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नीतीश कुमार और रोहिणी को भेजा जाएगा राज्यसभा! 6 सीटों पर ऐसा होगा समीकरण - Rohini Acharya politics

Rajya Sabha Election: अप्रैल में बिहार में राज्यसभा की 6 सीटें खाली हो रही हैं. 6 सीटों पर जल्द ही चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से गतिविधियां शुरू हो जाएगी. लेकिन, राजनीतिक दलों के बीच अभी से नामों को लेकर कयास लगाये जाने लगे हैं. इस बार राजद और जदयू की तरफ से चौंकाने वाले नाम सामने आ रहे हैं. पढ़ें, विस्तार से.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 3, 2024, 7:48 PM IST

Updated : Jan 4, 2024, 6:51 AM IST

राज्यसभा चुनाव को लेकर क्या बन रहे हैं समीकरण.

पटना: बिहार में 3 अप्रैल को राज्यसभा की 6 सीट खाली हो जाएगी. जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उसमें जदयू के वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगडे़, राजद के अशफाक आलम और मनोज झा, बीजेपी के सुशील कुमार मोदी और कांग्रेस के अखिलेश कुमार सिंह शामिल हैं. लेकिन, वर्तमान विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से जदयू को एक सीट का नुकसान होने वाला है. तो, वहीं बीजेपी को एक सीट का लाभ होगा. राज्यसभा के लिए खाली हो रही 6 सीटों के लिए कई नाम पर कयास लगने लगे हैं. इनमें सबसे चौंकने वाले नामों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य हैं. वहीं कुछ सीटिंग राज्यसभा सांसदों को फिर से रिपीट किये जाने की चर्चा है.

नीतीश ने राज्यसभा जाने की जतायी थी इच्छाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के नाम की चर्चा हो रही है. नीतीश कुमार ने पिछले साल विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि तीनों सदन के सदस्य बन चुके हैं. राज्यसभा का सदस्य नहीं बने हैं. हालांकि यह तब होगा जब बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं, जिसकी संभावना फिलहाल कम है. लेकिन, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य पिछले दिनों काफी चर्चा में है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को किडनी दी थी. पिछले दिनों काराकाट से चुनाव लड़ने की भी चर्चा हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस पर खंडन कर दिया. अब राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा हो रही है. बता दें कि लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं.

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किसको हो रहा फायदा-किसको नुकसानः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है 6 सीटों में से इस बार जदयू को एक सीट का नुकसान होने वाला है, तो वहीं बीजेपी को एक सीट का लाभ मिलेगा. आरजेडी को दो सीट मिलना तय है तो वहीं कांग्रेस की एक सीट पर सस्पेंस बना हुआ है. माले की ओर से दीपंकर भट्टाचार्य को लेकर दावेदारी हो रही है, ऐसे में सीटिंग करने में अखिलेश सफल हो जाते हैं तो उनकी सीट बच सकती है. रवि उपाध्याय ने कहा कि जहां तक नीतीश कुमार के नाम की चर्चा की बात है तो वो जदयू के सर्वे सर्वा हैं. उनको ही फैसला लेने है तो दिक्कत नहीं है.

"नीतीश कुमार का राज्यसभा ही बच गया है, चले जाएं तो बिहार के लिए इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती है. जहां तक हमारी पार्टी (बीजेपी) की बात है तो केंद्रीय नेतृत्व ही इस मामले में फैसला लेगी."- रामसागर सिंह, प्रवक्ता भाजपा

एक सीट के लिए इस बार 35 विधायकों की जरूरतः बिहार में हो रहे राज्यसभा चुनाव की एक सीट के लिए इस बार 35 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. विधानसभा में आरजेडी 79 विधायक हैं. इस हिसाब से देखें तो दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 9 विधायक बच जाएंगे, जिससे अपने सहयोगियों को मदद पहुंचा सकते हैं. मनोज कुमार झा को रिपीट किए जाने की चर्चा है. अशफाक आलम को लेकर बताया जा रहा है कि उन्हें कटिहार से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है. उनकी सीट पर ही रोहिणी आचार्य को राज्यसभा भेजा जा सकता है. यहां बता दें कि आरजेडी में कई अन्य नेता भी हैं जो राज्यसभा के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. फैसला लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव मिलकर करेंगे.

संख्या बल के हिसाब से बन रहा समीकरणः जहां तक जदयू की बात है जदयू के 45 विधायक हैं. उस हिसाब से एक सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 10 वोट बचा रहेगा. इसे अन्य सहयोगी दल के उम्मीदवारों को मदद की जा सकती है. इस बार पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगड़े का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वशिष्ठ नारायण सिंह को नीतीश कुमार फिर से भेज सकते हैं. सस्पेंस की स्थिति कांग्रेस के अखिलेश सिंह को लेकर है. क्योंकि कांग्रेस के पास केवल 19 विधायक हैं. अखिलेश सिंह को पार्टी फिर से भेजने की घोषणा करती है तो उन्हें अपने लिए जरूरी विधायकों का जुगाड़ करना होगा. क्योंकि वामपंथी दलों की ओर से माले के दीपंकर भट्टाचार्य का नाम भी आगे किया जा रहा है. वामपंथी दलों के पास 16 विधायक हैं.

बीजेपी में दूसरी सीट के लिए कई दावेदारः बीजेपी के 78 विधायक हैं. ऐसे में दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी बीजेपी के 8 विधायक बच जाएंगे. अभी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. सुशील मोदी को फिर से भेजे जाने की चर्चा है. दूसरी सीट के लिए कई दावेदार हैं. ऋतुराज सिंह का नाम चर्चा में है. हालांकि उनके पटना से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात भी हो रही है. बिहार में महागठबंधन की सरकार चलती रहे तो जदयू और राजद के सहमति से कांग्रेस को आसानी से एक सीट मिल जाएगी. फिर वामपंथी दलों को देना चाहेंगे तो उन्हें मिल जाएगी. दोनों में से किसी एक को मिलना तय है. यदि बिहार में राजनीतिक उठा पटक होता है और नीतीश कुमार पाला बदल लेते हैं तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है.

