पटना: आगामी महीने से बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने जा रही है. इसके अलावा सभी कक्षाओं के एनुअल परीक्षाएं शुरू होने जा रही है. परीक्षा को लेकर बच्चों के मन में काफी दबाव रहता है और अभिभावक भी बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालते हैं. ऐसे में इन तमाम स्थितियों के बीच बच्चे परीक्षा के दौरान तनाव को मन से कैसे दूर रखें, रिजल्ट की चिंता अधिक ना करें इन सारी बातों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में बच्चों के सवालों का जवाब दिया.
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पटना के छात्रों में खुशी का माहौल: इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को अपने जीवन के अनुभव से जुड़ी कई प्रेरक बातें बताई और अभिभावकों और शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों को समाज में क्या व्यवहार रखना चाहिए और परीक्षा का तनाव अधिक क्यों नहीं लेना चाहिए तमाम विषयों पर खुलकर बातचीत की. इस चर्चा में देशभर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं वर्चुअल माध्यम से जुड़े और प्रधानमंत्री की बातों को सुनकर लाभान्वित हुए. पटना की राजवंशी नगर स्थित डीएवी स्कूल में 11वीं कक्षा के बच्चों ने वर्चुअल माध्यम से प्रधानमंत्री की बातों को सुना.
11वीं कक्षा की छात्रा श्रृजा ने कहा "प्रधानमंत्री हम सबके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा के रूप में सामने आए थे. उनसे बहुत सीखने को मिलता है. उन्होंने जो आज हमारे समक्ष कहा उससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि एग्जाम जो है उसे एक भोज की तरह नहीं देखना चाहिए. बल्कि एक त्योहार के तौर पर सेलिब्रेट करना चाहिए. एग्जाम हमें अपने अंदर की कमियों और खूबियों को जानने का मौका देता है जिस पर हम काम करके बेहतर परिणाम पा सके."
वहीं छात्रा अथर्वी ने कहा "प्रधानमंत्री जी की बातों को सुनकर काफी प्रेरणा मिली है. हमें यह जानने का मौका मिला कि प्रेशर को कैसे डील करते हैं. क्वेश्चन जब पूछने हैं तो पूछना चाहिए और क्वेश्चन पूछने के लिए जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए. कैसे हर एक चीज को परख करके उसका हल निकालना है. पढ़ाई के दौरान टाइम मैनेजमेंट के बारे में भी बहुत अच्छी तरीके से जानने और समझने का मौका मिला है."
रिचा ने बताया कि "प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल माध्यम से परीक्षा पर चर्चा का सेशन काफी लाभप्रद रहा. टाइम मैनेजमेंट के बारे में काफी कुछ जानने और समझने का मौका मिला कि जिस सब्जेक्ट में मन नहीं लगता है उसे मजबूत करने के लिए कितना टाइम दें और उसके लिए समय कैसे निकाले."
11वी कक्षा की छात्रा प्रियदर्शिनी बताती हैं कि "परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए काफी फायदेमंद रहा. पेरेंट्स का पढ़ाई को लेकर दबाव नहीं रहता लेकिन उनका बच्चों को पढ़ाई के लिए कहना सही होता है क्योंकि वह चाहते हैं कि उनके बच्चे आगे बढ़ें. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अभिभावकों के उम्मीदों पर खरा उतरे. लेकिन प्रधानमंत्री ने आज जो भी बातें कहीं वह काफी प्रेरित करने वाली रही. हमें अपने पेरेंट्स से कैसे डील करना चाहिए और कैसे परीक्षा को लेकर मन में जो तनाव है उसे दूर रखते हुए अपनी तैयारी करनी चाहिए सब पर चर्चा हुई."
विशाखा झा ने बताया कि "परीक्षा के दौरान सभी छात्र मेहनत करके परीक्षा देते हैं लेकिन कुछ बच्चे चोरी करके अच्छे अंक प्राप्त कर लेते हैं. यह काफी तनाव डालता है. प्रधानमंत्री की बातों को सुनने के बाद एहसास हुआ कि ऐसे बच्चे कुछ समय के लिए किसी 1-2 परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर लेंगे लेकिन जीवन में आगे चलकर अन्य प्रतियोगिताओं में सफल नहीं हो पाएंगे. जो अपनी मेहनत के बदौलत अंक प्राप्त करेंगे वही आगे सफल हो पाएंगे."
