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पटनाः कालिदास रंगालय में धुंध नाटक का हुआ मंचन

रंगमार्च द्वारा नूपुर चक्रवर्ती के निर्देशन में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी धुंध पर आधारित नाटक का मंचन कलाकारों ने किया. इस नाटक में अंग्रेजी हुकूमत के आगे बेबस व्यवस्था को दिखाने का प्रयास किया गया है. नाटक का मंचन सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सौजन्य से तीन दिवसीय नाट्योत्सव में किया गया.

धुंध नाटक के एक दृश्य में नुपुर चक्रवर्ती
धुंध नाटक के एक दृश्य में नुपुर चक्रवर्ती
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Published : Jan 23, 2021, 11:04 PM IST

पटनाः राजधानी पटना स्थित कालिदांस रंगालय में सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सौजन्य से तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव रंगलीला का आयोजन किया गया है. नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन आज नाटक धुंध का मंचन किया गया. नाटक का मंचन कालिदास रंगालय में किया गया.

अंग्रेजी शासन काल की है कहानी
रंगमार्च द्वारा नूपुर चक्रवर्ती के निर्देशन में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी 'धुंध' पर आधारित नाटक का मंचन कलाकारों ने किया. इस नाटक में अंग्रेजी हुकूमत के आगे बेबस व्यवस्था को दिखाने का प्रयास किया गया है. इस नाटक में दिखाया गया है कि किस तरीके से अंग्रेजी हुकूमत किसानों और आम लोगों का शोषण करते थे.

धुंध नाटक का मंचन
धुंध नाटक का मंचन

ये भी पढ़ें- बिहार में बर्ड टूरिज्म की है अपार संभावनाएं, सिर्फ इन बातों पर ध्यान देने की है जरूरत

बेटियों ने किया बेहतर कार्य
गांव के चंद लोगों की गलती की वजह से पूरे गांव को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा था. उन्हें अंग्रेजों की गुलामी करनी पड़ी थी. लेकिन उसमें कुछ ऐसे भी लोग थे जो अंग्रेजों के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ते थे. महिलाओं और लड़कियों को पढ़ने-लिखने नहीं दिया जाता था. बेटियों से ज्यादा तवज्जो बेटों को दी जाती थी. लेकिन जब समय आया तो बेटियों ने बेटे से बेहतर कार्य किया.

धुंध नाटक का दृश्य
धुंध नाटक का दृश्य

पटनाः राजधानी पटना स्थित कालिदांस रंगालय में सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सौजन्य से तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव रंगलीला का आयोजन किया गया है. नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन आज नाटक धुंध का मंचन किया गया. नाटक का मंचन कालिदास रंगालय में किया गया.

अंग्रेजी शासन काल की है कहानी
रंगमार्च द्वारा नूपुर चक्रवर्ती के निर्देशन में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी 'धुंध' पर आधारित नाटक का मंचन कलाकारों ने किया. इस नाटक में अंग्रेजी हुकूमत के आगे बेबस व्यवस्था को दिखाने का प्रयास किया गया है. इस नाटक में दिखाया गया है कि किस तरीके से अंग्रेजी हुकूमत किसानों और आम लोगों का शोषण करते थे.

धुंध नाटक का मंचन
धुंध नाटक का मंचन

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बेटियों ने किया बेहतर कार्य
गांव के चंद लोगों की गलती की वजह से पूरे गांव को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा था. उन्हें अंग्रेजों की गुलामी करनी पड़ी थी. लेकिन उसमें कुछ ऐसे भी लोग थे जो अंग्रेजों के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ते थे. महिलाओं और लड़कियों को पढ़ने-लिखने नहीं दिया जाता था. बेटियों से ज्यादा तवज्जो बेटों को दी जाती थी. लेकिन जब समय आया तो बेटियों ने बेटे से बेहतर कार्य किया.

धुंध नाटक का दृश्य
धुंध नाटक का दृश्य
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