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Bihar Caste Code:'प्रेम का कोई कोड नहीं', जाति कोड पर लेखक प्रभात बांधुल्य की कविता वायरल - प्रेम को कोड क्या है

बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर हर जाति को अलग-अलग कोड दिया गया है. इसपर लेखक प्रभात बांधुल्य ने कटाक्ष करते हुए एक कविता सोशल मीडिया पर जारी की है. अपनी कविता के जरिए लेखक कह रहे हैं कि बिहार में अब अलग की मोड़ आ गया है. हर जाति का कोड आ गया तो प्रेम का कोड क्यों नहीं. 'मांझी के इस राज्य में प्रेम का कोई कोड नहीं और फगुनिया पहुंचे मांझी तक ऐसा कोई मोड नहीं.'

poem viral on Bihar caste code
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Published : Apr 7, 2023, 12:42 PM IST

लेखक प्रभात बांधुल्य

पटना: बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. बीते दिनों पिंकी के प्रेम पत्र ने इन्हें सुर्खियों में लाया. वहीं अब इनकी कविता सुर्खियां बटोर रही है. बिहार में जातिगत जनगणना के तहत हर जाति के लिए एक अलग कोड तय किया गया है. इस पर कई लोग अलग-अलग रोचक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इसी बीच बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले लेखक ने प्यार का कोड जारी करने की मांग करते हुए अपनी कविता सोशल मीडिया पर पोस्ट की है, जो तेजी से वायरल हो रही है.

पढ़ें- बिहार जाति गणना: सरकारी नौकरी के लिए 1, प्राइवेट का 2, भिखारी का 10.. जानें नया लेबर कोड

वायरल हो रही लेखक प्रभात बांधुल्य की कविता: अपनी कविता में प्रभात कहते हैं 'देखो ई नया एक कोड आ गया है, जात जानने का नया मोड आ गया है. आगे प्रभात अपनी कविता में कहते हैं कि लिखती है फगुनिया अपने चिट्ठी में मेरे यार, सबको तो जता दिया, रास्ता दिखा दिया. जो कोई पूछे कौन जात, तो कोड बता दिया. प्रभात बांधुल्य अपनी इस कविता में सरकार से मांग करते हुए कहते हैं कि लेकिन मेरे प्रिये प्रभात, मांझी के इस राज्य में प्रेम का कोई कोड नहीं और फगुनिया पहुंचे मांझी तक ऐसा कोई मोड नहीं. लेखक ने कहा है कि दशरथ मांझी का बिहार प्रेम का प्रतीक है और मांझी के बिहार में प्रेम का कोड भी होना चाहिए.

"यह कविता एक प्रेमिका की चिट्ठी है जो सबको बताती है कि जो लोग प्रेम में हैं, उनकी जाति भी प्रेम है और कोड भी प्रेम है."- प्रभात बांधुल्य,लेखक

'प्रेम का क्या कोड है?': अपनी कविता के बारे में बताते हुए प्रभात ने बताया कि वह कुमार विश्वास के काव्य शैली के तर्ज पर संदेश दे रहे हैं कि बिहार बुद्ध की भूमि है, त्याग और प्रेम की भूमि है, यह बिहार है जहां दशरथ मांझी और फगुनिया का प्रेम है, यही दशरथ मांझी जिन्होंने फगुनिया के लिए पत्थर तक को तोड़ दिया. राज्य में मांझी और फगुनिया का प्रेम जिंदाबाद रहे और इसके लिए प्रेम का कोड भी चाहिए कुछ इस तरह की यह कविता है. बताते चलें कि प्रभात बांधुल्य बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं जिनका पहला उपन्यास बनारस वाला इश्क काफी प्रसिद्ध हुआ और पिछले 3 वर्षों से टीवी सीरियल और फिल्म पटकथा लेखन से जुड़े हुए हैं.

