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पटना के मेडीपार्क हॉस्पिटल से सरकार को नहीं भेजी जाती एंटीजन किट की पॉजिटिव जांच रिपोर्ट - एंटेजन टेस्ट रिपोर्ट

पटना में मेडीपार्क हॉस्पिटल से एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य समिति को नहीं भेजी जा रही है. ना ही स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर जांच रिपोर्ट अपलोड किया जा रहा है. एंटीजन किट से जांच के लिए भी मरीजों से 300 से 500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं.

मेडीपार्क हॉस्पिटल
मेडीपार्क हॉस्पिटल
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Published : May 18, 2021, 10:42 AM IST

पटना: प्रदेश में कोरोना महामारी अपने चरम पर है. चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल इस आपदा को पैसे कमाने के अवसर में बदलते नजर आ रहे हैं. पटना में आए दिन प्राइवेट हॉस्पिटल के ऐसे कारनामे सामने आ रहे हैं, जो मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. अब पटना के सबसे बड़े हॉस्पिटल में शुमार मेडीपार्क हॉस्पिटल का एक नया कारनामा सामने आया है. यह कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा से जुड़ा हुआ मामला है.

यह भी पढ़ें- बिहार में 'कोविड-App' से होगी 'होम आइसोलेशन ट्रैकिंग', सीएम नीतीश ने लॉन्च किया ऐप

जांच रिपोर्ट में उठ रहे हैं सवाल
अस्पताल को जिला प्रशासन की तरफ से रैपिड एंटीजन किट और आरटी पीसीआर किट के माध्यम से कोरोना जांच की अनुमति मिली हुई है. मगर अस्पताल प्रबंधन द्वारा जो एंटीजन किट से जांच की जा रही है, उसके पॉजिटिव केस की रिपोर्ट जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य समिति को नहीं भेजी जा रही है. ना ही स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर जांच रिपोर्ट अपलोड किया जा रहा है.

एंटीजन किट से जांच के लिए भी मरीजों से 300 से 500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं. मगर रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आता है तो उसे पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जांच रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

मौत का सर्टिफिकेट
मौत का सर्टिफिकेट

एंटीजन को अस्पताल नहीं मानता वैलिड
सोमवार के दिन मेडीपार्क में नया मामला सामने आया. पटना के एजी कॉलोनी में रहने वाले रितेश कुमार के परिजन अस्पताल में कोरोना जांच नंबर (आईडी नंबर) का पता लगाने के लिए पहुंचे हुए थे. मगर उन्हें अस्पताल ने जांच नंबर देने से इनकार कर दिया. जब परिजनों ने अस्पताल के मैनेजमेंट से बात की तो बताया गया कि अस्पताल एंटीजन किट की जांच को वैलिड नहीं मानता.

पॉजिटिव रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं भेजा जाता है. इसी वजह से आईडी नंबर जेनरेट नहीं होता है. उनके पास जांच का कोई आईडी नंबर नहीं है. परिजनों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उनसे अभद्र तरीके से बात की और कहा कि जो करना है कर लें. वे किसी प्रकार का कोई भी नंबर नहीं देंगे.

परिजनों को काटने पड़ रहे हैं चक्कर
परिजनों ने बताया कि उनके मरीज की कोरोना से मौत हो चुकी है और सरकार की तरफ से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को जो अनुदान राशि देने की घोषणा है, उसके लिए जब वे सिविल सर्जन कार्यालय पटना पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कोरोना से होने वाली मौतों की सूची में उनके मरीज का नाम है या नहीं यह जानने के लिए कोरोना जांच का आईडी नंबर जरूरी है.

परिजनों ने बताया कि ऐसे में सिविल सर्जन कार्यालय अस्पताल (जहां मरीज की मौत हुई) और मेडीपार्क हॉस्पिटल (जहां कोरोना जांच हुई थी) के बहुत चक्कर लगा रहे हैं. वे परेशान हैं, मगर उन्हें कोई सही जानकारी नहीं मिल रही है.

'कोई भी जांच केंद्र चाहे सरकारी हो या प्राइवेट (जहां जांच की अनुमति मिली है) वहां कोरोना का किसी भी माध्यम से जांच हो चाहे rt-pcr हो या एंटीजन किट से जांच हो. पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना देनी है. पोर्टल पर भी इसे अपलोड करना अनिवार्य है. अगर कोई जांच केंद्र ऐसा नहीं करता है तो यह सरासर गलत है.' -डॉ. विभा कुमारी, सिविल सर्जन पटना

देखें पूरी रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को नहीं देते रिपोर्ट
वहीं, इस मसले पर जब हमने अस्पताल प्रबंधन से बात की उन्होंने कहा कि एंटीजन किट के किसी रिपोर्ट को वे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को नहीं देते हैं. क्योंकि उन्हें वह रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं लगता है.