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राज्यसभा चुनाव को लेकर क्या बन रहे हैं समीकरण.

पटना: बिहार में 3 अप्रैल को राज्यसभा की 6 सीट खाली हो जाएगी. जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उसमें जदयू के वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगडे़, राजद के अशफाक आलम और मनोज झा, बीजेपी के सुशील कुमार मोदी और कांग्रेस के अखिलेश कुमार सिंह शामिल हैं. लेकिन, वर्तमान विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से जदयू को एक सीट का नुकसान होने वाला है. तो, वहीं बीजेपी को एक सीट का लाभ होगा. राज्यसभा के लिए खाली हो रही 6 सीटों के लिए कई नाम पर कयास लगने लगे हैं. इनमें सबसे चौंकने वाले नामों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य हैं. वहीं कुछ सीटिंग राज्यसभा सांसदों को फिर से रिपीट किये जाने की चर्चा है.

नीतीश ने राज्यसभा जाने की जतायी थी इच्छाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के नाम की चर्चा हो रही है. नीतीश कुमार ने पिछले साल विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि तीनों सदन के सदस्य बन चुके हैं. राज्यसभा का सदस्य नहीं बने हैं. हालांकि यह तब होगा जब बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं, जिसकी संभावना फिलहाल कम है. लेकिन, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य पिछले दिनों काफी चर्चा में है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को किडनी दी थी. पिछले दिनों काराकाट से चुनाव लड़ने की भी चर्चा हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस पर खंडन कर दिया. अब राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा हो रही है. बता दें कि लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं.

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किसको हो रहा फायदा-किसको नुकसानः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है 6 सीटों में से इस बार जदयू को एक सीट का नुकसान होने वाला है, तो वहीं बीजेपी को एक सीट का लाभ मिलेगा. आरजेडी को दो सीट मिलना तय है तो वहीं कांग्रेस की एक सीट पर सस्पेंस बना हुआ है. माले की ओर से दीपंकर भट्टाचार्य को लेकर दावेदारी हो रही है, ऐसे में सीटिंग करने में अखिलेश सफल हो जाते हैं तो उनकी सीट बच सकती है. रवि उपाध्याय ने कहा कि जहां तक नीतीश कुमार के नाम की चर्चा की बात है तो वो जदयू के सर्वे सर्वा हैं. उनको ही फैसला लेने है तो दिक्कत नहीं है.

"नीतीश कुमार का राज्यसभा ही बच गया है, चले जाएं तो बिहार के लिए इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती है. जहां तक हमारी पार्टी (बीजेपी) की बात है तो केंद्रीय नेतृत्व ही इस मामले में फैसला लेगी."- रामसागर सिंह, प्रवक्ता भाजपा

एक सीट के लिए इस बार 35 विधायकों की जरूरतः बिहार में हो रहे राज्यसभा चुनाव की एक सीट के लिए इस बार 35 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. विधानसभा में आरजेडी 79 विधायक हैं. इस हिसाब से देखें तो दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 9 विधायक बच जाएंगे, जिससे अपने सहयोगियों को मदद पहुंचा सकते हैं. मनोज कुमार झा को रिपीट किए जाने की चर्चा है. अशफाक आलम को लेकर बताया जा रहा है कि उन्हें कटिहार से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है. उनकी सीट पर ही रोहिणी आचार्य को राज्यसभा भेजा जा सकता है. यहां बता दें कि आरजेडी में कई अन्य नेता भी हैं जो राज्यसभा के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. फैसला लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव मिलकर करेंगे.

संख्या बल के हिसाब से बन रहा समीकरणः जहां तक जदयू की बात है जदयू के 45 विधायक हैं. उस हिसाब से एक सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 10 वोट बचा रहेगा. इसे अन्य सहयोगी दल के उम्मीदवारों को मदद की जा सकती है. इस बार पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगड़े का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वशिष्ठ नारायण सिंह को नीतीश कुमार फिर से भेज सकते हैं. सस्पेंस की स्थिति कांग्रेस के अखिलेश सिंह को लेकर है. क्योंकि कांग्रेस के पास केवल 19 विधायक हैं. अखिलेश सिंह को पार्टी फिर से भेजने की घोषणा करती है तो उन्हें अपने लिए जरूरी विधायकों का जुगाड़ करना होगा. क्योंकि वामपंथी दलों की ओर से माले के दीपंकर भट्टाचार्य का नाम भी आगे किया जा रहा है. वामपंथी दलों के पास 16 विधायक हैं.

बीजेपी में दूसरी सीट के लिए कई दावेदारः बीजेपी के 78 विधायक हैं. ऐसे में दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी बीजेपी के 8 विधायक बच जाएंगे. अभी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. सुशील मोदी को फिर से भेजे जाने की चर्चा है. दूसरी सीट के लिए कई दावेदार हैं. ऋतुराज सिंह का नाम चर्चा में है. हालांकि उनके पटना से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात भी हो रही है. बिहार में महागठबंधन की सरकार चलती रहे तो जदयू और राजद के सहमति से कांग्रेस को आसानी से एक सीट मिल जाएगी. फिर वामपंथी दलों को देना चाहेंगे तो उन्हें मिल जाएगी. दोनों में से किसी एक को मिलना तय है. यदि बिहार में राजनीतिक उठा पटक होता है और नीतीश कुमार पाला बदल लेते हैं तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है.

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Last Updated : Jan 4, 2024, 6:51 AM IST
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