ETV Bharat / state

Patna News: एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर मेनका गांधी की संस्था ने उठाया सवाल, नगर निगम ने भेजा लीगल नोटिस

बीजेपी सांसद मेनका गांधी की एनजीओ पीपुल फॉर एनिमल की बिहार इकाई ने पटना नगर निगम पर एनिमल बर्थ कंट्रोल को गलत तरीके से करने और इसके लिए गैर निबंधित संस्थान को हायर करने का आरोप लगाया है. हालांकि इन आरोपों को निराधार बताते हुए नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने पीपुल फॉर एनिमल बिहार की प्रेसिडेंट वसुधा गुप्ता को लीगल नोटिस भेजा है.

एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम
एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम पर सवाल
author img

By

Published : May 21, 2023, 9:00 AM IST

एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर सवाल

पटना: शनिवार को स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के सभागार में पीपल फॉर एनिमल्स बिहार की अध्यक्ष वसुधा गुप्ता ने कई पशु संगठनों के साथ मिलकर एक प्रेस वार्ता की. जहां उन्होंने बताया कि पटना नगर निगम ने जो एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत गली मोहल्लों के कुत्तों की नसबंदी की जा रही है, उसका तरीका गलत है. उन्होंने कहा कि जिस संस्था को पटना नगर निगम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाने के लिए दिया है, वह एक एनजीओ के तौर पर रजिस्टर्ड है और वह नसबंदी नहीं कर सकती.

ये भी पढ़ें: Dog Terror In Purnea: खूंखार आवारा कुत्ते ने छह साल के बच्चे नोचा-घसीटा, अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा मासूम

'कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार': वसुधा गुप्ता ने कहा कि जो संस्था एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चला रहे हैं, उनके लोग ट्रेंड नहीं है और कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं. कुत्तों की नसबंदी सही तरीके से नहीं की जा रही. इसके अलावा जिन जगहों से कुत्तों को उठाया जा रहा है, वहां पर कुत्तों को नहीं छोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वार्ड क्षेत्र बहुत बड़ा एरिया होता है लेकिन जिस वार्ड से कुत्तों को उठाया जा रहा है, उसी वार्ड में भले ही छोड़ दिया जा रहा है लेकिन कुत्तों को वहां छोड़ना चाहिए, जिस गली से उसे उठाया गया है. अनजान गलियों में यदि कुत्तों को छोड़ा जाए तो वह एग्रेसिव हो जाते हैं. ऐसा रिसर्च है कि अग्रेशन में कई बार अधिक आक्रमक हो जाते हैं और बच्चों और लोगों पर हमला कर देते हैं. जिससे बच्चे अथवा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं. वसुधा गुप्ता ने कहा कि कई राज्यों में यह एजेंसी बैन है लेकिन बावजूद इसके बिहार में पटना नगर निगम उसी एजेंसी से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चला रही है.

"पटना नगर निगम सही एजेंसी को एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम का जिम्मा सौंपे. जो एजेंसी यह काम शुरू करें वह स्थानीय डॉग लवर से अथवा एनिमल एक्टिविस्ट के साथ मिलकर काम करें. लोकल एनिमल एक्टिविस्ट यह आसानी से बता देंगे कि किस कुत्ते को कहां छोड़ना है. नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने के दौरान वर्तमान एजेंसी गलत तरीके से पकड़ रही है, जिसमें कुत्ते जख्मी हो रहे हैं. नसबंदी के बाद गलत नसबंदी के कारण जो कुत्ते मरे हैं, उनका सही आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है"- वसुधा गुप्ता, अध्यक्ष, पीपल फॉर एनिमल्स बिहार

'आवारा कुत्तों से लोग परेशान': वहीं संस्था के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने बताया कि कुछ संस्था हैं, जो निजी स्वार्थ के लिए नगर निगम पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से निगम के लोग परेशान थे. इस परेशानी को हल करने के लिए पटना नगर निगम ने एक कोशिश की है कि कुत्तों की नसबंदी की जाए. इसका वो लोग विरोध कर रहे हैं, जो चाहते हैं कि पटना वासी पहले जैसे हालत में ही रहे और आवारा कुत्तों के आतंक से दहशत में रहे.

रूल बुक के तहत ही एजेंसी का चयन: नगर आयुक्त ने कहा कि एजेंसी का चयन बिहार फाइनेंसियल रूल बुक के तहत ही हुआ है और एजेंसी एनिमल वेलफेयर बोर्ड से रजिस्टर्ड है. उन्होंने कहा कि या उनके समझ में नहीं आता कि जो एनिमल सर्जन बोर्ड से रजिस्टर्ड है, वह जानवरों की नसबंदी कैसे नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि पशुओं की नसबंदी के लिए जो केंद्र के द्वारा रेट तय है, वह लगभग ₹1400 का है और यह एजेंसी प्रति कुत्ते मात्र लगभग ₹1100 राशि ही ले रही है. जो लोग पटना नगर निगम की छवि खराब करने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं वह चाहते हैं कि इसका टेंडर उन्हें मिले और इससे अपना फायदा कमाए लेकिन पटना नगर निगम का कोई इसमें फायदा नहीं है. बस लोगों के सहूलियत के लिए बिहार फाइनेंसियल रूलबुक के अनुसार एजेंसी को तय करके यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. या एजेंसी किसी एक राज्य में बैन है क्योंकि वहां पर उस एजेंसी के लोगों ने अच्छा काम नहीं किया लेकिन कई राज्यों में काम कर रही है. जो लोग आरोप लगा रहे हैं वही अपने यहां एजेंसी को रजिस्टर्ड किए हुए हैं.

"पीपुल फॉर एनिमल बिहार की अध्यक्षा वसुधा गुप्ता को लीगल नोटिस भी भेजा है. पटना नगर निगम की छवि को कोई खराब करने की कोशिश करेगा तो नगर निगम इसे बर्दाश्त नहीं करेगा और जरूरत पड़ने पर कोर्ट का रुख भी नगर निगम करेगा. यह भी देखा गया है कि यह एजेंसी गलत रिपोर्ट मीडिया में देखकर गलत खबरें और भ्रामक खबर छपवाने की कोशिश कर रही है. पीपुल फॉर एनीमल्स बिहार की ओर से जो कुछ भी नगर निगम पर आरोप लगाए हैं, सभी निराधार हैं"- अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम

एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर सवाल

पटना: शनिवार को स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के सभागार में पीपल फॉर एनिमल्स बिहार की अध्यक्ष वसुधा गुप्ता ने कई पशु संगठनों के साथ मिलकर एक प्रेस वार्ता की. जहां उन्होंने बताया कि पटना नगर निगम ने जो एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत गली मोहल्लों के कुत्तों की नसबंदी की जा रही है, उसका तरीका गलत है. उन्होंने कहा कि जिस संस्था को पटना नगर निगम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाने के लिए दिया है, वह एक एनजीओ के तौर पर रजिस्टर्ड है और वह नसबंदी नहीं कर सकती.

ये भी पढ़ें: Dog Terror In Purnea: खूंखार आवारा कुत्ते ने छह साल के बच्चे नोचा-घसीटा, अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा मासूम

'कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार': वसुधा गुप्ता ने कहा कि जो संस्था एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चला रहे हैं, उनके लोग ट्रेंड नहीं है और कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं. कुत्तों की नसबंदी सही तरीके से नहीं की जा रही. इसके अलावा जिन जगहों से कुत्तों को उठाया जा रहा है, वहां पर कुत्तों को नहीं छोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वार्ड क्षेत्र बहुत बड़ा एरिया होता है लेकिन जिस वार्ड से कुत्तों को उठाया जा रहा है, उसी वार्ड में भले ही छोड़ दिया जा रहा है लेकिन कुत्तों को वहां छोड़ना चाहिए, जिस गली से उसे उठाया गया है. अनजान गलियों में यदि कुत्तों को छोड़ा जाए तो वह एग्रेसिव हो जाते हैं. ऐसा रिसर्च है कि अग्रेशन में कई बार अधिक आक्रमक हो जाते हैं और बच्चों और लोगों पर हमला कर देते हैं. जिससे बच्चे अथवा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं. वसुधा गुप्ता ने कहा कि कई राज्यों में यह एजेंसी बैन है लेकिन बावजूद इसके बिहार में पटना नगर निगम उसी एजेंसी से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चला रही है.

"पटना नगर निगम सही एजेंसी को एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम का जिम्मा सौंपे. जो एजेंसी यह काम शुरू करें वह स्थानीय डॉग लवर से अथवा एनिमल एक्टिविस्ट के साथ मिलकर काम करें. लोकल एनिमल एक्टिविस्ट यह आसानी से बता देंगे कि किस कुत्ते को कहां छोड़ना है. नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने के दौरान वर्तमान एजेंसी गलत तरीके से पकड़ रही है, जिसमें कुत्ते जख्मी हो रहे हैं. नसबंदी के बाद गलत नसबंदी के कारण जो कुत्ते मरे हैं, उनका सही आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है"- वसुधा गुप्ता, अध्यक्ष, पीपल फॉर एनिमल्स बिहार

'आवारा कुत्तों से लोग परेशान': वहीं संस्था के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने बताया कि कुछ संस्था हैं, जो निजी स्वार्थ के लिए नगर निगम पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से निगम के लोग परेशान थे. इस परेशानी को हल करने के लिए पटना नगर निगम ने एक कोशिश की है कि कुत्तों की नसबंदी की जाए. इसका वो लोग विरोध कर रहे हैं, जो चाहते हैं कि पटना वासी पहले जैसे हालत में ही रहे और आवारा कुत्तों के आतंक से दहशत में रहे.

रूल बुक के तहत ही एजेंसी का चयन: नगर आयुक्त ने कहा कि एजेंसी का चयन बिहार फाइनेंसियल रूल बुक के तहत ही हुआ है और एजेंसी एनिमल वेलफेयर बोर्ड से रजिस्टर्ड है. उन्होंने कहा कि या उनके समझ में नहीं आता कि जो एनिमल सर्जन बोर्ड से रजिस्टर्ड है, वह जानवरों की नसबंदी कैसे नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि पशुओं की नसबंदी के लिए जो केंद्र के द्वारा रेट तय है, वह लगभग ₹1400 का है और यह एजेंसी प्रति कुत्ते मात्र लगभग ₹1100 राशि ही ले रही है. जो लोग पटना नगर निगम की छवि खराब करने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं वह चाहते हैं कि इसका टेंडर उन्हें मिले और इससे अपना फायदा कमाए लेकिन पटना नगर निगम का कोई इसमें फायदा नहीं है. बस लोगों के सहूलियत के लिए बिहार फाइनेंसियल रूलबुक के अनुसार एजेंसी को तय करके यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. या एजेंसी किसी एक राज्य में बैन है क्योंकि वहां पर उस एजेंसी के लोगों ने अच्छा काम नहीं किया लेकिन कई राज्यों में काम कर रही है. जो लोग आरोप लगा रहे हैं वही अपने यहां एजेंसी को रजिस्टर्ड किए हुए हैं.

"पीपुल फॉर एनिमल बिहार की अध्यक्षा वसुधा गुप्ता को लीगल नोटिस भी भेजा है. पटना नगर निगम की छवि को कोई खराब करने की कोशिश करेगा तो नगर निगम इसे बर्दाश्त नहीं करेगा और जरूरत पड़ने पर कोर्ट का रुख भी नगर निगम करेगा. यह भी देखा गया है कि यह एजेंसी गलत रिपोर्ट मीडिया में देखकर गलत खबरें और भ्रामक खबर छपवाने की कोशिश कर रही है. पीपुल फॉर एनीमल्स बिहार की ओर से जो कुछ भी नगर निगम पर आरोप लगाए हैं, सभी निराधार हैं"- अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.