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'ये है पटना का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, बिना पैसे यहां नहीं लगाए जाते ऑक्सीजन सिलेंडर' - पटना का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल

शनिवार के दिन पीएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय के बाहर मुंगेर से आई एक महिला ने जमकर हंगामा किया. महिला लगातार आरोप लगा रही थी कि पीएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से फेल है. अस्पताल के कर्मी ऑक्सिजन लगाने के लिए 100 रुपये की मांग कर रहे हैं.

पीएमसीएच
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Published : Jul 18, 2020, 11:03 PM IST

पटना: किसी जमाने में पीएमसीएच का नाम बिहार ही नहीं बल्कि देश के बेहतरीन चिकित्सा संस्थानों में शुमार किया जाता था. लेकिन कोरोना काल में अब इसकी हालत दयनीय हो चुकी है. संक्रमण के बीच कॉलेज और अस्पताल परिसर में हर तरफ गंदगी का साम्राज्य कायम है. पीएमसीएच की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि यहां इलाज करा रहे मरीज बिहार स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन को पानी पी-पीकर कोसते रहते हैं.

दरअसल, व्यवस्थाओं के अभाव में अस्पताल प्रबंधन ने भी लगभग अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. यहां कोरोना मरीजों के अलावे अन्य मरीजों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. मरीज परेशान होकर स्वस्थ होने की उम्मीद लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. लेकिन उचित इलाज तो दूर, मरीजों को डॉक्टर तक नहीं मिल पा रहे हैं. बीते कुछ दिन पहले भी पीएमसीएच के कोरोना वार्ड में एडमिट कई मरीज के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए थे. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब अस्पातल का जायजा लिया तो इलाज में कई अनियमितता देखने को मिली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कागजी प्रकिया के नाम पर किया जा रहा परेशान'
शनिवार के दिन पीएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय के बाहर मुंगेर से आई एक महिला ने जमकर हंगामा किया. महिला लगातार आरोप लगा रही थी कि पीएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से फेल है. उनके पति को कोई चिकित्सक देख नहीं रहे हैं. महिला ने बताया गया है कि उसके पति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. उसके पति को एनएमसीएच ट्रांसफर कर दिया गया है. एनएमसीएच में शिफ्ट करने के लिए कागजी प्रक्रिया के नाम पर उसे सिर्फ इधर से उधर भटकाया जा रहा है. यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

परेशान मरीज के परिजन
परेशान मरीज के परिजन

'पैसे की मांग कर रहे अस्पताल कर्मी'
महिला विभा सिंह ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति की हालत काफी खराब है. अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं आ रहा है. उनके पति को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. जिसके बाद जब उन्होंने अस्पताल के कर्मी को ऑक्सिजन लगाने की बात कही, तो अस्पताल के स्टाफ ने 100 रूपये की मांग की. रुपये देने के बाद उसने ऑक्सीजन लगाया.

मरीज के परिजन
मरीज के परिजन

अनियमितता का आरोप
गौरतलब है कि पीएमसीएच में यह अनियमितता का पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अस्पताल प्रबंधन पर कई दफा गंभीर आरोप लग चुके हैं. पीएमसीएच के गुजरी वार्ड में भर्ती एक मरीज के परिजन विकास कुमार ने बताया कि 9 दिन पहले वह अपने मामा का इलाज कराने के लिए पीएमसीएच में आया हुआ था. डॉक्टरों ने तीन बार सैंपल कलेक्ट किया. लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है.

विकास ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जांच के लिए कलेक्ट किया गया सैंपल ही गायब हो रहा है. डॉक्टर कई दफा सैंपल लेने के लिए आ रहे हैं. अस्पताल में घोर कुव्यवस्था है. मरीजों की सुध लेने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आ रहा है.

'शौचालय में जमा है पानी'
कोरोना वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के शौचालय में काफी पानी जमा हुआ है. वार्ड में आसपास के बेड पर एडमिट हुए कई मरीज की जान जा चुकी है. मरीज की मौत के घंटों बाद तक शव बेड पर ही पड़ा रहता है. पीएमसीएच की हालात बहुत ही दयनीय हो चुकी है.

