पटनाः जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के द्वारा पीएम मोदी (PM Modi) को लिखे गए पत्र को पीएमओ (PMO) ने स्वीकृति दे दी है. पूरे दस दिनों के बाद इस पत्र को स्वीकृत किया गया है. हालांकि नीतीश कुमार को मिलने का बुलावा अब तक नहीं आया है.
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बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विपक्ष के नेताओं ने जातीय जनगणना के मसले पर सीएम नीतीश कुमार से मिलकर दो प्रस्ताव दिए थे, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया था. इसके बाद 4 अगस्त को नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर विचार-विमर्श करने के लिए समय मांगा था, लेकिन पीएमओ की ओर से कोई जवाब नहीं आया.
शनिवार को पीएमओ ने सीएम के इस लेटर को स्वीकृत कर दिया. इसका एक्नॉलेजमेंट भी सीएम हाउस को मिल गया है. लेकिन अब तक सीएम नीतीश को मिलने का समय नहीं दिया गया है. जाहिर है इन दिनों जातीय जनगणना पर छिड़ी बिहार सहित देश की सियासत में इसके कई मायने निकाले जाने लगे हैं.
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बता दें कि बिहार में इन दिनों जातीय जनगणना पर सियासी जंग जारी है. बिहार में सत्ता में शामिल दल जदयू और मुख्य विरोधी दल राजद के सुर जातीय जनगणना पर मिल रहे हैं. वहीं, भाजपा इसके पक्ष में नहीं है. दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप और बयानजारी का दौर जारी है. इस बीच सीएम के लेटर का एक्नॉलेजमेंट मात्र सियासत में नई मोड़ ला सकता है.
बता दें कि जातीय जनगणना पर उकसावे का खेल भी जारी है. शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुटकी लेते हुए कहा था कि पीएम को मिलने का समय नहीं देना अपमान करना है. इसे लेकर भी जदयू नेता सफाई दे रहे हैं. बहरहाल, अब देखना यह होगा कि जातीय जनगणना पर जारी सियासत में क्या नया मोड़ आता है.