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बिहार के सियासी गलियारों में दही-चूड़ा भोज को लेकर हलचल तेज, खरमास के बाद 'उठापटक' के कयास - JDU Dahi Chuda Bhoj

JDU Dahi Chuda Bhoj बिहार में दही-चूड़ा का सियासी भोज हमेशा चर्चा में रहा है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी दही-चूड़ा का भोज करते हैं. काफी चर्चा में रहता है. वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह वर्षों से दही-चूड़ा का भोज करते रहे हैं. इस बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार, बीजेपी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. वहीं आरजेडी से उनकी दूरियां बढ़ रही है. ऐसे में आशंका जतायी जा रही है कि खरमास के बाद बिहार में फिर से बड़ा राजनीतिक भूचाल आने वाला है. इसलिए संक्रांति पर होने वाली दही-चूड़ा भोज को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. पढ़ें, विस्तार से.

बिहार में राजनीतिक परिवर्तन को लेकर कयास.
बिहार में राजनीतिक परिवर्तन को लेकर कयास.
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 4, 2024, 6:55 PM IST

बिहार में राजनीतिक परिवर्तन को लेकर कयास.

पटना: ज्योतिष और धार्मिक मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं इस काल को खरमास कहते हैं. इस साल 16 दिसंबर से खरमास शुरू हुआ. मान्यता है कि खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य यानी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. ये पाबंदी पूरे एक महीने तक के लिए होती है. कुछ दिनों के बाद खरमास समाप्त होगा और 14 जनवरी को संक्रांति मनायी जाएगी. इस मौके पर दही-चूड़ा खाने और खिलाने यानी की भोज देने की परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए राजनीतिक निशाना भी साधे जाएंगे. बिहार के राजनीतिक गलियारे में अभी से यह चर्चा है कि खरमास के बाद राजनीतिक उठा पटक हो सकता है.


जदयू में दही-चूड़ा भोज का इतिहास: मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित होने वाले चूड़ा दही के भोज को लेकर अभी से बयानबाजी शुरू है. वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर जदयू की ओर से चूड़ा दही का भोज आयोजित होता रहा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से किसी न किसी कारण से चूड़ा दही का भोज रद्द होता रहा है. पिछले साल जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर चूड़ा दही का भोज होना था, उस समय उपेंद्र कुशवाहा जदयू में थे. लेकिन, शरद यादव के निधन के बाद भोज को रद्द कर दिया गया. इस बार वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर दही-चूड़ा भोज आयोजित किए जाने की चर्चा हो रही है. हालांकि अभी अंतिम रूप से फैसला नहीं लिया गया है. वशिष्ठ नारायण सिंह फिलहाल दिल्ली में हैं और इस सप्ताह पटना आ जाएंगे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा.

"दही चूड़ा भोज बिहार में सियासी हलचल पैदा करता रहा है. इस बार भी कई तरह की चर्चा है नीतीश कुमार को लेकर. क्योंकि लोकसभा चुनाव सामने है, बहुत अधिक समय अब बचा नहीं है. इसलिए जो भी फैसला लेना होगा खरमास के बाद वह दिखने लगेगा."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

भोज की सियासत पर राजनीतिक जानकारों की नजरः चूड़ा दही का भोज को लेकर जदयू के नेता फिलहाल खामोश हैं और कह रहे हैं कि अभी जानकारी नहीं है क्या होगा. कोरोना के बाद से ही बड़े स्तर पर इसका आयोजन नहीं हो पा रहा है. ऐसे जदयू नेताओं को इंतजार है कि इस बार भी वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर बड़ा कार्यक्रम हो. जदयू की मंत्री शीला मंडल का कहना है कि ''दही चूड़ा भोज को लेकर अभी जानकारी नहीं है. हम तो अपने क्षेत्र में रहेंगे और वहीं दही चूड़ा का भोज करेंगे.''