छात्रा शांभवी ने बताया कि "प्रधानमंत्री की बातों से मुझे यही संदेश मिला कि जीवन में कभी भी अत्यधिक तनाव नहीं लेना चाहिए. किसी भी चीज को बोझ की तरह नहीं रखना चाहिए. पूरे आनंद और फ्रेश माइंड से हर काम को करना चाहिए जिससे आपको खुशी मिले. अधिक प्रेशर नहीं लेना है और एग्जाम जब आते हैं तो उसे एक चैलेंज के तौर पर लेना है कि अगर उन्होंने यह चैलेंज पास किया तो यह उनके लिए अच्छा होगा."
वहीं अभिज्ञान का कहना है कि "प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह बताया कि कैसे हमें देश-दुनिया से कनेक्ट होना चाहिए. हमें अपनी भाषा के साथ-साथ देश की कुछ अन्य भाषाओं की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि वहां के लोगों से जब मिले तो एक पर्सनल कॉनटेक्ट बन सके. तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है और यह हमारे लिए गौरव की बात है क्योंकि यह भाषा भारत की ही एक भाषा है."
निर्मलजीत कुमार ने कहा कि "इस चर्चा में शामिल होकर यह संदेश मिला की परीक्षा की तैयारी 1 दिन में नहीं बल्कि 1 साल जो कुछ पढ़े हैं उससे होती है. परीक्षा को लेकर तनाव नहीं लेना चाहिए बल्कि उसे इंजॉय करना चाहिए. पेरेंट्स का थोड़ा बहुत दबाव रहता है लेकिन इसकी चिंता नहीं करनी है क्योंकि परीक्षा इस बात के लिए नहीं होती कि आपने कितनी पढ़ाई की है बल्कि इस बात का मूल्यांकन होता है कि आपने कितना सीखा है."
छात्र समीर कुमार ने कहा कि "प्रधानमंत्री का संदेश काफी फायदेमंद रहा. प्रधानमंत्री ने बताया कि परीक्षा जैसी जाए अभिभावकों को वैसा ही बताना चाहिए बढ़ा चढ़ाकर नहीं. वह भी ऐसा ही करते हैं क्योंकि यदि बढ़ा चढ़ाकर बताया जाए तो अभिभावक अधिक उम्मीदें पाल लेते हैं और रिजल्ट के समय जब उम्मीदें टूटती है तो उसका दुख और अधिक होता है."
11वीं की छात्रा प्रकृति कहती हैं "प्रधानमंत्री के इस संवाद में कई सारे मैसेज उन्हें मिले. एक साइड से ही बहुत कुछ नहीं हो सकता. शिक्षकों के पक्ष से भी मदद मिलनी चाहिए. अगर हम सवाल पूछते हैं तो उसे सकारात्मक तरीके से शिक्षकों को बताना चाहिए. परीक्षा के दौरान तनाव लेने के बजाय अपने आप का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि हम कहां मजबूत हैं और कहां कमजोर हैं. जहां काम करने की आवश्यकता है वहां प्रयास करना चाहिए. परीक्षा खुद को मजबूत बनाने की एक अपॉर्चुनिटी है. इसके अलावा सोसाइटी में कैसे बर्ताव करना है इसके बारे में भी जानकारी मिली."
अंशुल ने बताया कि "टेक्नोलॉजी का कोई एडिक्शन नहीं है लेकिन जब ऑनलाइन क्लासेज चलते थे तो उस समय उन्हें काफी दिक्कत होती थी और काफी डिस्ट्रैक्शन होते थे. कभी यूट्यूब का कोई वीडियो देखने लगते थे, कभी इंस्टाग्राम चलाने लगते थे और पढ़ाई छूट जाती थी. आज मोबाइल का अधिक यूज करना युवाओं का एडिक्शन बन गया है जो हमारा ब्रेन वॉश कर रहा है. समय की बर्बादी भी कर रहा है. प्रधानमंत्री के संदेशों पर अमल करेंगे और घर के एक हिस्से में टेक्नॉलॉजी को पूरी तरह बैन करेंगे. घर परिवार के लोगों को दिन में कुछ समय मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि इस दौरान वह वास्तविक दुनिया पर नजरे डाल सकें."
