पटनाः बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की सरकार के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत मुख्यमंत्री को हटाने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज (petition against cm nitish kumar dismissed) कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि नीतीश कुमार ने बिहार में चुनाव पूर्व गठबंधन को तोड़कर आरजेडी और महागठबंधन के अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई, जो मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी है.
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क्या कहा गया था याचिका मेंः सुप्रीम कोर्ट में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका दायर की गई थी. मुजफ्फरपुर के एक व्यक्ति ने यह याचिका दी थी. इसमें कहा गया था कि नीतीश कुमार की पार्टी ने अगस्त में एक नया गठबंधन बनाया था, जो चुनाव के बाद बनाया गया था और ये दलबदल विरोधी कानून के तहत आता है. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू द्वारा 'महागठबंधन' बनाकर बिहार में मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी की गई है. याचिका में संसद को एक उचित कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि चुनाव पूर्व गठबंधन पैसे और सत्ता लोभी नेताओं की नीति न बन जाए, जो अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी पार्टी के राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर देते हैं.
याचिका को पीठ ने किया खारिजः न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इस याचिका को खारिज करने आदेश पारित किया. पीठ ने 7 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि दलबदल विरोधी कानून और यहां तक कि 10 वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत कुछ शर्तों के अधीन चुनाव के बाद के गठबंधन की अनुमति है. इसलिए इस रिट याचिका का कोई औचित्य नहीं है और खारिज करने योग्य है.