''लालू प्रसाद यादव दो दिनों तक दही-चूड़ा का भोज करते हैं. 14 जनवरी को सामान्य भोज होता है, जिसमें सभी लोग शामिल होते हैं. 15 जनवरी को सिर्फ मुसलमानों के लिए भोज करते हैं और अपने भोज से मैसेज देने की कोशिश करते हैं. खरमास के बाद संभावित उठा पटक के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी का मंसूबा पूरा होने वाला नहीं है.''- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

"खरमास के बाद जो कुछ भी होना है, वह राजद और जदयू में ही होगा. क्योंकि लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. जहां तक बीजेपी की बात है तो नीतीश कुमार के लिए अब बीजेपी का दरवाजा बंद हो चुका है."- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता भाजपा

बिहार में राजनीतिक परिवर्तन को लेकर कयास.

पटना: ज्योतिष और धार्मिक मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं इस काल को खरमास कहते हैं. इस साल 16 दिसंबर से खरमास शुरू हुआ. मान्यता है कि खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य यानी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. ये पाबंदी पूरे एक महीने तक के लिए होती है. कुछ दिनों के बाद खरमास समाप्त होगा और 14 जनवरी को संक्रांति मनायी जाएगी. इस मौके पर दही-चूड़ा खाने और खिलाने यानी की भोज देने की परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए राजनीतिक निशाना भी साधे जाएंगे. बिहार के राजनीतिक गलियारे में अभी से यह चर्चा है कि खरमास के बाद राजनीतिक उठा पटक हो सकता है.


जदयू में दही-चूड़ा भोज का इतिहास: मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित होने वाले चूड़ा दही के भोज को लेकर अभी से बयानबाजी शुरू है. वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर जदयू की ओर से चूड़ा दही का भोज आयोजित होता रहा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से किसी न किसी कारण से चूड़ा दही का भोज रद्द होता रहा है. पिछले साल जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर चूड़ा दही का भोज होना था, उस समय उपेंद्र कुशवाहा जदयू में थे. लेकिन, शरद यादव के निधन के बाद भोज को रद्द कर दिया गया. इस बार वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर दही-चूड़ा भोज आयोजित किए जाने की चर्चा हो रही है. हालांकि अभी अंतिम रूप से फैसला नहीं लिया गया है. वशिष्ठ नारायण सिंह फिलहाल दिल्ली में हैं और इस सप्ताह पटना आ जाएंगे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा.

"दही चूड़ा भोज बिहार में सियासी हलचल पैदा करता रहा है. इस बार भी कई तरह की चर्चा है नीतीश कुमार को लेकर. क्योंकि लोकसभा चुनाव सामने है, बहुत अधिक समय अब बचा नहीं है. इसलिए जो भी फैसला लेना होगा खरमास के बाद वह दिखने लगेगा."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

भोज की सियासत पर राजनीतिक जानकारों की नजरः चूड़ा दही का भोज को लेकर जदयू के नेता फिलहाल खामोश हैं और कह रहे हैं कि अभी जानकारी नहीं है क्या होगा. कोरोना के बाद से ही बड़े स्तर पर इसका आयोजन नहीं हो पा रहा है. ऐसे जदयू नेताओं को इंतजार है कि इस बार भी वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर बड़ा कार्यक्रम हो. जदयू की मंत्री शीला मंडल का कहना है कि ''दही चूड़ा भोज को लेकर अभी जानकारी नहीं है. हम तो अपने क्षेत्र में रहेंगे और वहीं दही चूड़ा का भोज करेंगे.''

''लालू प्रसाद यादव दो दिनों तक दही-चूड़ा का भोज करते हैं. 14 जनवरी को सामान्य भोज होता है, जिसमें सभी लोग शामिल होते हैं. 15 जनवरी को सिर्फ मुसलमानों के लिए भोज करते हैं और अपने भोज से मैसेज देने की कोशिश करते हैं. खरमास के बाद संभावित उठा पटक के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी का मंसूबा पूरा होने वाला नहीं है.''- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

"खरमास के बाद जो कुछ भी होना है, वह राजद और जदयू में ही होगा. क्योंकि लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. जहां तक बीजेपी की बात है तो नीतीश कुमार के लिए अब बीजेपी का दरवाजा बंद हो चुका है."- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता भाजपा

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