शिवानी का कहना है कि "प्रधानमंत्री की बातों को सुनकर टेक्नोलॉजी के लिए टाइम मैनेजमेंट करने की जानकारी प्राप्त हुई है. इंसान स्मार्ट होता है टेक्नोलॉजी नहीं और कभी भी टेक्नोलॉजी को इंसान के ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए. सोशल मीडिया यूज करते हैं तो समय निर्धारित करना चाहिए."
छात्र अनुराग ने बताया कि "प्रधानमंत्री ने बताया कि हमें बाहर के लोगों से और अधिक घुलना मिलना चाहिए ताकि लोगों को अधिक से अधिक जानकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके. अपने देश और देश की विविधता को अच्छी तरीके से जान सके ताकि जीवन में अच्छा परफॉर्म कर सकें. बारहवीं कक्षा के बाद कुछ दिनों के लिए मैं देश के विभिन्न राज्यों का भ्रमण करूंगा और देश की संस्कृति को जानने की कोशिश करूंगा."
शिशिर मोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री की बातों से उन्हें बहुत प्रेरणा मिली है. सबसे पहले हमने अपने आपको जांचना सीखा है. हमें अपनी क्षमता का पता होना जरूरी है. इसके अलावा टाइम मैनेजमेंट के तरीकों के बारे में भी बहुत अच्छी जानकारी मिली है. शिक्षकों के साथ अच्छे से कोऑर्डिनेट करना और उनसे अच्छी चीजों को सीखने का संदेश भी महत्वपूर्ण है, जो प्रधानमंत्री से मिली है.
'अभिभावकों के लिए भी खास रही ये चर्चा': विद्यालय की इतिहास की शिक्षक विनीता शर्मा ने बताया कि परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम बेहद लाभप्रद रहा. परीक्षा के समय बच्चे कैसे तनाव से मुक्त रहें, टेक्नोलॉजी का क्या इंपैक्ट है और इसे कितना समय देना है, इसके अलावा बच्चों को परीक्षा में कदाचार से दूर रहने की जो सलाह दी है वह काफी महत्वपूर्ण है.
"इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण आखरी में अभिभावकों को दिया सलाह रहा जहां पीएम ने कहा कि बच्चे को बाहर घूमने के लिए भेजिए ताकि वह अपनी नजर से दुनिया देख सके और दुनिया के बारे में अपनी एक समझ बना सके. बच्चे जब कुछ दिनों के लिए पढ़ाई लिखाई छोड़ कर खुद से अकेले घूमने निकलेंगे तो पढ़ाई और परीक्षा को लेकर जो मन में तनाव रहता है वह कम होगा. परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम बहुत ही फायदेमंद रहा है."- विनीता शर्मा, शिक्षिका
'व्यक्तित्व निर्माण की बात से बच्चों को होगा फायदा': विद्यालय के उच्च कक्षा के बायोलॉजी के शिक्षक बलराम कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पूरे संबोधन के दौरान एक व्यक्तित्व निर्माण की बात की है. उनके संदेश में यह प्रमुख रहा है कि कैसे बच्चे एक बेहतर नागरिक बने और देश की विविधता को जाने समझे. एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखें.
"पीएम मोदी ने सामाजिक संरचना की बात की. कैसे एक घर में रहते हुए परिवार के सदस्य एक दूसरे में मैसेज से बातचीत कर रहे हैं इसको भी बारीकी से ऑब्जर्व करते हुए उन्होंने बातें कहीं हैं. पीएम मोदी ने शिक्षकों छात्रों और अभिभावकों के सामूहिक दायित्व पर चर्चा की है जिसके माध्यम से अपने देश को एक बार फिर से गौरवशाली राष्ट्र बना सकें."- बलराम कुमार सिंह, शिक्षक
38 लाख विद्यार्थियों का पंजीकरण : नरेंद्र मोदी की इस चर्चा में शामिल होने के लिए पूरे देश से 38 लाख विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. कार्यक्रम 2018 से चल रहा है. इस कार्यक्रम से बच्चे काफी उत्साहित दिखे. पटना के विद्यार्थी (Patna student participate in Pariksha Pe Charcha) भी चर्चा में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए, जिन्होंने पीएम के सामने परीक्षा को लेकर अपनी बातों को रखा. 'परीक्षा पे चर्चा' के तहत बातचीत का ये छठा संस्करण था, जिसमें पिछले साल के मुकाबले इस बार 15 लाख अधिक बच्चों ने पंजीकरण कराया था.