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बिहार के मखाने की PM मोदी ने की तारीफ, बोले- ग्लोबल मार्केटिंग की है जरूरत - बिहार के मखाने की PM मोदी ने की तारीफ

बिहार के मधुबनी में सबसे पहले मखाना की खेती की शुरुआत हुई थी. बिहार गजेटियर में भी इसका जिक्र है. मखाना मधुबनी से निकलकर भारत से बाहर फैला. आज यह दूर-दूर के देशों तक पहुंच चुका है. इस बीच पीएम मोदी ने बिहार के मखाना की ग्लोबल मार्केटिंग पर जोर दिया है.

PM Modi praised Makhana of Bihar and said that it needs global marketing
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Published : Aug 30, 2019, 6:10 PM IST

Updated : Aug 30, 2019, 9:17 PM IST

पटना/नई दिल्ली: बिहार के मिथिलांचल की पहचान के बारे में कहा जाता है 'पग-पग पोखरि माछ मखान' यानी इस क्षेत्र की पहचान पोखर (तालाब), मछली और मखाना से जुड़ी हुई है. लेकिन कम ही लोग जानते है कि पीएम मोदी को बिहार का मखाना बहुत पसंद है.

बिहार में होता है सबसे ज्यादा मखाना
बिहार में होता है सबसे ज्यादा मखाना

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में भारत के कई खाद्य पदार्थों की तारीफ की. इस दौरान पीएम ने बिहार के मखाने भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि देश और विदेशों में यह काफी पॉपुलर हो रहा है. जरूरत है कि इसकी सही तरीके से ग्लोबल मार्केटिंग की जाए.

पीएम मोदी को पसंद है बिहार का मखाना

मोदी ने की बिहार के मखाना की तारीफ
दरअसल, पीएम मोदी ने आयुष मंत्रालय से 10 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का उद्घाटन किया. आयुष मंत्रालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को हेल्थ से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेजी से हो रही है. लोग ये जानते हैं कि इसमें काफी मात्रा में कैल्शियम और आयरन है. इससे अच्छी कोई चीज हो ही नहीं सकती. लोगों के बीच मखाना काफी पॉपुलर हो रहा है.

मिथिला की पहचान है मखाना
मिथिला की पहचान है मखाना

'पैकजिंग पर ध्यान देनें की जरूरत'
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे बिहार में मखाना खूब होता है. अब हमें देखना है कि कैसे इसकी पैकजिंग बढ़ियां करें, ताकि ग्लोबल मार्केट में इसे बेचा जा सके. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में 12 आयुष विशेषज्ञों के नाम पर डाक टिकट जारी किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश भर में 12,500 आयुष केंद्र बनाने का लक्ष्य है, जिनमें से 10 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का उद्घाटन आज किया गया है. हमारा उद्देश्य है कि इस वर्ष 4,000 ऐसे आयुष केंद्र स्थापित किए जाएं.

ऐसे की जाती है मखाने की खेती
ऐसे की जाती है मखाने की खेती

मिथिला की पहचान...मखाना
मिथिला का मखाना अपनी खास पहचान रखता है. कोसी, सीमांचल और मिथिला इलाके में इसकी खेती बहुतायत में होती है. मखाना बेहद पौष्टिक होता है. इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्र में होता है. सोडियम, कैलोरी और वसा की मात्र काफी कम होती है. बिना खाद व कीटनाशकों के इसकी खेती की जाती है.

कई पोषक तत्व होते हैं शामिल
कई पोषक तत्व होते हैं शामिल

मखाना...देवभोजन
इसी के साथ, किडनी, रक्तचाप, हृदय रोग में यह काफी फायदेमंद होता है. इसे लोग देवभोजन भी कहते हैं. इन्हीं गुणों के कारण विदेशों में इसकी काफी डिमांड है. वजन घटाने के इच्छुक लोग भी इसका सेवन करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेजी
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेज

बिहार के 10 जिलों में मखाना की खेती
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 10 जिलों में मखाना की खेती होती है. देश में बिहार के अलावा असम, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में भी मखाने का उत्पादन होता है, मगर देश भर में मखाने के कुल उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 80 फीसदी है. जानकारों की माने तो मखाना के निर्यात से देश को प्रतिवर्ष 22 से 25 करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है.

स्वाद भी सेहत भी
स्वाद भी सेहत भी

बिहार की 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती
बिहार के दरभंगा क्षेत्र में मखाना उत्पादन को देखते हुए मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई. आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती होती है. इसमें 90 हजार टन बीज का उत्पादन होता है। इतने बीज से किसान लगभग 35 हजार टन लावा तैयार करते हैं.'

बिहार में 35 हजार टन लावा तैयार किया जाता है
बिहार में 35 हजार टन लावा तैयार किया जाता है

मखाना की रोपाई...नवंबर-दिसंबर में
अब खेतों में ही एक फीट जलभराव कर मखाना उत्पादन किया जा सकता है. आमतौर पर मखाना की फसल तैयार होने में 10 महीने का समय लगाता है. आमतौर पर तालाब में मखाना की रोपाई नवंबर-दिसंबर में होती है. हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने एक नई प्रजाति 'स्वर्ण वैदेही' विकसित किया है, स्वर्ण वैदेही की रोपाई दिसंबर में होगी और फसल अगस्त महीने में तैयार हो जाएगी.

13 हजार हेक्टेयर में होती है खेती
13 हजार हेक्टेयर में होती है खेती

मखाना खाने के फायदे...

