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Janata Darbar: CM नीतीश से मांगी नौकरी, हाथ लगी निराशा, शख्स बोला- 'हम तो बेरोजगार ही रह गए'

सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने जनता दरबार (Janata Darbar) में पुलिस व भू-राजस्व से संबंधित मामलों की सुनवाई की. इस दौरान कोरोना काल में अपनी नौकरी गंवाने वाले एक शख्स ने मुख्यमंत्री से नौकरी की मांग कर डाली. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Aug 2, 2021, 4:22 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना में जनता दरबार (Janta Darbar) 5 साल बाद फिर से शुरू हुआ है. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने लोगों की शिकायतें सुनीं. इस दौरान एक शख्स ने मुख्यमंत्री से नौकरी की मांग कर दी. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से बांका से पहुंचे मिथिलेश कुमार की कोरोना काल में नौकरी चली गई. मिथिलेश कुमार अग्निशमन विभाग में काम करते थे.

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अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री से नौकरी मांगने पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के पास भेज दिया और गृह विभाग के अधिकारियों ने साफ कहा कि हम नौकरी नहीं दे सकते हैं. बांका से आए मिथिलेश निराश होकर कहते हैं कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई है.

देखें रिपोर्ट

कोरोना के समय कई लोगों की नौकरी चली गई, अग्निशमन विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मिथिलेश की भी नौकरी सरकार ने ले ली. मिथिलेश के साथ 600 लोगों की नौकरी गई. 3 साल तक अग्निशमन विभाग में मिथिलेश ने काम किया. पर्यटन विभाग के माध्यम से इनकी नौकरी अग्निशमन विभाग को दी गई थी. मिथिलेश का कहना है कि 8 घंटे की नौकरी में 24 घंटे काम लिया जाता था.

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''कोरोना के समय हम लोगों की नौकरी चली गई. मुख्यमंत्री ने जनता दरबार शुरू किया तो हम लोग बड़ी उम्मीद से रजिस्ट्रेशन करवाकर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री से अपनी समस्या बताने पहुंचे. मुख्यमंत्री से मिले भी उनसे कहा भी कि 1 साल से बेरोजगार हैं अब हम लोगों को नौकरी दी जाए, लेकिन मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के पास भेज दिया और अधिकारियों ने कहा कि आपका जो बकाया है, वह तो मिल जाएगा, लेकिन नौकरी हम लोग नहीं दे सकते हैं, क्योंकि आपकी पोस्ट पर स्थाई नियुक्ति कर ली गई है.''- मिथिलेश कुमार, फरियादी

जनता दरबार में आने वाले बड़ी संख्या में लोगों की ये आम समस्या है कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं हो पाती है. 5 साल पहले तक जनता दरबार चलता रहा तो कई लोग एक से अधिक बार जनता दरबार में अपनी समस्या को लेकर पहुंचते थे, उसके बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं होती थी. अब 5 साल बाद मुख्यमंत्री का जनता दरबार शुरू हुआ है, लोगों की उम्मीद बढ़ी है, लेकिन काफी संख्या में लोगों को निराश ही होना पड़ रहा है.

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बता दें कि सोमवार को सीएम नीतीश गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी विभाग, खान भूतत्व विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित शिकायतें सुनी है. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में सीमित संख्या में लोगों को बुलाने के निर्देश दे रखे हैं. जनता दरबार में आने वाले लोगों को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और फिर जिला प्रशासन की टीम उन्हें लेकर जनता दरबार पहुंचती है.

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ये भी पढे़ें- जनता दरबार में फफक पड़ी महिला, बोली- हुजूर... पुलिसवाला सुनता नहीं है... इंसाफ कीजिए, CM बोले- लगाओ फोन

पटना: बिहार की राजधानी पटना में जनता दरबार (Janta Darbar) 5 साल बाद फिर से शुरू हुआ है. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने लोगों की शिकायतें सुनीं. इस दौरान एक शख्स ने मुख्यमंत्री से नौकरी की मांग कर दी. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से बांका से पहुंचे मिथिलेश कुमार की कोरोना काल में नौकरी चली गई. मिथिलेश कुमार अग्निशमन विभाग में काम करते थे.

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अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री से नौकरी मांगने पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के पास भेज दिया और गृह विभाग के अधिकारियों ने साफ कहा कि हम नौकरी नहीं दे सकते हैं. बांका से आए मिथिलेश निराश होकर कहते हैं कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई है.

देखें रिपोर्ट

कोरोना के समय कई लोगों की नौकरी चली गई, अग्निशमन विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मिथिलेश की भी नौकरी सरकार ने ले ली. मिथिलेश के साथ 600 लोगों की नौकरी गई. 3 साल तक अग्निशमन विभाग में मिथिलेश ने काम किया. पर्यटन विभाग के माध्यम से इनकी नौकरी अग्निशमन विभाग को दी गई थी. मिथिलेश का कहना है कि 8 घंटे की नौकरी में 24 घंटे काम लिया जाता था.

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''कोरोना के समय हम लोगों की नौकरी चली गई. मुख्यमंत्री ने जनता दरबार शुरू किया तो हम लोग बड़ी उम्मीद से रजिस्ट्रेशन करवाकर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री से अपनी समस्या बताने पहुंचे. मुख्यमंत्री से मिले भी उनसे कहा भी कि 1 साल से बेरोजगार हैं अब हम लोगों को नौकरी दी जाए, लेकिन मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के पास भेज दिया और अधिकारियों ने कहा कि आपका जो बकाया है, वह तो मिल जाएगा, लेकिन नौकरी हम लोग नहीं दे सकते हैं, क्योंकि आपकी पोस्ट पर स्थाई नियुक्ति कर ली गई है.''- मिथिलेश कुमार, फरियादी

जनता दरबार में आने वाले बड़ी संख्या में लोगों की ये आम समस्या है कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं हो पाती है. 5 साल पहले तक जनता दरबार चलता रहा तो कई लोग एक से अधिक बार जनता दरबार में अपनी समस्या को लेकर पहुंचते थे, उसके बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं होती थी. अब 5 साल बाद मुख्यमंत्री का जनता दरबार शुरू हुआ है, लोगों की उम्मीद बढ़ी है, लेकिन काफी संख्या में लोगों को निराश ही होना पड़ रहा है.

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बता दें कि सोमवार को सीएम नीतीश गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी विभाग, खान भूतत्व विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित शिकायतें सुनी है. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में सीमित संख्या में लोगों को बुलाने के निर्देश दे रखे हैं. जनता दरबार में आने वाले लोगों को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और फिर जिला प्रशासन की टीम उन्हें लेकर जनता दरबार पहुंचती है.

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