पटनाः दादा परदादा के जमाने में देखे जाने वाला चलता फिरता सिनेमाघर यानी बाइस्कोप (Biscope) आज की पीढ़ी के लिए भले ही विचित्र हो लेकिन पटना की सड़कों पर बाइस्कोप आज भी लोगों की पसंद बना हुआ है. नई पीढ़ी के लोग बाइस्कोप देखकर काफी खुश (People happy to see Biscope) हो रहे हैं. जिसने पहले इसे कभी नहीं देखा वो एक बार रुककर इसका आनंद जरूर लेता है. वहीं कुछ पुराने लोग भी दोबारा इसे देखकर अपनी यादें ताजा कर लेते हैं.
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एक जमाना था जब बाइस्कोप से ही बच्चे और जवान मनोरंजन करते थे. तब मनोरंजन के नाम पर सिनेमाघर, मोबाइल और टीवी नहीं हुआ करता था. ऐसे में जब बाइस्कोप गलियों से गुजरता था तो सभी लोग उसी से मनोरंजन करते थे. बाइस्कोप में तरह-तरह के हीरो हीरोइन के अलावा देश की कई प्रसिद्ध तस्वीरें भी देखने को मिलती थीं.
राजधानी पटना की रहने वाली रुपाली राज ने एक बार फिर बाइस्कोप को पटना के चौक चौराहों पर लगा कर इसके वजूद को जिंदा कर दिया है. रुपाली पटना के म्यूजियम, चिल्ड्रन पार्क और बिस्कोमान भवन के पास में बाइस्कोप लगवाती हैं. इससे 10 रुपये में बिहार के सुप्रसिद्ध जगहों का दर्शन कराया जाता है.
इस पर 3 नौजवानों को रोजगार भी मिला है. पटनावासी बाइस्कोप को देखकर एक बार जरूर रुकते हैं, उसके बारे में पूछते हैं और देखते भी हैं. रुपाली ने बताया कि दिन भर में कई लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं और जो बुजुर्ग लोग हैं वह बाइस्कोप को देख करके काफी खुश होते हैं .
रुपाली बताती हैं कि कोरोनावायरस काल में जब लोग घरों में बैठकर के रामायण और महाभारत देख रहे थे, उसी समय इस बाइस्कोप का ख्याल मन में आया. उन्होंने अपने पति से जिक्र करके बाइस्कोप को मंगवाया और आज उसे कई जगहों पर लोगों के मनोरंजन के लिए लगाती हैं. बाइस्कोप के जरिए वो दो पैसे भी कमा रही हैं. इससे दो तीन लोगों को रोजगार भी मिला है.
बाइस्कोप के देखने के बाद ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान शोभा रानी ने बताया कि भले ही मनोरंजन के साधन और बदलते जमाना में लोगों का मिजाज भी बदल गया हो .लेकिन आज भी इस बाइस्कोप को देखकर वह पुरानी यादें ताजा हो गई हैं. उन्होंने बताया कि 20 साल बाद बाइसकोप को देख दिल प्रसन्न हो गया. आज के बच्चों को ये पता भी नहीं चलेगा की आखिर ये है क्या.
वहीं, शालिनी कुमारी ने कहा कि पहली बार इस तरह का हमने बाइस्कोप देखा है. हमने जब से होश संभाला है बाइस्कोप को नहीं देखा था. लेकिन आज देखकर काफी खुशी मिली. अब तो लोग टीवी और मोबाइल पर ही सब कुछ देख लेते हैं, ऐसे में पुरानी चीजों को देखकर अच्छा लगा.
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बता दें कि बाइस्कोप पहले के जमाने में बच्चों और जवानों के लिए दिल बहलाने का सस्ता विकल्प था. लेकिन आज के जमाने में डिजिटल दुनिया में मनोरंजन का साधन भी बदल गया. मोबाइल टीवी और बच्चों के खेलने के लिए कई प्रकार के वीडियो गेम मार्केट में उपलब्ध हैं. अब चलता फिरता सिनेमाघर यानी बाइस्कोप इस जमाने से उठ गया है.