच्चाई यह नहीं है कि बिहार में पढ़ाई के लिए पैसे खर्च नहीं किए जा रहे हैं.

बच्चों का भविष्य खराबः प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य में हर साल 40 हजार करोड़ रुपये शिक्षा बजट के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं. 40 हजार करोड़ रुपये में आपके बच्चों को पिलुवा वाली खिचड़ी और साइकिल के सिवा और कुछ नहीं मिल रहा है. अगर आपके बच्चे स्कूलों में पिलुवा वाली खिचड़ी खाएंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे, तो मजदूर ही तो बनेंगे न. चट्टे बट्टे जो अधिकारी हैं वह लोग शिक्षा व्यवस्था को बंदरबांट कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि गरीब परिवार वाले भी सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं. खिचड़ी खिलाकर बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है.

"बिहार में शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है. बच्चों के लिए पढ़ने की सुविधा नहीं है. सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है. बच्चों को पिलुआ वाली खिचड़ी खिलायी जा रही है. खिचड़ी खिलाकर बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है. बिहार में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहा है, लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही है." - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

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