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पटना के गांधी मैदान थाना के पुलिसकर्मी जगदीश सिंह ने कोरोना वायरस पर लिखी एक कविता

पुलिसकर्मी जगदीश सिंह ने कहा कि इस वायरस से डर किसे नहीं पर ड्यूटी है साहब करनी तो पड़ेगी अपना फर्ज निभाना तो पड़ेगा.

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Published : Apr 3, 2020, 9:07 PM IST

पटना : कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए पूरे देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है. इस लॉकडाउन को प्रभावी बनाने में पुलिसकर्मियों की एक बड़ी भूमिका रही है. इस विकट परिस्थिति में पुलिसकर्मी बड़ी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी और फर्ज निभाते दिख रहे हैं. इसी कड़ी में पटना के गांधी मैदान थाना के हवलदार जगदीश सिंह ने कोरोना वायरस से लोगों को जागरूक करने के लिए एक कविता ड्यूटी के वक्त ही तैयार की है.

patna
कोरोना पर कविता

कोरोना का कहर

दो हजार बिस, कोरोना का खीस ।

कोई डरता है, कोई मरता है ।।

कोई देख-देख हहराता है ।

कोरोना का खीस ।।

फैला दिया जन-जन में विष ।

कोई भाप रहा कोई कांप रहा ।।

कोई पैरों से जमीन को नाप रहा ।

सरकार भी मुश्किल में है ।।

जनता भी नहीं खुश दिल में है ।

डॉक्टर भी मुश्किल में हाफ रहे ।।

भूकंप की तरह दुनिया कॉप रहे ।

पता नहीं क्या होने वाला है ।।

मानव का जीवन काला है ।

संकट में भी हरि को जपे नहीं ।।

फिर क्या होगा युग तपे नहीं ।

ज्वाला की लपट लहरा दी है ।।

मानव दानव को फैला दी है ।

यह कितने को खा जाएगा ।।

यह पता नहीं कब जाएगा ।

हम संयम से घर में घुसे रहे ।।

दानव की मुख से दवा ठूस रहे ।

हम विजय जरूर पाएंगे ।।

हरि का नाम भजन दोहराएंगे ।

राजा प्रजा हम एक रहे ।।

दोनों मिलकर कोरोना को सेक रहे ।

हम अविरल विजय पाएगे ।।

हिम्मत को कभी न घटाएंगे ।

संयम से ही जीत पाएगे ।।

आधे पेट क्यों न खाएगे ।

दो हजार बिस, कोरोना का खीस ।।

ऐसे भय से कांप रहे ।

जो अपनो से दूरी नाप रहे ।।

संक्रमित जीव की छाया देख ।

फिर भी हरि को, न पुकारे कोई ।।

मौज मस्ती के लिए सारे रोइ ।

गजब की प्रभु दुनिया बनाई है ।।

जिसकी बुद्धि माया खाई है ।

मायावी दुनिया मे करे बधाई ।।

हम हम की है जड़ चतुराई ।

चतुराई से सत को ढक दी है ।।

असत्य निकाल, माथे पर रख ली है ।

माया से निकली, कोरोना आई ।।

चेत रहा, मानव को भाई ।

कोरोना से न, मुख मोडेंगे ।।

अभी छोड़ो हम तुम चतुराई ।

नहीं तो नईदुनिया बनेगी भाई ।।

कोई निकल गया रोड पर तो रोना पड़ेगा ।

श्मशान में सोना पड़ेगा ।।

पुलिस डॉक्टर नर्स छोड़कर ।

बाकी ये लोग रहे अपने मन मोड़ कर ।।

देखें पूरी रिपोर्ट

'ड्यूटी है साहब करनी तो पड़ेगी'
जगदीश सिंह इस विकट परिस्थिति में भी सबसे पहले अपने ड्यूटी और फर्ज को निभा रहे हैं. जब वह घर से निकलते हैं, तो उनके घर के बच्चे और उनका परिवार उन्हें सुरक्षित ढंग से घर वापस आने की सलाह देता है. वो जब घर जाते हैं, तो अपने आप को और अपने वर्दी को पूरी तरह से सेनिटाइज करके ही घर के अंदर प्रवेश करते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि इस वायरस से डर किसे नहीं पर ड्यूटी है साहब करनी तो पड़ेगी अपना फर्ज निभाना तो पड़ेगा.

