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'BJP के साथ बना रहे गठबंधन, इसीलिए नीतीश ने pk और पवन वर्मा को किया बाहर'

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Published : Jan 30, 2020, 1:05 PM IST

Updated : Jan 30, 2020, 2:47 PM IST

प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे बागियों पर बीजेपी के नेता कार्रवाई की मांग कर रहे थे. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए ऐसे बागियों को अपने साथ रखना गठबंधन पर असर डाल सकता था.

Patna
Patna

पटनाः जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को प्राथमिक सदस्यता और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने पर सियासत तेज हो गई है. राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2020 का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में नीतीश नहीं चाहते थे कि बागियों के कारण बीजेपी के साथ तालमेल पर किसी तरह का कोई असर पड़े.

बागी नेताओं के बयान से हो सकती थी परेशानी
ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अजय झा ने कहा कि जब सरकार बेहतर ढंग से चल रही है. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी गठबंधन हो रहा है. ऐसे में पार्टी के बागी नेताओं के बयान से किसी तरह की परेशानी खड़ी हो सकती है. इसीलिए नीतीश कुमार ने इतना बड़ा फैसला लिया है.

प्रशांत किशोर के जेडीयू से बाहर होने पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

'नीतीश कुमार के साथ विश्वास का तालमेल'
वहीं, बीजेपी नेता अजीत चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ विश्वास का तालमेल है. उनके इस कदम से उन नेताओं को अब अपनी औकात पता चल गई होगी. जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अपने बयान और ट्वीट से एनडीए पर लगातार निशाना साध रहे थे. इससे बीजेपी नेताओं की नाराजगी बढ़ने लगी थी. नीतीश कुमार बिहार में लगातार कई सालों से एनडीए का चेहरा हैं. 2020 में उन्हीं के नेतृत्व में एनडीए का चुनाव लड़ना तय हो चुका है.

कार्रवाई की मांग कर रहे थे बीजेपी नेता
प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे बागियों पर बीजेपी के नेता कार्रवाई की मांग कर रहे थे. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए ऐसे बागियों को अपने साथ रखना गठबंधन पर असर डाल सकता था. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ श्याम रजक ने और गुलाम रसूल बलियावी ने भी बयान दिया था. हालांकि पार्टी नेताओं की चेतावनी के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली.

पटनाः जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को प्राथमिक सदस्यता और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने पर सियासत तेज हो गई है. राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2020 का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में नीतीश नहीं चाहते थे कि बागियों के कारण बीजेपी के साथ तालमेल पर किसी तरह का कोई असर पड़े.

बागी नेताओं के बयान से हो सकती थी परेशानी
ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अजय झा ने कहा कि जब सरकार बेहतर ढंग से चल रही है. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी गठबंधन हो रहा है. ऐसे में पार्टी के बागी नेताओं के बयान से किसी तरह की परेशानी खड़ी हो सकती है. इसीलिए नीतीश कुमार ने इतना बड़ा फैसला लिया है.

प्रशांत किशोर के जेडीयू से बाहर होने पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

'नीतीश कुमार के साथ विश्वास का तालमेल'
वहीं, बीजेपी नेता अजीत चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ विश्वास का तालमेल है. उनके इस कदम से उन नेताओं को अब अपनी औकात पता चल गई होगी. जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अपने बयान और ट्वीट से एनडीए पर लगातार निशाना साध रहे थे. इससे बीजेपी नेताओं की नाराजगी बढ़ने लगी थी. नीतीश कुमार बिहार में लगातार कई सालों से एनडीए का चेहरा हैं. 2020 में उन्हीं के नेतृत्व में एनडीए का चुनाव लड़ना तय हो चुका है.

कार्रवाई की मांग कर रहे थे बीजेपी नेता
प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे बागियों पर बीजेपी के नेता कार्रवाई की मांग कर रहे थे. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए ऐसे बागियों को अपने साथ रखना गठबंधन पर असर डाल सकता था. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ श्याम रजक ने और गुलाम रसूल बलियावी ने भी बयान दिया था. हालांकि पार्टी नेताओं की चेतावनी के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली.

Intro:
पटना-- बिहार में नीतीश कुमार पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से बीजेपी के साथ गठबंधन में है लेकिन प्रशांत किशोर के बयान और ट्वीट से बीजेपी नेताओं की नाराजगी बढ़ने लगी थी। अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2020 का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है ऐसे में नीतीश नहीं चाहते थे कि बागियों के कारण बीजेपी के साथ तालमेल पर किसी तरह का असर पड़े। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि बागियों से छुटकारा के पीछे नीतीश कुमार की सोच यही होगी बिहार में बीजेपी के साथ अंडरस्टैंडिंग से सरकार चलाई है और तालमेल राष्ट्रीय स्तर पर भी जब हो रहा हो तो इसमें किसी तरह का व्यवधान न आए।
खास रिपोर्ट----


Body:बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के लगातार कई सालों से चेहरा है । 2020 में भी उन्हीं के नेतृत्व में एन डी ए चुनाव लड़ेगा यह भी तय हो चुका है। प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे बागियों को लेकर बीजेपी की ओर से लगातार नाराजगी जताई जा रही थी। सुशील मोदी तक ने अपनी नाराजगी जताई थी। बीजेपी के नेता कार्रवाई की मांग कर रहे थे। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए ऐसे बागियों को जो बीजेपी के खिलाफ और सरकार के फैसलों के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हो अपने साथ रखना गठबंधन पर असर डाल सकता था। प्रोफेसर अजय झा के अनुसार जब सरकार बेहतर ढंग से चल रही है और राष्ट्रीय स्तर पर भी गठबंधन हो रहा हो तो ऐसे में पार्टी के बागी नेताओं के बयान से किसी तरह की परेशानी खड़ी होती हो ठीक नहीं होगा। और नीतीश कुमार ने इसलिए बड़ा फैसला लिया है।
बाईट-- अजय झा प्रोफ़ेसर, ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट
बीजेपी के नेता भी कहते हैं कि नीतीश कुमार के साथ विश्वास का तालमेल है और उन नेताओं को अब अपनी औकात पता चल गई होगी।
बाईट-- अजीत चौधरी प्रवक्ता बीजेपी


Conclusion:नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ श्याम रजक ने भी बयान दिया था और गुलाम रसूल बलियावी ने भी। हालांकि पार्टी नेताओं की चेतावनी के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली । प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पर पार्टी ने कार्रवाई कर दी है तो देखना दिलचस्प है सीएए, एनपीआर और अन्य मुद्दों पर नीतीश कुमार के तय लाइन लेंथ के खिलाफ बोलने का पार्टी का कोई नेता साहस जुटा पाता है। ऐसे अब इसकी उम्मीद कम ही है क्योंकि नीतीश कुमार बागियों के खिलाफ पहली तो कार्रवाई करने से बचते रहे हैं पार्टी में उनके लिए ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं कि रहना मुश्किल हो जाता है खुद पार्टी छोड़कर उन्हें जाना पड़ता है। शरद यादव जैसे नेताओं का हाल भी नीतीश ने इसी रणनीति के तहत किया था। ऐसे ललन सिंह और कुछ नेताओं पर जरूर पहले कार्रवाई नीतीश ने की है लेकिन पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी पाने वाले प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे नेताओं पर कार्रवाई के बाद शायद ही कोई नीतीश के खिलाफ बोलने का साहस जुटा पाए।
अविनाश, पटना।
Last Updated : Jan 30, 2020, 2:47 PM IST
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