पटना : दानापुर स्टेशन पर कोविड-19 में लगे मेडिकल स्टाफ एएनएम और फार्मासिस्ट काला बिल्ला लगाकर रविवार को काम करते हुये विरोध कर रहे हैं. एएनएम और फार्मासिस्ट की मांग है कि हम लोगों को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए. जो वेतन मिलता है वह न्यूनतम वेतन से भी कम है. जिसकी वजह से हम लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में इनलोगों ने काला बिल्ला लगाकर सरकार से विरोध जताते हुए यह मांग कर रहे हैं कि हम लोगों का जो वेतन है, उसे समान वेतन में तब्दील किया जाए.
'हमलोगों को मिलना चाहिए समान वेतन'
एएनएम और फार्मासिस्ट का कहना है कि आरडीएस प्रोग्राम के तहत 2015 में बहाली हुई थी. आयुष चिकित्सा का वेतनमान दोगना कर दिया गया और हम लोग उसी वेतनमान पर अभी तक काम कर रहे हैं. हम लोगों को भी समान काम का समान वेतन मिलना चाहिए. हम हर प्रोग्राम में बार-बार कैंपेन करते हैं. अभी कोविड-19 डयूटी दानापुर स्टेशन पर लगी हुई है. हम लोग अपनी सेवा दे रहे हैं. सरकार हमें न्यूनतम मजदूरी दे रही है, क्या इतने कम वेतन में हमारा भरण-पोषण हो जाएगा. हम लोग की सरकार से मांग है कि हमलोगों को समान वेतन मिलना चाहिए, जो एएनएम का वेतनमान है, उनके अनुसार का हम लोग का भी वेतनमान होना चाहिए.
धन्यवाद से नहीं चलता है घर - फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट रिंकी कुमारी ने कहा कि सरकार के आदेश के बाद 2015 में हमारी बहाली हुई थी. सरकार हमको हमेशा धन्यवाद देती है कि आप कोविड-19 में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार से हमारा नम्र निवेदन है कि यह धन्यवाद से घर नहीं चलता है. अगर रियल में हमें धन्यवाद देते हैं, तो हमारे संविदा को वेतनमान में कर दीजिए. जो फार्मासिस्ट का वेतनमान 37000 है. वहीं वेतन हमारा भी कर दीजिए. अभी हमें 12 हजार मिल रहा है और दो हमारे साथ में जो आयुष डॉक्टर की बहाली हुई. उनका वेतनमान दोगुना कर दिया गया. लेकिन हम लोग का वेतन नहीं बढ़ाया गया. अगर उन लोगों का वेतन बढ़ा, तो हम लोगों का भी वेतन बढ़ना चाहिए.
हमारी सैलरी काफी कम है - फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट विकास कुमार का कहना है कि कोविड-19 में दानापुर स्टेशन पर हमारी ड्यूटी लगातार लगी है. हमारा काम काफी कठिन और जोखिम भरा होता है. हम यात्रियों की स्क्रीनिंग करते हैं और यात्री पूर्णता स्क्रीनिंग टेस्ट में पास हो जाते हैं, तो संबंधित जिले में भेजते हैं. लेकिन हमारी भी समस्याएं है कि हमारी सैलरी काफी कम है. 12 हजार में हम काम कर रहे हैं. हमारे साथ एक ही प्रोग्राम है और एक ही विज्ञापन के माध्यम से जो बहाली हुई थी, उनका मानदेय 20 हजार से बढ़ाकर 44000 कर दिया गया, जबकि साथ में बहाल हुए फार्मासिस्ट की वेतन में वृद्धि नहीं की गई. लेकिन हम शांतिपूर्ण ढंग से काला बिल्ला लगाकर अपना कार्य कर रहे हैं. ताकि सरकार तक हमारे संदेश जाए कि हमारी जो सैलरी है, उसमें सम्मान जनक बढ़ोतरी हो.