पटना : कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए पूरे देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है. इस लॉकडाउन को प्रभावी बनाने में पुलिसकर्मियों की एक बड़ी भूमिका रही है. इस विकट परिस्थिति में पुलिसकर्मी बड़ी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी और फर्ज निभाते दिख रहे हैं. इसी कड़ी में पटना के गांधी मैदान थाना के हवलदार जगदीश सिंह ने कोरोना वायरस से लोगों को जागरूक करने के लिए एक कविता ड्यूटी के वक्त ही तैयार की है.

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कोरोना पर कविता

कोरोना का कहर

दो हजार बिस, कोरोना का खीस ।

कोई डरता है, कोई मरता है ।।

कोई देख-देख हहराता है ।

कोरोना का खीस ।।

फैला दिया जन-जन में विष ।

कोई भाप रहा कोई कांप रहा ।।

कोई पैरों से जमीन को नाप रहा ।

सरकार भी मुश्किल में है ।।

जनता भी नहीं खुश दिल में है ।

डॉक्टर भी मुश्किल में हाफ रहे ।।

भूकंप की तरह दुनिया कॉप रहे ।

पता नहीं क्या होने वाला है ।।

मानव का जीवन काला है ।

संकट में भी हरि को जपे नहीं ।।

फिर क्या होगा युग तपे नहीं ।

ज्वाला की लपट लहरा दी है ।।

मानव दानव को फैला दी है ।

यह कितने को खा जाएगा ।।

यह पता नहीं कब जाएगा ।

हम संयम से घर में घुसे रहे ।।

दानव की मुख से दवा ठूस रहे ।

हम विजय जरूर पाएंगे ।।

हरि का नाम भजन दोहराएंगे ।

राजा प्रजा हम एक रहे ।।

दोनों मिलकर कोरोना को सेक रहे ।

हम अविरल विजय पाएगे ।।

हिम्मत को कभी न घटाएंगे ।

संयम से ही जीत पाएगे ।।

आधे पेट क्यों न खाएगे ।

दो हजार बिस, कोरोना का खीस ।।

ऐसे भय से कांप रहे ।

जो अपनो से दूरी नाप रहे ।।

संक्रमित जीव की छाया देख ।

फिर भी हरि को, न पुकारे कोई ।।

मौज मस्ती के लिए सारे रोइ ।

गजब की प्रभु दुनिया बनाई है ।।

जिसकी बुद्धि माया खाई है ।

मायावी दुनिया मे करे बधाई ।।

हम हम की है जड़ चतुराई ।

चतुराई से सत को ढक दी है ।।

असत्य निकाल, माथे पर रख ली है ।

माया से निकली, कोरोना आई ।।

चेत रहा, मानव को भाई ।

कोरोना से न, मुख मोडेंगे ।।

अभी छोड़ो हम तुम चतुराई ।

नहीं तो नईदुनिया बनेगी भाई ।।

कोई निकल गया रोड पर तो रोना पड़ेगा ।

श्मशान में सोना पड़ेगा ।।

पुलिस डॉक्टर नर्स छोड़कर ।

बाकी ये लोग रहे अपने मन मोड़ कर ।।

देखें पूरी रिपोर्ट

'ड्यूटी है साहब करनी तो पड़ेगी'
जगदीश सिंह इस विकट परिस्थिति में भी सबसे पहले अपने ड्यूटी और फर्ज को निभा रहे हैं. जब वह घर से निकलते हैं, तो उनके घर के बच्चे और उनका परिवार उन्हें सुरक्षित ढंग से घर वापस आने की सलाह देता है. वो जब घर जाते हैं, तो अपने आप को और अपने वर्दी को पूरी तरह से सेनिटाइज करके ही घर के अंदर प्रवेश करते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि इस वायरस से डर किसे नहीं पर ड्यूटी है साहब करनी तो पड़ेगी अपना फर्ज निभाना तो पड़ेगा.

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