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अंबेडकर के आंदोलन को किताब में छपा 'महादलित सत्याग्रह', भूल-चूक सुधार तक पुस्तक पर रोक की मांग - हाड़ सत्याग्रह आंदोलन

संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Constitution Nitmata Baba Saheb Bhim rao Ambedkar) का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है. स्कूली छात्रों को भी भीमराव अंबेडकर के बारे में पढ़ाया जाता है. बिहार सरकार भी टेक्स्ट बुक के जरिए बच्चों को शिक्षा देती है. लेकिन ताजा मामला में बिहार टेक्स्ट बुक में छपे तथ्य को लेकर बवाल मचा है, जनिए क्या है पूरा मामला?..

बाबा साहेब के इतिहास के साथ छेड़छाड़
बाबा साहेब के इतिहास के साथ छेड़छाड़
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Published : Jan 10, 2023, 10:29 PM IST

Updated : Jan 10, 2023, 10:37 PM IST

बाबा साहब के इतिहास के साथ छेड़छाड़ बुद्धिजीवियों ने जताई चिंता

पटना: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) दलित आंदोलन के प्रणेता थे. संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को भारत के इतिहास में बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है. बाबा साहब के व्यक्तित्व को समझने और जानने के लिए स्कूलों में बच्चों को भी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जीवनी पढ़ाई जाती है. सूबे में आठवीं क्लास के बच्चों को बाबा साहब की जीवनी बिहार टेक्स्ट बुक के पुस्तक के जरिए पढ़ाई जाती है. लेकिन 2022-23 के पुस्तक में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के आंदोलन को लेकर जो तथ्य छपे हैं, उसे लेकर विवाद (Politics On History Of Babasaheb Bhimrao Ambedkar) खड़ा हो गया है.

ये भी पढे़ं- Ambedkar Jayanti 2022: राज्यपाल और CM नीतीश समेत कई नेताओं ने बाबा साहब की जयंती पर किया नमन

बाबा साहब के इतिहास के साथ छेड़छाड़ : किताब में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा चलाए गए आंदोलन को महादलित आंदोलन कहा गया है. महादलित आंदोलन शब्द को लेकर जहां सियासी बवाल है. वहीं, इतिहास के साथ छेड़छाड़ की बात भी कही जा रही है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) के पूर्व सदस्य डाॅ योगेन्द्र पासवान ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार जातीय विद्धेष के सहारे 2024 के लोकसभा चुनाव में जाना चाहते हैं.

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर मचा बवाल
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर मचा बवाल

'2014 के लोकसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को यह पता चल चुका है कि एनडीए शासनकाल में हुई विकास का श्रेय जनता नीतीश कुमार के बजाय भाजपा को देती है. इसलिए नीतीश कुमार बिहार में राजद के साथ मिलकर जातीय उन्माद पैदा करने की साजिश रच रहे हैं. इसलिए पहले अनुसूचित जाति के लोगों को दलित और महादलित के बीच बांटा गया, जब उससे संतोष नहीं हुआ तो अब बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक द्वारा प्रकाषित कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में संविधान निर्माता डाॅ भीम राव अम्बेडकर जी के संदर्भ में तथ्य से परे प्रसंगों का उल्लेख किया गया है. जिससे पूरा दलित समाज आहत है.' - डाॅ योगेन्द्र पासवान, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य

लेख पर बुद्धिजीवियों ने भी जताई चिंता : डाॅ योगेन्द्र पासवान ने बताया कि डाॅ भीमराव अम्बेडकर जी के द्वारा 1920 में एक प्रमुख आन्दोलन प्रारम्भ हुआ. 1927 ई. में महाड़ सत्याग्रह आंदोलन आरम्भ किया गया. ताकि अछुतों के प्रति अपनाई गई भेदभाव की नीति को समाप्त किया जा सके. जबकि बिहार सरकार ने उसे तोड़-मरोड़ कर बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिशिग काॅरपोरेशन लिमिटेड पटना द्वारा वर्ग 8 के सामान्य अध्ययन के किताब ‘‘अतीत से वर्तमान’’ भाग 3 के अध्याय 8 में जातीय व्यवस्था की चुनौतियों वाली चैप्टर में महाड़ सत्याग्रह के जगह पर महादलित शब्द का प्रयोग कर, सम्पूर्ण अनुसूचित जाति समाज को अपमानित करने का काम किया गया है.

NCSC के पूर्व सदस्य ने बिहार सरकार पर साधा निशाना : भाजपा नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के पूर्व सदस्य योगेंद्र पासवान ने कहा है कि महादलित शब्द ही असंवैधानिक है. नीतीश कुमार कहा करते है कि मैं अपने पिताजी के साथ पुड़िया बांधने का काम करते थे. लेकिन आजकल दलित समाज के बीच जहर का पुड़िया बांध रहें है. संविधान निर्माता बाबा साहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. बिहार सरकार ‘‘अतीत से वर्तमान’’ (सामान्य अध्ययन) के पुस्तक में से महादलित शब्द को शीघ्र हटाए, अन्यथा दलित समाज आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा. भाजपा नेता ने कहा कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है. और इसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

