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अधर में बिहार 'BJP की तिकड़ी' का राजनीतिक भविष्य, असमंजस की स्थिति बरकरार

बिहार बीजेपी (Bihar BJP) उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. तीन दशक तक बिहार की राजनीति (Bihar Politics) के केंद्र में रहे नेताओं का राजनीतिक भविष्य अधर में है. सुशील मोदी (Sushil Modi), नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav) और प्रेम कुमार (Prem Kumar) को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. देखें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Jul 15, 2021, 8:33 PM IST

पटना: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) सुशील मोदी (Sushil Modi), नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav) और प्रेम कुमार (Prem Kumar) के नाम से जानी जाती थी. तीनों नेता लंबे समय तक पार्टी के नीति निर्धारक रहे हैं. 15 साल तक सुशील मोदी जहां उपमुख्यमंत्री बने रहे. वहीं, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिली. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 2020 के विधानसभा चुनाव में कमजोर हुए और इसका सीधा असर तीनों नेताओं के करियर पर पड़ा है.

ये भी पढ़ें- राजनीति के माहिर खिलाड़ी: जिन्होंने 2015 में BJP की हारी हुई बाजी को 2017 में जीत में बदल दी

तीनों नेता नीतीश कुमार की पसंद माने जाते थे और सरकार बनने के वक्त तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जाता था. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में नीतीश कमजोर हुए और तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी.

देखें रिपोर्ट

सुशील मोदी को बाद में राज्यसभा भेजा गया, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में उनके हाथ निराशा लगी और बिहार से किसी भी नेता को दूसरे विस्तार में जगह नहीं मिली. जेपी नड्डा की टीम में कुछ पद खाली पड़े हैं. केंद्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष के दो पद अन्नपूर्णा देवी और मुकुल राय के चलते खाली हुए हैं. महामंत्री के 2 पद भी खाली हैं. भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं और राष्ट्रीय मंत्री के भी 2 पद खाली हैं.

''तीनों नेताओं की भूमिका पार्टी में अभी है. जहां तक सवाल जगह मिलने की है, तो सिर्फ नेतृत्व समय-समय पर नेताओं की भूमिका और जिम्मेदारी तय करता है.''- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता

''सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार आज भी भाजपा के लिए उपयोगी हैं और पार्टी उन्हें महत्व देती है. जहां तक सवाल केंद्रीय कमेटी या फिर राज्यपाल बनाए जाने को लेकर है, तो उस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.''- नवल किशोर यादव, वरिष्ठ नेता, बीजेपी

''सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार लंबे समय तक बीजेपी की रीढ़ हुआ करते थे. लेकिन, नरेंद्र मोदी की टीम का भरोसा तीनों नेताओं के ऊपर बहुत ज्यादा नहीं है. संभव है कि इनमें से कुछ नेताओं को केंद्रीय कमेटी में जगह मिले या फिर भविष्य में राज्यपाल भी बनाया जा सकता है.''- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि केंद्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष 12, महामंत्री 10 और मंत्री 15 होते हैं. केंद्रीय कमेटी में बिहार से फिलहाल सिर्फ राधामोहन सिंह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. राधा मोहन सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है. संभव है कि सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार में से किसी एक को केंद्रीय कमेटी में जगह मिले. जिन्हें केंद्रीय कमेटी में जगह नहीं मिलेगी उन्हें भविष्य में राज्यपाल बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा में विधायकों की पिटाई पर फिर तेज हुई सियासत, विपक्षी सदस्यों ने कहा- अब भी लगता है डर

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तीनों नेता नीतीश कुमार की पसंद माने जाते थे और सरकार बनने के वक्त तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जाता था. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में नीतीश कमजोर हुए और तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी.

देखें रिपोर्ट

सुशील मोदी को बाद में राज्यसभा भेजा गया, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में उनके हाथ निराशा लगी और बिहार से किसी भी नेता को दूसरे विस्तार में जगह नहीं मिली. जेपी नड्डा की टीम में कुछ पद खाली पड़े हैं. केंद्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष के दो पद अन्नपूर्णा देवी और मुकुल राय के चलते खाली हुए हैं. महामंत्री के 2 पद भी खाली हैं. भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं और राष्ट्रीय मंत्री के भी 2 पद खाली हैं.

''तीनों नेताओं की भूमिका पार्टी में अभी है. जहां तक सवाल जगह मिलने की है, तो सिर्फ नेतृत्व समय-समय पर नेताओं की भूमिका और जिम्मेदारी तय करता है.''- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता

''सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार आज भी भाजपा के लिए उपयोगी हैं और पार्टी उन्हें महत्व देती है. जहां तक सवाल केंद्रीय कमेटी या फिर राज्यपाल बनाए जाने को लेकर है, तो उस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.''- नवल किशोर यादव, वरिष्ठ नेता, बीजेपी

''सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार लंबे समय तक बीजेपी की रीढ़ हुआ करते थे. लेकिन, नरेंद्र मोदी की टीम का भरोसा तीनों नेताओं के ऊपर बहुत ज्यादा नहीं है. संभव है कि इनमें से कुछ नेताओं को केंद्रीय कमेटी में जगह मिले या फिर भविष्य में राज्यपाल भी बनाया जा सकता है.''- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि केंद्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष 12, महामंत्री 10 और मंत्री 15 होते हैं. केंद्रीय कमेटी में बिहार से फिलहाल सिर्फ राधामोहन सिंह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. राधा मोहन सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है. संभव है कि सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार में से किसी एक को केंद्रीय कमेटी में जगह मिले. जिन्हें केंद्रीय कमेटी में जगह नहीं मिलेगी उन्हें भविष्य में राज्यपाल बनाया जा सकता है.

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