  • मखाने में 12 प्रतिशत प्रोटीन है जो मसल्स बनाने और फिट रखने में मदद करता है.
  • मखाना कैल्शियम से भरपूर है इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर गठिया के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद है.
  • मखाने में एंटीऑक्सीडेंट्स हैं जो आपको लंबे समय तक जवान बनाए रखते हैं. यह एंटी एजिंग डाइट है.
    मखाना खाने के फायदे
  • मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है. रात में सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन नींद न आने की समस्या दूर करता है.
  • मखाना बेहद सुपाच्य है. तुरंत ताकत देने वाली खुराक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है.

पटना/नई दिल्ली: बिहार के मिथिलांचल की पहचान के बारे में कहा जाता है 'पग-पग पोखरि माछ मखान' यानी इस क्षेत्र की पहचान पोखर (तालाब), मछली और मखाना से जुड़ी हुई है. लेकिन कम ही लोग जानते है कि पीएम मोदी को बिहार का मखाना बहुत पसंद है.

बिहार में होता है सबसे ज्यादा मखाना
बिहार में होता है सबसे ज्यादा मखाना

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में भारत के कई खाद्य पदार्थों की तारीफ की. इस दौरान पीएम ने बिहार के मखाने भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि देश और विदेशों में यह काफी पॉपुलर हो रहा है. जरूरत है कि इसकी सही तरीके से ग्लोबल मार्केटिंग की जाए.

पीएम मोदी को पसंद है बिहार का मखाना

मोदी ने की बिहार के मखाना की तारीफ
दरअसल, पीएम मोदी ने आयुष मंत्रालय से 10 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का उद्घाटन किया. आयुष मंत्रालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को हेल्थ से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेजी से हो रही है. लोग ये जानते हैं कि इसमें काफी मात्रा में कैल्शियम और आयरन है. इससे अच्छी कोई चीज हो ही नहीं सकती. लोगों के बीच मखाना काफी पॉपुलर हो रहा है.

मिथिला की पहचान है मखाना
मिथिला की पहचान है मखाना

'पैकजिंग पर ध्यान देनें की जरूरत'
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे बिहार में मखाना खूब होता है. अब हमें देखना है कि कैसे इसकी पैकजिंग बढ़ियां करें, ताकि ग्लोबल मार्केट में इसे बेचा जा सके. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में 12 आयुष विशेषज्ञों के नाम पर डाक टिकट जारी किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश भर में 12,500 आयुष केंद्र बनाने का लक्ष्य है, जिनमें से 10 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का उद्घाटन आज किया गया है. हमारा उद्देश्य है कि इस वर्ष 4,000 ऐसे आयुष केंद्र स्थापित किए जाएं.

ऐसे की जाती है मखाने की खेती
ऐसे की जाती है मखाने की खेती

मिथिला की पहचान...मखाना
मिथिला का मखाना अपनी खास पहचान रखता है. कोसी, सीमांचल और मिथिला इलाके में इसकी खेती बहुतायत में होती है. मखाना बेहद पौष्टिक होता है. इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्र में होता है. सोडियम, कैलोरी और वसा की मात्र काफी कम होती है. बिना खाद व कीटनाशकों के इसकी खेती की जाती है.

कई पोषक तत्व होते हैं शामिल
कई पोषक तत्व होते हैं शामिल

मखाना...देवभोजन
इसी के साथ, किडनी, रक्तचाप, हृदय रोग में यह काफी फायदेमंद होता है. इसे लोग देवभोजन भी कहते हैं. इन्हीं गुणों के कारण विदेशों में इसकी काफी डिमांड है. वजन घटाने के इच्छुक लोग भी इसका सेवन करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेजी
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मखाने की मांग तेज

बिहार के 10 जिलों में मखाना की खेती
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 10 जिलों में मखाना की खेती होती है. देश में बिहार के अलावा असम, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में भी मखाने का उत्पादन होता है, मगर देश भर में मखाने के कुल उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 80 फीसदी है. जानकारों की माने तो मखाना के निर्यात से देश को प्रतिवर्ष 22 से 25 करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है.

स्वाद भी सेहत भी
स्वाद भी सेहत भी

बिहार की 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती
बिहार के दरभंगा क्षेत्र में मखाना उत्पादन को देखते हुए मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई. आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती होती है. इसमें 90 हजार टन बीज का उत्पादन होता है। इतने बीज से किसान लगभग 35 हजार टन लावा तैयार करते हैं.'

बिहार में 35 हजार टन लावा तैयार किया जाता है
बिहार में 35 हजार टन लावा तैयार किया जाता है

मखाना की रोपाई...नवंबर-दिसंबर में
अब खेतों में ही एक फीट जलभराव कर मखाना उत्पादन किया जा सकता है. आमतौर पर मखाना की फसल तैयार होने में 10 महीने का समय लगाता है. आमतौर पर तालाब में मखाना की रोपाई नवंबर-दिसंबर में होती है. हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने एक नई प्रजाति 'स्वर्ण वैदेही' विकसित किया है, स्वर्ण वैदेही की रोपाई दिसंबर में होगी और फसल अगस्त महीने में तैयार हो जाएगी.

13 हजार हेक्टेयर में होती है खेती
13 हजार हेक्टेयर में होती है खेती

मखाना खाने के फायदे...

  • मखाने में 12 प्रतिशत प्रोटीन है जो मसल्स बनाने और फिट रखने में मदद करता है.
  • मखाना कैल्शियम से भरपूर है इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर गठिया के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद है.
  • मखाने में एंटीऑक्सीडेंट्स हैं जो आपको लंबे समय तक जवान बनाए रखते हैं. यह एंटी एजिंग डाइट है.
    मखाना खाने के फायदे
  • मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है. रात में सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन नींद न आने की समस्या दूर करता है.
  • मखाना बेहद सुपाच्य है. तुरंत ताकत देने वाली खुराक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है.
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Last Updated : Aug 30, 2019, 9:17 PM IST
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