पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का मानसून सत्र (Monsoon Session) अगले सप्ताह शुरू होना है, लेकिन सत्र शुरू होने से पहले ही पिछले सत्र में विधायकों के साथ हुई मारपीट की घटना पर सियासत शुरू हो गई है.
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बजट सत्र (Budget Session) के दौरान जिस प्रकार से विधायकों के साथ मारपीट हुई और पुलिस सदन के अंदर गई अब तक विपक्षी दल के नेताओं की नाराजगी दूर नहीं हुई है. वहीं, तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने पत्र लिखकर सियासत भी शुरू कर दी है.
''जो स्थिति है, उसमें सही में हम लोगों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने में डर लग रहा है. सरकार ने हम लोगों की मांग भी नहीं मानी है. दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई. ऐसे में विपक्ष सदन की कार्यवाही में भाग ले या नहीं महागठबंधन इस पर रणनीति तैयार कर रहा है.''- सत्यदेव राम, विधायक माले
''विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि फुटेज देखकर कार्रवाई करेंगे. 5 महीने से अधिक हो गए, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पत्र लिखकर सही कहा है कि विपक्ष के विधायक डरे और सहमे हुए हैं.''- सुरेश पासवान, पूर्व मंत्री आरजेडी
लेकिन, सत्ताधारी दल के विधायक विपक्ष पर तंज कस रहे हैं. तेजस्वी यादव के डर लगने वाली बात पर बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर का कहना है कि डरने की क्या बात है मारपीट करने वाले को ना डर लगता है, यहां तो विकास की चर्चा होती है. वहीं, जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि विपक्ष को किस बात का डर लगता है. इसका खुलासा करना चाहिए.
मानसून सत्र 26 जुलाई से शुरू हो रहा है, लेकिन उससे पहले पिछले सत्र में हुई मारपीट की घटना की चर्चा फिर से जोर पकड़ने लगी है. विधानसभा अध्यक्ष ने तेजस्वी यादव के पत्र पर कहा है कि डरने वाली कोई बात नहीं है. हमारे लिए सभी विधायक एक समान हैं. ऐसे में मानसून सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं, लेकिन यह भी देखना दिलचस्प है कि विपक्ष सदन की कार्यवाही में भाग लेता है या नहीं.
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बता दें कि 23 मार्च को बिहार विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 सदन में पेश किया गया था. काफी हंगामे के बीच उसी दिन सदन से विधेयक को पास करा लिया गया. विपक्ष की ओर से लगातार इस बिल का विरोध किया जाता रहा. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बिल को लेकर विपक्ष के नेताओं ने जमकर बवाल किया. विधानसभा में हंगामा इस कदर बढ़ गया कि पुलिस बल को विधानसभा के अंदर तक बुलाना पड़ा. पुलिस बल ने बुरी तरह से विधायकों को सदन से खदेड़ा था. जिस तरीके की घटना बिहार विधानसभा में हुई उसने बिहार की छवि को पूरे देश में प्रभावित किया था.
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