यह भी पढ़ें- बक्सरः कोई नहीं सोएगा भूखा, सामुदायिक किचेन से सबका रखा जाएगा ख्याल

पटना: प्रदेश में कोरोना महामारी अपने चरम पर है. चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल इस आपदा को पैसे कमाने के अवसर में बदलते नजर आ रहे हैं. पटना में आए दिन प्राइवेट हॉस्पिटल के ऐसे कारनामे सामने आ रहे हैं, जो मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. अब पटना के सबसे बड़े हॉस्पिटल में शुमार मेडीपार्क हॉस्पिटल का एक नया कारनामा सामने आया है. यह कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा से जुड़ा हुआ मामला है.

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जांच रिपोर्ट में उठ रहे हैं सवाल
अस्पताल को जिला प्रशासन की तरफ से रैपिड एंटीजन किट और आरटी पीसीआर किट के माध्यम से कोरोना जांच की अनुमति मिली हुई है. मगर अस्पताल प्रबंधन द्वारा जो एंटीजन किट से जांच की जा रही है, उसके पॉजिटिव केस की रिपोर्ट जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य समिति को नहीं भेजी जा रही है. ना ही स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर जांच रिपोर्ट अपलोड किया जा रहा है.

एंटीजन किट से जांच के लिए भी मरीजों से 300 से 500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं. मगर रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आता है तो उसे पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जांच रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

मौत का सर्टिफिकेट
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एंटीजन को अस्पताल नहीं मानता वैलिड
सोमवार के दिन मेडीपार्क में नया मामला सामने आया. पटना के एजी कॉलोनी में रहने वाले रितेश कुमार के परिजन अस्पताल में कोरोना जांच नंबर (आईडी नंबर) का पता लगाने के लिए पहुंचे हुए थे. मगर उन्हें अस्पताल ने जांच नंबर देने से इनकार कर दिया. जब परिजनों ने अस्पताल के मैनेजमेंट से बात की तो बताया गया कि अस्पताल एंटीजन किट की जांच को वैलिड नहीं मानता.

पॉजिटिव रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं भेजा जाता है. इसी वजह से आईडी नंबर जेनरेट नहीं होता है. उनके पास जांच का कोई आईडी नंबर नहीं है. परिजनों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उनसे अभद्र तरीके से बात की और कहा कि जो करना है कर लें. वे किसी प्रकार का कोई भी नंबर नहीं देंगे.

परिजनों को काटने पड़ रहे हैं चक्कर
परिजनों ने बताया कि उनके मरीज की कोरोना से मौत हो चुकी है और सरकार की तरफ से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को जो अनुदान राशि देने की घोषणा है, उसके लिए जब वे सिविल सर्जन कार्यालय पटना पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कोरोना से होने वाली मौतों की सूची में उनके मरीज का नाम है या नहीं यह जानने के लिए कोरोना जांच का आईडी नंबर जरूरी है.

परिजनों ने बताया कि ऐसे में सिविल सर्जन कार्यालय अस्पताल (जहां मरीज की मौत हुई) और मेडीपार्क हॉस्पिटल (जहां कोरोना जांच हुई थी) के बहुत चक्कर लगा रहे हैं. वे परेशान हैं, मगर उन्हें कोई सही जानकारी नहीं मिल रही है.

'कोई भी जांच केंद्र चाहे सरकारी हो या प्राइवेट (जहां जांच की अनुमति मिली है) वहां कोरोना का किसी भी माध्यम से जांच हो चाहे rt-pcr हो या एंटीजन किट से जांच हो. पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना देनी है. पोर्टल पर भी इसे अपलोड करना अनिवार्य है. अगर कोई जांच केंद्र ऐसा नहीं करता है तो यह सरासर गलत है.' -डॉ. विभा कुमारी, सिविल सर्जन पटना

देखें पूरी रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को नहीं देते रिपोर्ट
वहीं, इस मसले पर जब हमने अस्पताल प्रबंधन से बात की उन्होंने कहा कि एंटीजन किट के किसी रिपोर्ट को वे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को नहीं देते हैं. क्योंकि उन्हें वह रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं लगता है.

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