पटना: राजधानी पटना (Patan) के बीचों-बीच स्थित न्यू रेलवे कॉलोनी (New Railway Colony) में सरकारी क्वार्टरों (Government Quarters) की स्थिति जर्जर (Dilapidated) हो गई है. हालत तो यह है कि अधिकांश सरकारी क्वार्टर में दरवाजे-खिड़की भी नहीं है. बरसात के दिनों में घरों में पानी टपकता है, लेकिन मजबूरी में रेलवे कर्मचारियों को वहां रहना पड़ता है. कई बार शिकायत के बावजूद अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगते.
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रेलवे कर्मचारियों के द्वारा 5 साल से क्वार्टर की सूरत बदलने को लेकर के अधिकारियों के पास दस्तक देते रहे हैं, लेकिन अधिकारी कर्मचारियों की बात को अनदेखी करते रहते हैं. जिस वजह से स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है. ईटीवी भारत की टीम ने पटना के इस न्यू रेलवे कॉलोनी की स्थिति का जायजा लिया तो पाया कि अधिकांश रेलवे कॉलोनी की स्थिति बेहद खराब है. गंदे नाले का पानी गलियों में लगा पड़ा हुआ है, लोग मजबूरन वहां रह रहे हैं.
रेलवे कर्मचारी एके शर्मा ने बताया कि लगभग 4 सालों से वह सरकारी आवास में परिवार के साथ रहते हैं. सरकारी क्वार्टर के नाम पर कुछ भी नहीं है. बाथरूम में दरवाजा तक नहीं है और बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता रहता है. जिससे पूरा सामान खराब हो जाता है. बरसात के दिनों में क्वार्टर्स को छोड़कर के दूसरी जगह डेरा लेकर रहना पड़ता है.
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रेलवे कर्मचारी रंजीत सिंह ने बताया कि रेलवे सरकारी क्वार्टरों को लेकर के कई सालों से डिपार्टमेंट को शिकायत की गई, लेकिन कॉलोनियों के हालात नहीं सुधरे. मजबूरी में जुगाड़ कर कर्मचारियों को खुद ही सारी व्यवस्था करके यहां रहना पड़ता है. गंदगी और जर्जर पड़े इन आवास में रहना खतरे से भी कम नहीं है, लेकिन अधिकारी को जर्जर क्वार्टर को लेकर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं. बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो डर की वजह से क्वार्टर्स को खाली करके और निजी क्वार्टर्स लेकर के रहते हैं.
कई रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि क्वार्टर में न तो दरवाजा है और न ही पानी पीने की कोई उचित व्यवस्था है. कई बार रेलवे अधिकारी को इसको लेकर के शिकायत की गई, लेकिन इसको लेकर कोई व्यवस्था अधिकारियों के द्वारा नहीं की जा रही है. बरसात में घरों में पानी भर जाता है. ड्यूटी के लिए हाफ पैंट पहनकर गंदे पानी में प्रवेश करके निकलना पड़ता है.
आपको बता दें कि रेलवे यूनियन के द्वारा 2 दिन पहले जर्जर सरकारी क्वार्टर पर मूलभूत सुविधा नहीं मिलने की वजह को लेकर ईसीआर में धरना-प्रदर्शन किया गया था. यूनियन के द्वारा ज्ञापन भी सौंपा गया है, लेकिन इसके बावजूद कोई पहल होती नहीं दिख रही है.