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Bihar Hooch Tragedy: विपक्ष को रास नहीं आ रहा मुआवजे की प्रक्रिया, बोले- 'यह काफी पेचीदा है'

बिहार में शराब से मौत में मुआवजा को लेकर की जाने वाली प्रक्रिया को जारी कर दिया गया है. हालांकि इस प्रक्रिया को विपक्ष के लोग जटिल बता रहे हैं. सुशील मोदी और राजनीति विश्लेषक भी इसे कानूनी पेंच बता रहे हैं. विपक्षों का कहना है कि इतनी जटिल प्रक्रिया में लोगों को कैसे लाभ मिलेगा. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 18, 2023, 8:49 PM IST

विपक्ष को रास नहीं आ रही मुआवजे की प्रक्रिया

पटनाः बिहार में जहरीली शराब से मौत मामले में मुआवजा देने की घोषणा हो चुकी है. यह मुआवजा कैसे मिलेगा, इसकी जानकारी भी अधिकारी दे चुके हैं, लेकिन विपक्ष के नेता मुआवजे की प्रक्रिया को जटिल बता रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि यह इतनी जटिल प्रक्रिया है कि कई लोगों को इसमें लाभ ही नहीं मिलेगा. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मुआवजे की प्रक्रिया का विरोध किया है. कहा कि मुआवजे की प्रक्रिया को इतना पेचीदा बना दिया गया है, कि पीड़ितों तक इसका लाभ नहीं पहुंचेगा.

यह भी पढ़ेंः Bihar Hooch Tragedy: सीएम नीतीश को छपरा के पीड़ित परिवारों ने दी दुआएं, मुआवजे की घोषणा पर छलके आंसू

"मुआवजा देने की प्रक्रिया पेचीदा है. किसी परिजनों के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं है या कोई अस्पताल में भर्ती कराने का प्रमाण नहीं है तो उनलोगों को मुआवजा कैसे मिलेगा. शराब बिक्रेता का नाम बताना पड़ेगा. इतनी शर्त लगा दी गई है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट वालों के अलावा अधिकांश लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा." -सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद

कोई जटिल प्रक्रिया नहीं हैः जदयू प्रवक्ता डॉ सुनील ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. लेकिन लोग चोरी छिपे, गलत संगत में आकर नकली और जहरीली शराब पीए, जिससे उनकी मौत हो गई. इसमें उनके परिजनों का क्या कसूर है. इसी को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने मुआवजे की घोषणा की है. मुआवजे की प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है, लेकिन भाजपा वाले अनावश्यक बयान दे रहे हैं. इसमें साफ साफ है कि 17 अप्रैल से पहले जो मरे हैं, उनके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जरूरत नहीं है. अस्पताल का कोई भी पर्ची होगा, या जांच में सही पाया जाएगा तो लाभ दिया जाएगा.

"नीतीश सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. लोगों की समस्या को देखते हुए मुआवजे की राशि का ऐलान किया गया है. कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है. भाजपा के लोग अनावश्यक राजनीति करते हैं. प्रक्रिया साफ है कि पीड़ित परिवार को आवेदन देना है. इसकी जांच की जाएगी और मुआवजा दिया जाएगा." -डॉ सुनील, जदयू प्रवक्ता

सरकार ने होमवर्क नहीं कियाः राजनीतिक विशेषज्ञ शिवपूजन झा का मानना है कि सरकार ने एक बार इस प्रवाधान को लेकर होमवर्क नहीं की है. इसमें इतने कानूनी पेंच लगाए गए हैं कि आसानी से लोगों के पास लाभ नहीं पहुंच पाएगा. पहले तो नीतीश कुमार लगातार कहते थे कि शराब से मौत हुई है तो मुआवजा किस बात की, लेकिन नीतीश कुमार को डर हो गया कि यह उनके खिलाफ है. इसलिए उन्होंने मुआवजे का प्रावधान किया है. प्रशासन तस्कर के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं और यह जिम्मेदारी परिवार के लोगों पर थोपा जा रहा है. मुझे लग रहा है कि इसके लिए सरकार ने विचार नहीं की है.

"सरकार ने एक बार फिर कानून लाने से पहले होमवर्क नहीं किया है. इस मुआवजे के प्रावधान में इतने कानूनी पेंच हैं कि लोगों को लाभ ही नहीं मिल पाएगा. मुझे लग रहा है कि इसके लिए सरकार ने विचार नहीं किया है. प्रशासन तस्कर के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार को इसकी जानकारी देने को कह रहे हैं." - शिवपूजन झा, राजनीतिक विश्लेषक

क्या है प्रावधानः बता दें कि सरकार ने शराब से मौत मामले में पीड़ित परिवार को 4-4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है. मुआवजे के लिए कुछ प्रक्रिया है, जिसे पूरा करना होगा. पीड़ित परिवार को जिलाधिकारी के पास एक आवेदन देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि उसके परिवार के किस सदस्य की शराब पीने से मौत हुई है. 17 अप्रैल से पहले हुई मौत में पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है, लेकिन अस्पताल का पर्ची भी होगा तो चलेगा. आवेदन करने के बाद स्थानीय पुलिस-प्रशासन इसकी जांच करेगी और इसके बाद उक्त पीड़ित परिवार को मुआवजे की राशि दी जाएगी. साथ ही एक शपथ पत्र देना होगा कि वह शराबबंदी के पक्ष में है और लोगों को शराब नहीं पीने के लिए जागरूक करना होगा.

