पटना: बिहार में राजनीतिक हलचलों के बीच अब जोड़तोड़ की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो सभी विधायकों एमपी से राय मशविरा जरूर करते हैं. इसी के तहत मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के सभी विधायकों (CM Nitish Called MLA MP Meeting) को पटना बुलाया है और मंगलवार को विधायकों और सांसदों की बैठक करने जा रहे हैं.
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बिहार सरकार में होंगे बड़े परिवर्तन!: बैठक में आगे की रणनीति पर नीतीश फैसला ले सकते हैं. इससे पहले भी जब बीजेपी से अलग होना था तो बैठक की गई थी. वहीं जब महागठबंधन (CM Nitish Government With Mahagathbandhan) से अलग होना था तब भी इसी तरह की बैठक की गई थी. एक बार फिर से बैठक का आह्वान कर सीएम नीतीश ने सियासी पारा बढ़ा दिया है.
बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाना आसान: बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. महागठबंधन खेमे में अभी 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें आरजेडी के 79 विधायक, कांग्रेस के 19 विधायक, माले के 12 विधायक, सीपीआई के दो और सीपीएम के दो विधायक शामिल हैं. बहुमत से महागठबंधन खेमा अभी 8 विधायक दूर है लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने के बाद महागठबंधन के विधायकों की संख्या बढ़कर बहुमत से काफी अधिक हो जाएगी. यह संख्या बढ़कर 159 तक पहुंच जाएगी.
बहुमत के साथ नीतीश बना सकते हैं सरकार: इसमें से यदि जीतन राम मांझी के चार, एक निर्दलीय विधायक को भी जोड़ दें तो यह संख्या 164 तक पहुंच जाएगी, जो बहुमत के 122 के आंकड़े से काफी अधिक है. संख्या बल के हिसाब से सरकार (Bihar Political equation) बनाने में कहीं कोई परेशानी आने वाली नहीं है. अभी एनडीए के पास 127 विधायकों का समर्थन है और उस संख्या से नया समीकरण यदि बनता है तो वह काफी अधिक होगा.
यह है बिहार सरकार का राजनीतिक समीकरण: फिलहाल बिहार में डबल इंजन की सरकार है. बीजेपी और जदयू के साथ ही अन्य सहयोगियों की मदद से सरकार चल रही है. एनडीए में अभी बीजेपी के 77, जदयू के 45, हम के 04 और 01 निर्दलीय विधायक हैं. कुल विधायाकों की संख्या 127 है. वहीं अगर सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो जाते हैं तो कुछ इस तरह के समीकरण देखने को मिलेंगे. राजद के 79, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, माले के 12, सीपीआई के 02, सीपीएम के 01 और 01 निर्दलीय विधायकों की संख्या होगी जो कुल 159 है. इसमें हम के 4 विधायक जोड़ दें तो यह संख्या 163 हो जाएगी.
तेजस्वी के साथ डील लगभग फाइनल: बिहार की राजनीति में परिवर्तन के बाद बीजेपी के 77 और एआईएमआईएम के एक विधायक बाहर रह जाएंगे. चर्चा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच डील लगभग फाइनल हो गयी है. कुछ चीजों पर पेंच फंसा हुआ है और उस पर भी सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री द्वारा बुलाये गए नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेना और ललन सिंह की ओर से आरसीपी सिंह के बहाने जिस प्रकार से बीजेपी पर निशाना साधा गया है, कहीं ना कहीं संकेत साफ है कि नीतीश एनडीए से अब निकलना चाहते हैं. एनडीए में कई कारणों से उनकी नाराजगी है और चाह कर भी अपनी बात बीजेपी से नहीं मनवा पा रहे हैं. आरसीपी सिंह भी रोड़ा बने हुए थे. अब वह भी पार्टी से बाहर हो चुके हैं.
चुनौतिपूर्ण होगा बीजेपी के लिए आगामी इलेक्शन: एनडीए से नीतीश यदि बाहर निकलते हैं तो बीजेपी के लिए बिहार में 2024 का चुनाव एक बड़ी चुनौती बन सकती है क्योंकि बिहार में कुल 40 सांसदों में से 39 सांसद अभी एनडीए के पास हैं, जिसमें 16 सांसद जदयू के हैं. 17 सांसद बीजेपी के, पशुपति पारस गुट के पांच और एक चिराग पासवान के हैं. महागठबंधन के पास केवल एक सांसद कांग्रेस के हैं लेकिन नीतीश कुमार के महागठबंधन खेमे में जाने के बाद 2024 और 2025 का चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
बैठक के बाद सीएम ले सकते हैं बड़ा फैसला: नीतीश कुमार जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो अपने सभी विधायक, सभी सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाते हैं. राय मशविरा लेने के बाद फैसला लेते हैं. 2017 में भी जब महागठबंधन से नीतीश कुमार को निकलना था तो इसी तरह से बैठक बुलाई थी और उसके बाद फैसला लिया था. इसके कारण राजनीतिक सरगर्मी बढ़नी शुरू हो गई है.
सीएम नीतीश ने की सोनिया गांधी से बात: बता दें कि नीतीश कुमार पहले भी दो बार पाला बदल चुके हैं. पहले बीजेपी से अलग होकर आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाए थे. उसमें एक कांग्रेसी भी शामिल था. वहीं 2017 में महागठबंधन से अलग होकर फिर से एनडीए की सरकार बना ली और अब एक बार फिर से नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चा है. नीतीश कुमार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (CM Nitish Talks To Sonia Gandhi) से भी फोन पर बातचीत की है. सूत्रों के अनुसार सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई है क्योंकि यह तय माना जा रहा है कि सरकार में कांग्रेस भी शामिल होगी.
पहले भी नीतीश आरजेडी के साथ बना चुके हैं सरकार: नीतीश कुमार का सुशासन (Good Governance of Nitish Kumar) वाले नारे पर 2010 में यह बात और सही साबित हुई थी जब तीर इतनी तेजी से लालटेन पर चला कि राष्ट्रीय जनता दल को बिहार विधानसभा में विपक्ष तक का दर्जा नहीं मिल पाया. जनता ने पूरे तौर पर राष्ट्रीय जनता दल को नकार दिया था. लेकिन, 2013 के बाद बदले राजनीतिक हालात और 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू के साथ आ जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार की राजनीति में जो वापसी की, अगर उसका राजनीतिक श्रेय दिया जाता है तो वो भी नीतीश के खाते में ही जाएगा. कई सालों की दुश्मनी को दर किनार करके लालू यादव और नीतीश कुमार ने हाथ मिलाकर सभी को चौंका दिया था.
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