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लॉकडाउन में कुम्हारों का व्यापार पड़ा ठप, दाने-दाने को हुए मोहताज - पटना में कुम्हार परेशान

बिहार में जारी लॉकडाउन ने गरीबों की रोजी रोटी छीन ली है. इस लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार भी परेशान हैं. कुम्हारों का सारा व्यापार ठप पड़ा हुआ है.

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Published : May 15, 2020, 6:06 PM IST

पटनाः कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. ये महीना शादी ब्याह का है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी वैवाहिक और अन्य कार्यक्रम रोक दिए गए हैं. ऐसे में शादी के मौके पर बिकने वाले मिट्टी के बर्तन को पूछने वाला भी कोई नहीं है. जिससे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परेशान हाल हैं. इन गरीबों को सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

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चाक पर बर्तन बनाता कुम्हार

मिट्टी का बर्तन बनाने वालों पर आफत
दरअसल, अप्रैल से लेकर मई महीने तक शादियां बहुत ज्यादा होती हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण शादी ब्याह का कार्यक्रम रुका हुआ है. इसी कड़ी में मिट्टी का बर्तन बनाने वाले लोगों की स्थिति काफी खराब चल रही है. क्योंकि शादी ब्याह और लग्न के समय में ही उनका व्यापार ज्यादा होता था. शादी ब्याह में मिट्टी के बर्तन की डिमांड काफी बढ़ जाती थी, जिससे इनके परिवार की रोजी रोटी चलती थी.

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सूखने के लिए रखे गए मिट्टी के कुल्हड़

लॉकडाउन में नहीं हुई शादियां
लॉक डाउन के कारण इस बार न शादी हुई ना कोई कार्यक्रम हुए. ऐसे में कुम्हारों का सारा व्यापार ठप पड़ा हुआ है. सूबे में ज्यादातर लोग कुल्हड़ वाली चाय और कुल्हड़ वाली लस्सी भी पिया करते थे. फिलहाल सभी दुकानें बंद हैं, जिस कारण इसकी बिक्री पर भी आफत आ गई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

खाने को मोहताज कुम्हार
वहीं, मिट्टी के सामान बनाने वाले जगेश्वर पंडित ने बताया कि किसी तरह हम लोग का काम चल रहा है. इधर-उधर से कुछ मिल जाता है तो खा लेते हैं. कहीं से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है. राजेंद्र पंडित ने बताया कि इस बार तो लॉकडाउन के कारण हम लोगों की कुछ भी कमाई नहीं हुई.

ये भी पढ़ेंः हड़ताल से लौटे नियोजित शिक्षकों को 2 से 3 दिनों में मिल जाएगा वेतन

'कहीं से कोई सहायता नहीं मिली'
मिट्टी की बर्तन बनाने वाली शांति देवी ने कहा कि हम लोग किसी तरह कुछ भी खा पीकर अपनी जिंदगी चला रहे हैं, लेकिन अगर ऐसे ही रहा तो हम लोगों के खाने पर आफत आ जाएगी. शांति देवी ने कहा कि कहीं से कोई भी सहायता नहीं मिल रही है. ना सरकार की तरफ से ना ही वार्ड पार्षद की तरफ से. यहां तक कि इन लोगों को राशन भी नहीं मिल रहा है. बहरहाल इस लॉकडाउन ने तमाम गरीबों की कमर तोड़कर रख दी है.

पटनाः कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. ये महीना शादी ब्याह का है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी वैवाहिक और अन्य कार्यक्रम रोक दिए गए हैं. ऐसे में शादी के मौके पर बिकने वाले मिट्टी के बर्तन को पूछने वाला भी कोई नहीं है. जिससे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परेशान हाल हैं. इन गरीबों को सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

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चाक पर बर्तन बनाता कुम्हार

मिट्टी का बर्तन बनाने वालों पर आफत
दरअसल, अप्रैल से लेकर मई महीने तक शादियां बहुत ज्यादा होती हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण शादी ब्याह का कार्यक्रम रुका हुआ है. इसी कड़ी में मिट्टी का बर्तन बनाने वाले लोगों की स्थिति काफी खराब चल रही है. क्योंकि शादी ब्याह और लग्न के समय में ही उनका व्यापार ज्यादा होता था. शादी ब्याह में मिट्टी के बर्तन की डिमांड काफी बढ़ जाती थी, जिससे इनके परिवार की रोजी रोटी चलती थी.

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सूखने के लिए रखे गए मिट्टी के कुल्हड़

लॉकडाउन में नहीं हुई शादियां
लॉक डाउन के कारण इस बार न शादी हुई ना कोई कार्यक्रम हुए. ऐसे में कुम्हारों का सारा व्यापार ठप पड़ा हुआ है. सूबे में ज्यादातर लोग कुल्हड़ वाली चाय और कुल्हड़ वाली लस्सी भी पिया करते थे. फिलहाल सभी दुकानें बंद हैं, जिस कारण इसकी बिक्री पर भी आफत आ गई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

खाने को मोहताज कुम्हार
वहीं, मिट्टी के सामान बनाने वाले जगेश्वर पंडित ने बताया कि किसी तरह हम लोग का काम चल रहा है. इधर-उधर से कुछ मिल जाता है तो खा लेते हैं. कहीं से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है. राजेंद्र पंडित ने बताया कि इस बार तो लॉकडाउन के कारण हम लोगों की कुछ भी कमाई नहीं हुई.

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'कहीं से कोई सहायता नहीं मिली'
मिट्टी की बर्तन बनाने वाली शांति देवी ने कहा कि हम लोग किसी तरह कुछ भी खा पीकर अपनी जिंदगी चला रहे हैं, लेकिन अगर ऐसे ही रहा तो हम लोगों के खाने पर आफत आ जाएगी. शांति देवी ने कहा कि कहीं से कोई भी सहायता नहीं मिल रही है. ना सरकार की तरफ से ना ही वार्ड पार्षद की तरफ से. यहां तक कि इन लोगों को राशन भी नहीं मिल रहा है. बहरहाल इस लॉकडाउन ने तमाम गरीबों की कमर तोड़कर रख दी है.

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