धर्म का अलग कोड: दरअसल सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न तरह के कोड में चेंजेज किए हैं. विभाग ने धर्म, पेशा, वाहन,शिक्षा, मासिक आय और जमीन के लिए कोड तय किया है. 1-हिंदू,2-इस्लाम, 3- ईसाई, 4- सिख,5-बौद्ध,6-जैन और 7- अन्य के लिए कोड निर्धारित किया गया है. वहीं किसी भी धर्म के नहीं विकल्प के लिए कोड नंबर 8 तय किया गया है.

लेखक प्रभात बांधुल्य

पटना: बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. बीते दिनों पिंकी के प्रेम पत्र ने इन्हें सुर्खियों में लाया. वहीं अब इनकी कविता सुर्खियां बटोर रही है. बिहार में जातिगत जनगणना के तहत हर जाति के लिए एक अलग कोड तय किया गया है. इस पर कई लोग अलग-अलग रोचक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इसी बीच बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले लेखक ने प्यार का कोड जारी करने की मांग करते हुए अपनी कविता सोशल मीडिया पर पोस्ट की है, जो तेजी से वायरल हो रही है.

पढ़ें- बिहार जाति गणना: सरकारी नौकरी के लिए 1, प्राइवेट का 2, भिखारी का 10.. जानें नया लेबर कोड

वायरल हो रही लेखक प्रभात बांधुल्य की कविता: अपनी कविता में प्रभात कहते हैं 'देखो ई नया एक कोड आ गया है, जात जानने का नया मोड आ गया है. आगे प्रभात अपनी कविता में कहते हैं कि लिखती है फगुनिया अपने चिट्ठी में मेरे यार, सबको तो जता दिया, रास्ता दिखा दिया. जो कोई पूछे कौन जात, तो कोड बता दिया. प्रभात बांधुल्य अपनी इस कविता में सरकार से मांग करते हुए कहते हैं कि लेकिन मेरे प्रिये प्रभात, मांझी के इस राज्य में प्रेम का कोई कोड नहीं और फगुनिया पहुंचे मांझी तक ऐसा कोई मोड नहीं. लेखक ने कहा है कि दशरथ मांझी का बिहार प्रेम का प्रतीक है और मांझी के बिहार में प्रेम का कोड भी होना चाहिए.

"यह कविता एक प्रेमिका की चिट्ठी है जो सबको बताती है कि जो लोग प्रेम में हैं, उनकी जाति भी प्रेम है और कोड भी प्रेम है."- प्रभात बांधुल्य,लेखक

'प्रेम का क्या कोड है?': अपनी कविता के बारे में बताते हुए प्रभात ने बताया कि वह कुमार विश्वास के काव्य शैली के तर्ज पर संदेश दे रहे हैं कि बिहार बुद्ध की भूमि है, त्याग और प्रेम की भूमि है, यह बिहार है जहां दशरथ मांझी और फगुनिया का प्रेम है, यही दशरथ मांझी जिन्होंने फगुनिया के लिए पत्थर तक को तोड़ दिया. राज्य में मांझी और फगुनिया का प्रेम जिंदाबाद रहे और इसके लिए प्रेम का कोड भी चाहिए कुछ इस तरह की यह कविता है. बताते चलें कि प्रभात बांधुल्य बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं जिनका पहला उपन्यास बनारस वाला इश्क काफी प्रसिद्ध हुआ और पिछले 3 वर्षों से टीवी सीरियल और फिल्म पटकथा लेखन से जुड़े हुए हैं.

धर्म का अलग कोड: दरअसल सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न तरह के कोड में चेंजेज किए हैं. विभाग ने धर्म, पेशा, वाहन,शिक्षा, मासिक आय और जमीन के लिए कोड तय किया है. 1-हिंदू,2-इस्लाम, 3- ईसाई, 4- सिख,5-बौद्ध,6-जैन और 7- अन्य के लिए कोड निर्धारित किया गया है. वहीं किसी भी धर्म के नहीं विकल्प के लिए कोड नंबर 8 तय किया गया है.

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