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पटना में खुलेआम उड़ाई जा रही पॉलिथीन बैन की धज्जियां, धड़ल्ले से हो रहा इस्तेमाल

राज्य में बढ़ते पॉल्यूशन को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले 6 महीनों से बिहार में पॉलिथीन बैन कर रखा है. लेकिन, पटना के मेन मार्केट और चौराहों पर खुलेआम पॉलिथीन का उपयोग देखा जा सकता है.

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Published : Sep 6, 2019, 6:01 PM IST

पटना: पर्यावरण को लेकर सरकार काफी चिंतित है. प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कई कोशिशें कर रही हैं. पॉलिथीन पर पूरी तरह से बैन भी लग चुके हैं. लेकिन, राजधानी की सड़कों पर सरेआम इस सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

रियलिटी चेक करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

बता दें कि राज्य में बढ़ते पॉल्यूशन को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले 6 महीनों से बिहार में पॉलिथीन बैन किया हुआ है. इसे लेकर सरकार ने बड़े व्यापक तौर पर विज्ञापन भी निकाला हुआ था. ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके. हर जिले में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने भी पॉलिथीन उपयोग करने वालों और बेचने वालों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था.

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दुकानदार पॉलिथीन में दे रहा सामान

दुकानदार और खरीदार दोनों जिम्मेदार
मौजूदा समय में हालात पहले जैसी ही दिखाई पड़ रही है. लोगों को ना प्रशासन का भय है ना जुर्माने का. साथ ही खरीदारी करने वाले ग्राहक भी विरोध करते नहीं दिख रहे हैं. पटना के मेन मार्केट और चौराहों पर खुलेआम पॉलिथीन का उपयोग देखा जा सकता है. दुकानदारों का कहना है कि पॉलिथीन का विकल्प उनके बजट में नहीं है तो वहीं, ग्राहक कहते हैं कि अगर दुकानदार पॉलिथीन में ही सामान दे रहा है तो हम क्या करें? हालांकि उन्होंने यह बातें कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया.

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लोगों में जागरूकता की कमी

'सरकार से हो रही चूक'
बहरहाल, सरकार का कोई भी अभियान इसलिए सफल नहीं होता है क्योंकि कर्मचारी कुछ दिनों तक ही हरकत में रहते हैं. धीरे-धीरे कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. एक अभियान और योजना को पूरा किए बिना सरकार दूसरी योजनाओं और अभियानों की प्लानिंग में जुट जाती है. नतीजतन हाल पहले जैसा हो जाता है.

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खुलेआम हो रहा पॉलिथीन का प्रयोग

पटना: पर्यावरण को लेकर सरकार काफी चिंतित है. प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कई कोशिशें कर रही हैं. पॉलिथीन पर पूरी तरह से बैन भी लग चुके हैं. लेकिन, राजधानी की सड़कों पर सरेआम इस सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

रियलिटी चेक करने पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता

बता दें कि राज्य में बढ़ते पॉल्यूशन को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले 6 महीनों से बिहार में पॉलिथीन बैन किया हुआ है. इसे लेकर सरकार ने बड़े व्यापक तौर पर विज्ञापन भी निकाला हुआ था. ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके. हर जिले में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने भी पॉलिथीन उपयोग करने वालों और बेचने वालों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था.

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दुकानदार पॉलिथीन में दे रहा सामान

दुकानदार और खरीदार दोनों जिम्मेदार
मौजूदा समय में हालात पहले जैसी ही दिखाई पड़ रही है. लोगों को ना प्रशासन का भय है ना जुर्माने का. साथ ही खरीदारी करने वाले ग्राहक भी विरोध करते नहीं दिख रहे हैं. पटना के मेन मार्केट और चौराहों पर खुलेआम पॉलिथीन का उपयोग देखा जा सकता है. दुकानदारों का कहना है कि पॉलिथीन का विकल्प उनके बजट में नहीं है तो वहीं, ग्राहक कहते हैं कि अगर दुकानदार पॉलिथीन में ही सामान दे रहा है तो हम क्या करें? हालांकि उन्होंने यह बातें कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया.

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लोगों में जागरूकता की कमी

'सरकार से हो रही चूक'
बहरहाल, सरकार का कोई भी अभियान इसलिए सफल नहीं होता है क्योंकि कर्मचारी कुछ दिनों तक ही हरकत में रहते हैं. धीरे-धीरे कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. एक अभियान और योजना को पूरा किए बिना सरकार दूसरी योजनाओं और अभियानों की प्लानिंग में जुट जाती है. नतीजतन हाल पहले जैसा हो जाता है.

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खुलेआम हो रहा पॉलिथीन का प्रयोग
Intro:पॉलिथीन बैन कहां उड़ गई है बाजारों में धज्जियां बाजार में धड़ल्ले से पॉलिथीन का हो रहा है उपयोग लोगों में प्रशासन की कोई डर भय अब नहीं दिख रहा है--


Body:पटना-- राज्य में बढ़ते पॉल्यूशन को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले 6 महीनों से बिहार में पॉलिथीन बैन किए हुए हैं जिसको लेकर सरकार ने बड़े व्यापक तौर पर भी लोगों को जागरूक करने के लिए विज्ञापन भी निकाला हुआ था और हर जिले में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम पोलोथिन उपयोग करने वालों और बेचने बालो के खिलाफ कारबाई भी की थी लेकिन आज पोलोथीन उपयोग करने वाले और बेचने वाले पुनः वैसी स्थिति में आ गए हैं उन्हें ना प्रशासन का डर भय है ना ही ग्राहकों को कोई फर्क पड़ रहा है हमने पटना के विभिन्न मार्किट में जाकर देखा सभी जगह एक जैसी स्थिति थी लोग आराम से पोलोथिन का उपयोग कर रहे थे क्या खरीदने बाले क्या बेचने बाले सभी पोलोथिन का उपयोग करते दिखे।


Conclusion:सरकार का कोई भी अभियान सफल इसलिए नहीं होता है कि सरकारी कर्मचारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं और दूसरे नियम और कानून बनाने में लग जाते हैं अगर पहले बने नियम को फॉलो किया जाए तो जिस उद्देश्य के लिए कानून बनता हो उसकी पूर्ति हो जाएगी

ईटीवी भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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