'भाजपा सिर्फ बांटने का काम करती है. ऐसे मुद्दों पर सियासत नहीं की जानी चाहिए. आठवीं के टेक्स्ट बुक में अगर कुछ त्रुटि है तो उसे सरकार के स्तर पर देखा जाएगा. गलती पाए जाने पर सुधार भी किया जाएगा.' - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'टेक्स्ट बुक में भ्रामक तथ्य संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के बारे में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए. यह गंभीर मसला है. खास तौर पर महादलित शब्द का इस्तेमाल भी गैर संवैधानिक है. सरकार इसे प्रमुखता से देखे और पूरे मामले की जांच कराए. पुस्तक को तब तक के लिए रोक लगा देना चाहिए. जबतक कि भूल सुधार ना कर लिया जाए.' - नरेंद्र कुमार, दलित चिंतक

बाबा साहब के इतिहास के साथ छेड़छाड़ बुद्धिजीवियों ने जताई चिंता

पटना: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) दलित आंदोलन के प्रणेता थे. संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को भारत के इतिहास में बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है. बाबा साहब के व्यक्तित्व को समझने और जानने के लिए स्कूलों में बच्चों को भी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जीवनी पढ़ाई जाती है. सूबे में आठवीं क्लास के बच्चों को बाबा साहब की जीवनी बिहार टेक्स्ट बुक के पुस्तक के जरिए पढ़ाई जाती है. लेकिन 2022-23 के पुस्तक में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के आंदोलन को लेकर जो तथ्य छपे हैं, उसे लेकर विवाद (Politics On History Of Babasaheb Bhimrao Ambedkar) खड़ा हो गया है.

ये भी पढे़ं- Ambedkar Jayanti 2022: राज्यपाल और CM नीतीश समेत कई नेताओं ने बाबा साहब की जयंती पर किया नमन

बाबा साहब के इतिहास के साथ छेड़छाड़ : किताब में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा चलाए गए आंदोलन को महादलित आंदोलन कहा गया है. महादलित आंदोलन शब्द को लेकर जहां सियासी बवाल है. वहीं, इतिहास के साथ छेड़छाड़ की बात भी कही जा रही है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) के पूर्व सदस्य डाॅ योगेन्द्र पासवान ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार जातीय विद्धेष के सहारे 2024 के लोकसभा चुनाव में जाना चाहते हैं.

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर मचा बवाल
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर मचा बवाल

'2014 के लोकसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को यह पता चल चुका है कि एनडीए शासनकाल में हुई विकास का श्रेय जनता नीतीश कुमार के बजाय भाजपा को देती है. इसलिए नीतीश कुमार बिहार में राजद के साथ मिलकर जातीय उन्माद पैदा करने की साजिश रच रहे हैं. इसलिए पहले अनुसूचित जाति के लोगों को दलित और महादलित के बीच बांटा गया, जब उससे संतोष नहीं हुआ तो अब बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक द्वारा प्रकाषित कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में संविधान निर्माता डाॅ भीम राव अम्बेडकर जी के संदर्भ में तथ्य से परे प्रसंगों का उल्लेख किया गया है. जिससे पूरा दलित समाज आहत है.' - डाॅ योगेन्द्र पासवान, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य

लेख पर बुद्धिजीवियों ने भी जताई चिंता : डाॅ योगेन्द्र पासवान ने बताया कि डाॅ भीमराव अम्बेडकर जी के द्वारा 1920 में एक प्रमुख आन्दोलन प्रारम्भ हुआ. 1927 ई. में महाड़ सत्याग्रह आंदोलन आरम्भ किया गया. ताकि अछुतों के प्रति अपनाई गई भेदभाव की नीति को समाप्त किया जा सके. जबकि बिहार सरकार ने उसे तोड़-मरोड़ कर बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिशिग काॅरपोरेशन लिमिटेड पटना द्वारा वर्ग 8 के सामान्य अध्ययन के किताब ‘‘अतीत से वर्तमान’’ भाग 3 के अध्याय 8 में जातीय व्यवस्था की चुनौतियों वाली चैप्टर में महाड़ सत्याग्रह के जगह पर महादलित शब्द का प्रयोग कर, सम्पूर्ण अनुसूचित जाति समाज को अपमानित करने का काम किया गया है.

NCSC के पूर्व सदस्य ने बिहार सरकार पर साधा निशाना : भाजपा नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के पूर्व सदस्य योगेंद्र पासवान ने कहा है कि महादलित शब्द ही असंवैधानिक है. नीतीश कुमार कहा करते है कि मैं अपने पिताजी के साथ पुड़िया बांधने का काम करते थे. लेकिन आजकल दलित समाज के बीच जहर का पुड़िया बांध रहें है. संविधान निर्माता बाबा साहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. बिहार सरकार ‘‘अतीत से वर्तमान’’ (सामान्य अध्ययन) के पुस्तक में से महादलित शब्द को शीघ्र हटाए, अन्यथा दलित समाज आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा. भाजपा नेता ने कहा कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है. और इसे किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

'भाजपा सिर्फ बांटने का काम करती है. ऐसे मुद्दों पर सियासत नहीं की जानी चाहिए. आठवीं के टेक्स्ट बुक में अगर कुछ त्रुटि है तो उसे सरकार के स्तर पर देखा जाएगा. गलती पाए जाने पर सुधार भी किया जाएगा.' - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'टेक्स्ट बुक में भ्रामक तथ्य संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के बारे में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए. यह गंभीर मसला है. खास तौर पर महादलित शब्द का इस्तेमाल भी गैर संवैधानिक है. सरकार इसे प्रमुखता से देखे और पूरे मामले की जांच कराए. पुस्तक को तब तक के लिए रोक लगा देना चाहिए. जबतक कि भूल सुधार ना कर लिया जाए.' - नरेंद्र कुमार, दलित चिंतक

Last Updated : Jan 10, 2023, 10:37 PM IST
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