विपक्ष को रास नहीं आ रही मुआवजे की प्रक्रिया

पटनाः बिहार में जहरीली शराब से मौत मामले में मुआवजा देने की घोषणा हो चुकी है. यह मुआवजा कैसे मिलेगा, इसकी जानकारी भी अधिकारी दे चुके हैं, लेकिन विपक्ष के नेता मुआवजे की प्रक्रिया को जटिल बता रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि यह इतनी जटिल प्रक्रिया है कि कई लोगों को इसमें लाभ ही नहीं मिलेगा. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मुआवजे की प्रक्रिया का विरोध किया है. कहा कि मुआवजे की प्रक्रिया को इतना पेचीदा बना दिया गया है, कि पीड़ितों तक इसका लाभ नहीं पहुंचेगा.

यह भी पढ़ेंः Bihar Hooch Tragedy: सीएम नीतीश को छपरा के पीड़ित परिवारों ने दी दुआएं, मुआवजे की घोषणा पर छलके आंसू

"मुआवजा देने की प्रक्रिया पेचीदा है. किसी परिजनों के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं है या कोई अस्पताल में भर्ती कराने का प्रमाण नहीं है तो उनलोगों को मुआवजा कैसे मिलेगा. शराब बिक्रेता का नाम बताना पड़ेगा. इतनी शर्त लगा दी गई है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट वालों के अलावा अधिकांश लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा." -सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद

कोई जटिल प्रक्रिया नहीं हैः जदयू प्रवक्ता डॉ सुनील ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. लेकिन लोग चोरी छिपे, गलत संगत में आकर नकली और जहरीली शराब पीए, जिससे उनकी मौत हो गई. इसमें उनके परिजनों का क्या कसूर है. इसी को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने मुआवजे की घोषणा की है. मुआवजे की प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है, लेकिन भाजपा वाले अनावश्यक बयान दे रहे हैं. इसमें साफ साफ है कि 17 अप्रैल से पहले जो मरे हैं, उनके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जरूरत नहीं है. अस्पताल का कोई भी पर्ची होगा, या जांच में सही पाया जाएगा तो लाभ दिया जाएगा.

"नीतीश सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. लोगों की समस्या को देखते हुए मुआवजे की राशि का ऐलान किया गया है. कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है. भाजपा के लोग अनावश्यक राजनीति करते हैं. प्रक्रिया साफ है कि पीड़ित परिवार को आवेदन देना है. इसकी जांच की जाएगी और मुआवजा दिया जाएगा." -डॉ सुनील, जदयू प्रवक्ता

सरकार ने होमवर्क नहीं कियाः राजनीतिक विशेषज्ञ शिवपूजन झा का मानना है कि सरकार ने एक बार इस प्रवाधान को लेकर होमवर्क नहीं की है. इसमें इतने कानूनी पेंच लगाए गए हैं कि आसानी से लोगों के पास लाभ नहीं पहुंच पाएगा. पहले तो नीतीश कुमार लगातार कहते थे कि शराब से मौत हुई है तो मुआवजा किस बात की, लेकिन नीतीश कुमार को डर हो गया कि यह उनके खिलाफ है. इसलिए उन्होंने मुआवजे का प्रावधान किया है. प्रशासन तस्कर के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं और यह जिम्मेदारी परिवार के लोगों पर थोपा जा रहा है. मुझे लग रहा है कि इसके लिए सरकार ने विचार नहीं की है.

"सरकार ने एक बार फिर कानून लाने से पहले होमवर्क नहीं किया है. इस मुआवजे के प्रावधान में इतने कानूनी पेंच हैं कि लोगों को लाभ ही नहीं मिल पाएगा. मुझे लग रहा है कि इसके लिए सरकार ने विचार नहीं किया है. प्रशासन तस्कर के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार को इसकी जानकारी देने को कह रहे हैं." - शिवपूजन झा, राजनीतिक विश्लेषक

क्या है प्रावधानः बता दें कि सरकार ने शराब से मौत मामले में पीड़ित परिवार को 4-4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है. मुआवजे के लिए कुछ प्रक्रिया है, जिसे पूरा करना होगा. पीड़ित परिवार को जिलाधिकारी के पास एक आवेदन देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि उसके परिवार के किस सदस्य की शराब पीने से मौत हुई है. 17 अप्रैल से पहले हुई मौत में पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है, लेकिन अस्पताल का पर्ची भी होगा तो चलेगा. आवेदन करने के बाद स्थानीय पुलिस-प्रशासन इसकी जांच करेगी और इसके बाद उक्त पीड़ित परिवार को मुआवजे की राशि दी जाएगी. साथ ही एक शपथ पत्र देना होगा कि वह शराबबंदी के पक्ष में है और लोगों को शराब नहीं पीने के लिए जागरूक करना होगा.

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