पटना: कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ कांग्रेस की ओर से 70 सीटों की मांग की जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में 58 प्लस 1 के फार्मूले पर कांग्रेस को दो टूक कह दिया गया है कि इससे ज्यादा नहीं मिलेगा. सिर्फ कांग्रेस नहीं बल्कि इससे पहले राजद के रवैये को देखते हुए हम और रालोसपा भी महागठबंधन से अलग हो चुके हैं. आखिर किस आधार पर राजद अपने सहयोगियों को आंखें दिखा रहा है. यह तो जीत के बाद ही पता चलेगा.
चुनाव में मुद्दों का अहम रोल
चुनाव में मुद्दों का बड़ा अहम रोल होता है. वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में पुलवामा के राष्ट्रीय मुद्दे ने बीजेपी का बेड़ा पार कर दिया था. राष्ट्रीय मुद्दे ने ऐसा कमाल किया कि बीजेपी ने जदयू के साथ मिलकर बिहार के 40 में से 39 सीटें जीत ली. पिछले चुनाव से सीख लेकर इस बार राष्ट्रीय जनता दल पूरी तरह से एक्शन में दिख रहा है. शुरुआत बीजेपी की तरफ से हुई 'आत्मनिर्भर बिहार' का स्लोगन देकर एक तरह से जेडीयू और बीजेपी ने बिहार में एक बड़ी समस्या को ढंकने की कोशिश की गई. इधर जदयू ने 'सात निश्चय पार्ट 2' की घोषणा करके लोगों को रिझाने की कोशिश की. लेकिन राजद ने पूरी तैयारी कर रखी थी और ऐन मौके पर राष्ट्रीय जनता दल ने बेरोजगारी मुद्दे को लेकर बड़ा दांव चल दिया. तेजस्वी ने ऐलान कर दिया कि हमारी सरकार बनी तो पहली कैबिनेट में 10 लाख स्थाई नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू करेंगे.
बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की ओर से बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की है. यह कोशिश शुरू हुई जनवरी महीने में जब तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि वह पूरे बिहार में बेरोजगारी हटाओ यात्रा पर निकलेंगे. इसके लिए बेरोजगार रथ भी तैयार कराया गया. बजट सत्र के दौरान मोतिहारी और गया समेत कई जगहों पर तेजस्वी ने बेरोजगारी हटाओ यात्रा की. जिसमें उन्हें जबरदस्त रिस्पांस देखने को मिला. राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि बेरोजगारी के मुद्दे पर मिले जबरदस्त युवा समर्थन ने राष्ट्रीय जनता दल और तेजस्वी को नई राह दिखा दी. जबसे तेजस्वी ने 10 लाख नौकरी देने के मुद्दे को उठाया है बिहार में चुनाव का पूरा अभियान अब बेरोजगारी के मुद्दे के आस-पास ही घूमता हुआ दिख रहा है. यह कड़वा सच है कि बिहार में सरकारी नौकरी और वह भी स्थाई नौकरी की तलाश में लाखों युवा बेरोजगार बैठे हैं. पिछले कई सालों से कोई स्थाई बहाली ग्रुप सी की नहीं हुई है.
बिहार में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर
संजय कुमार ने कहा कि बिहार में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का पूरा फायदा सिर्फ और सिर्फ मुख्य विपक्षी दल के नाते राजद को मिलने वाला है. उनका अपना जातीय समीकरण और सरकार के खिलाफ के सभी वोट राजद के हिस्से में जाएंगे. जिसका एहसास राष्ट्रीय जनता दल को है और यही वजह है कि वह समझ चुके हैं कि इस बार चुनाव में किसका सिक्का चलने वाला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत तमाम सहयोगियों को आंख दिखाने के पीछे बड़ी वजह यही है. राजद प्रदेश अध्यक्ष और चुनाव टीम के अहम भाग जगदानंद सिंह ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि इस बार युवा नेता तेजस्वी बिहार के बेरोजगारों का बेड़ा पार करने का प्रण कर चुके हैं. तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में जो भी आएगा हम उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. ऐसे में नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर राजद का अपना जातीय आधार और युवा नेतृत्व के साथ बेरोजगारी मुद्दा राजद के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है.