गौरतलब है कि बीते जमाने में पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल इस अस्पताल का नाम राज्य में अदब से लिया जाता था. इस अस्पताल का नाम बिहार के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक है. राज्य की किसी भी जिले में अगर किसी मरीज की हालत बिगड़ने लगती है, तो उसे पीएमसीएच ही रेफर किया जाता है. लेकिन संक्रमण काल में अस्पातल कि स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है.

पटना: किसी जमाने में पीएमसीएच का नाम बिहार ही नहीं बल्कि देश के बेहतरीन चिकित्सा संस्थानों में शुमार किया जाता था. लेकिन कोरोना काल में अब इसकी हालत दयनीय हो चुकी है. संक्रमण के बीच कॉलेज और अस्पताल परिसर में हर तरफ गंदगी का साम्राज्य कायम है. पीएमसीएच की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि यहां इलाज करा रहे मरीज बिहार स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन को पानी पी-पीकर कोसते रहते हैं.

दरअसल, व्यवस्थाओं के अभाव में अस्पताल प्रबंधन ने भी लगभग अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. यहां कोरोना मरीजों के अलावे अन्य मरीजों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. मरीज परेशान होकर स्वस्थ होने की उम्मीद लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. लेकिन उचित इलाज तो दूर, मरीजों को डॉक्टर तक नहीं मिल पा रहे हैं. बीते कुछ दिन पहले भी पीएमसीएच के कोरोना वार्ड में एडमिट कई मरीज के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए थे. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब अस्पातल का जायजा लिया तो इलाज में कई अनियमितता देखने को मिली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कागजी प्रकिया के नाम पर किया जा रहा परेशान'
शनिवार के दिन पीएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय के बाहर मुंगेर से आई एक महिला ने जमकर हंगामा किया. महिला लगातार आरोप लगा रही थी कि पीएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से फेल है. उनके पति को कोई चिकित्सक देख नहीं रहे हैं. महिला ने बताया गया है कि उसके पति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. उसके पति को एनएमसीएच ट्रांसफर कर दिया गया है. एनएमसीएच में शिफ्ट करने के लिए कागजी प्रक्रिया के नाम पर उसे सिर्फ इधर से उधर भटकाया जा रहा है. यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

परेशान मरीज के परिजन
परेशान मरीज के परिजन

'पैसे की मांग कर रहे अस्पताल कर्मी'
महिला विभा सिंह ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति की हालत काफी खराब है. अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं आ रहा है. उनके पति को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. जिसके बाद जब उन्होंने अस्पताल के कर्मी को ऑक्सिजन लगाने की बात कही, तो अस्पताल के स्टाफ ने 100 रूपये की मांग की. रुपये देने के बाद उसने ऑक्सीजन लगाया.

मरीज के परिजन
मरीज के परिजन

अनियमितता का आरोप
गौरतलब है कि पीएमसीएच में यह अनियमितता का पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अस्पताल प्रबंधन पर कई दफा गंभीर आरोप लग चुके हैं. पीएमसीएच के गुजरी वार्ड में भर्ती एक मरीज के परिजन विकास कुमार ने बताया कि 9 दिन पहले वह अपने मामा का इलाज कराने के लिए पीएमसीएच में आया हुआ था. डॉक्टरों ने तीन बार सैंपल कलेक्ट किया. लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है.

विकास ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जांच के लिए कलेक्ट किया गया सैंपल ही गायब हो रहा है. डॉक्टर कई दफा सैंपल लेने के लिए आ रहे हैं. अस्पताल में घोर कुव्यवस्था है. मरीजों की सुध लेने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आ रहा है.

'शौचालय में जमा है पानी'
कोरोना वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के शौचालय में काफी पानी जमा हुआ है. वार्ड में आसपास के बेड पर एडमिट हुए कई मरीज की जान जा चुकी है. मरीज की मौत के घंटों बाद तक शव बेड पर ही पड़ा रहता है. पीएमसीएच की हालात बहुत ही दयनीय हो चुकी है.

गौरतलब है कि बीते जमाने में पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल इस अस्पताल का नाम राज्य में अदब से लिया जाता था. इस अस्पताल का नाम बिहार के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक है. राज्य की किसी भी जिले में अगर किसी मरीज की हालत बिगड़ने लगती है, तो उसे पीएमसीएच ही रेफर किया जाता है. लेकिन संक्रमण काल में अस्पातल कि स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है.

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