पटनाः पटना मेडिकल कॉलेज (Patna Medical College) के एमबीबीएस इंटर्न (PMCH MBBS interns) आंदोलन के मूड में हैं. बुधवार को एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर सांकेतिक हड़ताल किया. साथ ही गुरुवार से काम के दौरान विरोध-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. वहीं जल्द मांगें पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का अल्टीमेटम दिया है. एमबीबीएस इंटर्न्स राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में स्टाइपेंड व सुविधा समान करने की मांग कर रहे हैं. प्रदेश भर में 8 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें लगभग 700 से अधिक एमबीबीएस इंटर्न हैं.
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सांकेतिक हड़ताल के दौरान एमबीबीएस छात्रों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. 2016 बैच के एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों ने अस्पताल प्रबंधन को अपनी मांगों से संबंधित एक लिखित ज्ञापन भी सौंपा. एमबीबीएस इंटर्न्स ने मांगें पूरी ना होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने की सूचना अस्पताल प्रबंधन को दी. एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि वन स्टेट वन स्टाइपेंड होना चाहिए. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के इंटर्न्स के लिए स्टाइपेंड की राशि कुछ और है, वहीं पीएमसीएच सहित शेष बिहार के मेडिकल कॉलेजों के लिए कुछ और है.
पीएमसीएच के मेडिकल इंटर्न डॉ. सोनू कुमार ने बताया कि साल 2017 से उन लोगों का स्टाइपेंड नहीं बढ़ा है, जबकि सरकार ने वादा किया था कि हर 3 साल पर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की जायेगी. उन्होंने आगे कहा कि बिहार में 9 मेडिकल कॉलेज हैं. जिसमें आईजीआईएमएस में मेडिकल इंटर्न को 26300 रुपये मासिक मिलता है. वहीं प्रदेश के आठ मेडिकल कॉलेज के मेडिकल इंटर्न को महज 15000 रुपये मासिक ही मिल रहा है.
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डॉ. सोनू ने वन स्टेट वन स्टाइपेंड की पॉलिसी की मांग की है. उन्होंने आगे कहा कि सबसे अधिक ड्यूटी एमबीबीएस इंटर्न की रहती है. वे ऑपरेशन थिएटर में 8 घंटे की ड्यूटी करते हैं, लेकिन इसके बदले महीने में मात्र 15000 रुपये ही मिलते हैं. अगर प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो 500 रुपये है. यह राशि एक दिहाड़ी मजदूर की मजदूरी से भी कम है.
डॉ. सोनू ने आगे कहा कि देश के दूसरे राज्यों में मेडिकल इंटर्न को स्टाइपेंड 36000 रुपये मासिक मिलता है. स्टाइपेंड की राशि बिहार में ही सबसे कम है. इस मामले में वह प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिल चुके हैं, लेकिन उनका रवैया नकारात्मक है. मजबूरी में एमबीबीएस इंटर्न्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं.
वहीं डॉ. मोहम्मद मसरूर आलम ने बताया कि अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन वे लोग अधीक्षक को सौंप चुके हैं. उन्होंने बताया कि उन लोगों ने अधीक्षक को यह स्पष्ट किया है कि सरकार के गैर-जिम्मेदार रवैये से आहत होकर मजबूरी में आज वे विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. लगातार विरोध-प्रदर्शन करते रहेंगे. अगर उन लोगों के स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग जल्द नहीं मानी गयी तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. साथ ही ओपीडी और इमरजेंसी के कार्य को भी बाधित करेंगे.
इंटर्न डॉ. कुंदन कुमार ने कहा कि पिछली बार जब जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अपने स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे तो उस वक्त सरकार ने स्टाइपेंड बढ़ाने की बात कही थी.
डॉ. कुंदन ने आगे कहा कि वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को तैयार थे लेकिन जब अधीक्षक के पास अपनी मांगों को लेकर गए तो उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन जायज है और करें लेकिन फिलहाल हड़ताल पर नहीं जाएं. ऐसे में उन लोगों ने निर्णय लिया है कि वह अस्पताल में प्रतिदिन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. अगर सरकार जल्द उनकी मांगें नहीं मानती है तो आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे.