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Bihar Health: स्टोर रूम में मरीज, वार्डों में अंधेरा.. देख लीजिए स्वास्थ्य मंत्री जी अपने अस्पताल का हाल

बिहार सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग की ओर से लाख सुधार के दावे किए जाते हैं. लेकिन राजधानी पटना से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर धनरुआ प्रखंड के सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल यह है कि यहां कई मरीजों को स्टोर रुम में रखा जाता है. कई वार्डों में बिजली भी नहीं है. आलम यह है कि स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी सभी मरीजों को बेड पर चादर देने से भी मना करते हैं. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से लोगों की मांग है कि स्थित को सुधारा जाए. पढ़ें पूरी खबर...

पटना में अस्पताल का बदहाल
पटना में अस्पताल का बदहाल
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Published : Mar 18, 2023, 11:01 AM IST

Updated : Mar 18, 2023, 11:31 AM IST

पटना में अस्पताल की स्थिति बदहाल

पटना: राजधानी पटना से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धनरूआ (Community Health Center Dhanarua) में बिना लाइट के अंधेरे कमरे में मरीजों का इलाज होता है. अंधेरे की बात तो छोड़िए कचरे से अंबार वाले स्टोर रुम में भी मरीजों को सीट दिया जाता है. इसी कारण पूरे बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आमलोगों के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से मांग है. मरीजों की परेशानी तो कम होती नहीं और यहां एजेंसियों के कर्मचारियों के द्वारा मरीजों को एक से दूसरे कमरे में लेकर जाने के लिए 50 रुपये का भी मांगा जाता है.

ये भी पढ़ें- लापरवाही: खुलेआम फेंका जा रहा अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट, संक्रामक रोगों को दे रहा निमंत्रण

अस्पताल का हाल हुआ बदहाल: इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आये मरीजों और उनके परिजनों के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव को अस्पतालों का हाल दिखाया जा रहा है. बता दें कि यहां मरीजों का इलाज अंधेरे कमरे में किया जाता है. दूसरी बात की मरीजों को गंदे स्टोर रूम में रखकर डिलीवरी मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके साथ ही अस्पताल में किसी एजेंसी के लोगों के द्वारा 50 रुपये प्रति मरीज भी लिया जाता है.

बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी: जब ईटीवी भारत ने इस बात की जांच पड़ताल की तब देखा गया कि अस्पताल में किसी भी कमरे के बेड पर चादर भी उपलब्ध नहीं है. यहां पर बिना लाइट के मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही कई और बुनियादी समस्याओं से यह अस्पताल खुद घिरा हुआ है. जहां पर मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन जिस स्टोर रूम में मरीजों को रखा जाता है. वहां मरीज स्वस्थ होने के बजाय किसी संक्रमण के डर से तबाह रहते हैं.

बेड पर चादर तक नहींः अस्पताल में जाने के बाद जानकारी मिली कि किसी एजेंसी के लोगों के द्वारा मरीजों को एक से दूसरे कमरे में लेकर जाने के लिए मरीजों के परिजनों से 50 रुपये भी लिया जाता है. इन प्रश्नों के जवाब में प्रभारी ने बताया कि अस्पताल में बेड पर चादर बिछाने के लिए और महिला और मरीजों को डिलीवर करने के लिए एजेंसी को काम दिया गया है. हम इसके खिलाफ सीधे सिविल सर्जन को भी लिखेंगे कि यहां पर इन लोगों के द्वारा सभी मरीजों से पैसे वसूले जा रहे हैं.

शहर के मधुबन गांव से इलाज कराने गई गीता देवी ने कहा कि 'यहां किसी बेड पर चादर नहीं है. चादर मांगने पर कहा जाता है कि सिर्फ डिलीवरी मरीजों को चादर दी जाती है'. साथ ही इलाज कराने आये जितेंद्र ने बताया कि यहां पर मरीजों से 50 रुपये भी वसूले जाते हैं.

"अस्पताल में बेड पर चादर बिछाने के लिए और महिला और मरीजों को डिलीवर करने के लिए एजेंसी को काम दिया गया है. हम इसके खिलाफ सीधे सिविल सर्जन को भी लिखेंगे"- डॉ प्रतिभा, प्रभारी

पटना में अस्पताल की स्थिति बदहाल

पटना: राजधानी पटना से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धनरूआ (Community Health Center Dhanarua) में बिना लाइट के अंधेरे कमरे में मरीजों का इलाज होता है. अंधेरे की बात तो छोड़िए कचरे से अंबार वाले स्टोर रुम में भी मरीजों को सीट दिया जाता है. इसी कारण पूरे बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आमलोगों के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से मांग है. मरीजों की परेशानी तो कम होती नहीं और यहां एजेंसियों के कर्मचारियों के द्वारा मरीजों को एक से दूसरे कमरे में लेकर जाने के लिए 50 रुपये का भी मांगा जाता है.

ये भी पढ़ें- लापरवाही: खुलेआम फेंका जा रहा अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट, संक्रामक रोगों को दे रहा निमंत्रण

अस्पताल का हाल हुआ बदहाल: इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आये मरीजों और उनके परिजनों के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव को अस्पतालों का हाल दिखाया जा रहा है. बता दें कि यहां मरीजों का इलाज अंधेरे कमरे में किया जाता है. दूसरी बात की मरीजों को गंदे स्टोर रूम में रखकर डिलीवरी मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके साथ ही अस्पताल में किसी एजेंसी के लोगों के द्वारा 50 रुपये प्रति मरीज भी लिया जाता है.

बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी: जब ईटीवी भारत ने इस बात की जांच पड़ताल की तब देखा गया कि अस्पताल में किसी भी कमरे के बेड पर चादर भी उपलब्ध नहीं है. यहां पर बिना लाइट के मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही कई और बुनियादी समस्याओं से यह अस्पताल खुद घिरा हुआ है. जहां पर मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन जिस स्टोर रूम में मरीजों को रखा जाता है. वहां मरीज स्वस्थ होने के बजाय किसी संक्रमण के डर से तबाह रहते हैं.

बेड पर चादर तक नहींः अस्पताल में जाने के बाद जानकारी मिली कि किसी एजेंसी के लोगों के द्वारा मरीजों को एक से दूसरे कमरे में लेकर जाने के लिए मरीजों के परिजनों से 50 रुपये भी लिया जाता है. इन प्रश्नों के जवाब में प्रभारी ने बताया कि अस्पताल में बेड पर चादर बिछाने के लिए और महिला और मरीजों को डिलीवर करने के लिए एजेंसी को काम दिया गया है. हम इसके खिलाफ सीधे सिविल सर्जन को भी लिखेंगे कि यहां पर इन लोगों के द्वारा सभी मरीजों से पैसे वसूले जा रहे हैं.

शहर के मधुबन गांव से इलाज कराने गई गीता देवी ने कहा कि 'यहां किसी बेड पर चादर नहीं है. चादर मांगने पर कहा जाता है कि सिर्फ डिलीवरी मरीजों को चादर दी जाती है'. साथ ही इलाज कराने आये जितेंद्र ने बताया कि यहां पर मरीजों से 50 रुपये भी वसूले जाते हैं.

"अस्पताल में बेड पर चादर बिछाने के लिए और महिला और मरीजों को डिलीवर करने के लिए एजेंसी को काम दिया गया है. हम इसके खिलाफ सीधे सिविल सर्जन को भी लिखेंगे"- डॉ प्रतिभा, प्रभारी

Last Updated : Mar 18, 2023, 11:31 AM IST
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