पटना: बिहार की राजधानी पटना में केंद्रीय एजेंसियों की लालू परिवार से पूछताछ और छापेमारी ने सियासी (Politics on ED raid on Lalu family) सरगर्मी बढ़ा दी है. तेजस्वी यादव को सीबीआई की तरफ से समन भी जारी किया गया है. सीबीआई के समन और ईडी की छापेमारी से बिहार में कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. तेजस्वी उपमुख्यमंत्री हैं, पांच विभागों के मंत्री हैं और आरजेडी का नेतृत्व कर रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव पर यदि कोई कार्रवाई होती है तो बिहार में बड़ी राजनीतिक उठापटक हो सकते है.
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सरकार गिरने के लग रहे कयासः राजनीतिक गलियारों में 2017 में महागठबंधन सरकार गिरने की फिर से चर्चा शुरू हो गई है. वहीं आरजेडी कह रही है कि बीजेपी का मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा, तो वही बीजेपी कह रही यह सब कुछ नीतीश कुमार और ललन सिंह के कारण ही हो रहा है. नीतीश कुमार कभी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी देने वाले नहीं हैं. वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं तेजस्वी यादव की मुश्किल बढ़ सकती है.
सीबीआई की छापेमारी के बाद 2017 में नीतीश महागठबंधन से हुए थे अलग: बिहार में 2015 में जब महागठबंधन की सरकार बनी तो 2 साल में ही सरकार गिर गई. उस समय भी उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई की तरफ से छापेमारी भी हुई थी और नीतीश कुमार ने उस पर सफाई देने के लिए कहा था. मामला वहीं से गड़बड़ा गया और 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर NDA के साथ आ गए. एक बार फिर से नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ हैं और लालू परिवार पर लगातार केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है, लेकिन सबकी नजर तेजस्वी यादव को लेकर है.
ईडी ने 600 करोड़ की संपत्ति होने की बात कहीः ईडी ने लालू परिवार के 24 ठिकानों पर छापेमारी की है. उसमें तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित आवास पर भी छापेमारी की गई है. छापेमारी में एक करोड़ का कैश और गहने ईडी ने मिलने की बात कही है और 600 करोड़ की संपत्ति का पता चला है. विपक्ष इस पर हमलावर है, वहीं आरजेडी बीजेपी पर निशाना साध रही है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है ईडी और सीबीआई की कार्रवाई से तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है, लेकिन पूरे मामले में नीतीश कुमार खुलकर नहीं बोल रहे हैं. जबकि यह सरकार राजद के सहयोग से ही चल रही है.
" ईडी और सीबीआई की कार्रवाई से तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है, लेकिन पूरे मामले में नीतीश कुमार खुलकर नहीं बोल रहे हैं. जबकि यह सरकार राजद के सहयोग से ही चल रही है" - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
बीजेपी और आरजेडी का आरोप-प्रत्यारोपः वहीं बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है सब कुछ किया धरा नीतीश कुमार के शासन के समय का ही है. नीतीश कुमार किसी कीमत पर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने वाले नहीं हैं. नीतीश कुमार के शासन में ही जदयू के तरफ से सारे सबूत पहुंचाए गए थे. वहीं आरजेडी बीजेपी पर निशाना साध रही है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी राजनीतिक है. जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है बीजेपी में बेचैनी है लेकिन बीजेपी का इस बार हित सधने वाला नहीं है.
"सब कुछ किया धरा नीतीश कुमार के शासन के समय का ही है. नीतीश कुमार किसी कीमत पर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने वाले नहीं हैं. नीतीश कुमार के शासन में ही जदयू के तरफ से सारे सबूत पहुंचाए गए थे" -अरविंद सिंह प्रवक्ता बीजेपी
तेजस्वी पर कार्रवाई हुई तो सूबी की राजनीति ले सकती है करवट: नौकरी के बदले जमीन लेने का मामला पुराना है. जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उसी समय यह सारा खेल हुआ है. पहले भी सीबीआई के तरफ से छापेमारी हुई थी. लालू प्रसाद यादव के करीबी भोला यादव को भी पहले इसी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. इस बार भी ईडी ने छापेमारी के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी है और 600 करोड़ की संपत्ति को लेकर ट्वीट किया है. वहीं एक करोड़ कैश मिलने की बात कही है. साथ में बड़े पैमाने पर गहने मिलने की जो जानकारी दी है.उसको देखते हुए राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि तेजस्वी यादव पर केंद्रीय एजेंसियों की तरफ से बड़ी कार्रवाई हो सकती है. यदि कार्रवाई हुई तब बिहार की राजनीति कौन सा करवट लेगा यह देखना दिलचस्प होगा.
"केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी राजनीतिक है. जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है बीजेपी में बेचैनी है लेकिन बीजेपी का इस बार हित सधने वाला नहीं है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी