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खतरे में पड़ी पटना लॉ कॉलेज की मान्यता, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिया अल्टीमेटम

छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं कराई जाती है, तो अगले सत्र से कई कॉलेजों की मान्यता पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी.

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Published : Jul 13, 2019, 4:47 PM IST

डीन का बयान

पटना: पटना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज की मान्यता छिनती दिख रही है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लॉ कॉलेज की मान्यता को रद्द करने का अल्टीमेटम दिया है. कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन भी लिया जा चुका है, लेकिन मान्यता पत्र के इंतजार में प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी है. सत्र 2017-18 में लॉ कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अस्थाई मान्यता दी थी.

छात्रों के भविष्य पर लटक रहा तलवार
लॉ कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर का कहना है कि हर 3 साल पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से निरीक्षण किया जाता है और इसी के आधार पर कॉलेज को मान्यता दी जाती है. लेकिन इस चक्कर में छात्रों के एकेडमिक सेशन पर असर पड़ता है. लिहाजा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को विश्वविद्यालय सत्र को देखते हुए मान्यता मानक को जल्दी पूरा करवाना चाहिए.

पटना विश्वविद्यालय के डीन

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कॉलेज
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मेनन कुमार मिश्रा ने बताया कि जिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है उन कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कॉलेजों को शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया जाता है, लेकिन वो ढ़िल बरतते हैं. जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी, तब तक इन कॉलेजों को अस्थाई मान्यता दी जाएगी.

छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं कराई जाती है, तो अगले सत्र से कई कॉलेजों की मान्यता पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी.

पटना: पटना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज की मान्यता छिनती दिख रही है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लॉ कॉलेज की मान्यता को रद्द करने का अल्टीमेटम दिया है. कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन भी लिया जा चुका है, लेकिन मान्यता पत्र के इंतजार में प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी है. सत्र 2017-18 में लॉ कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अस्थाई मान्यता दी थी.

छात्रों के भविष्य पर लटक रहा तलवार
लॉ कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर का कहना है कि हर 3 साल पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से निरीक्षण किया जाता है और इसी के आधार पर कॉलेज को मान्यता दी जाती है. लेकिन इस चक्कर में छात्रों के एकेडमिक सेशन पर असर पड़ता है. लिहाजा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को विश्वविद्यालय सत्र को देखते हुए मान्यता मानक को जल्दी पूरा करवाना चाहिए.

पटना विश्वविद्यालय के डीन

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कॉलेज
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मेनन कुमार मिश्रा ने बताया कि जिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है उन कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कॉलेजों को शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया जाता है, लेकिन वो ढ़िल बरतते हैं. जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी, तब तक इन कॉलेजों को अस्थाई मान्यता दी जाएगी.

छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं कराई जाती है, तो अगले सत्र से कई कॉलेजों की मान्यता पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी.

Intro:पटना लॉ कॉलेज की मान्यता पर खतरा,बॉर कॉंउसिल ऑफ इंडिया कि लटकी तलवार एक रिपोर्ट


Body:पटना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज की मान्यता खतरे में है बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लॉ कॉलेज की मान्यता को रद्द करने का अल्टीमेटम दिया है
सत्र 2017- 18 में लॉ कॉलेज को अस्थाई मानता दी थी, इस बार अब तक दाखिले की अनुमति भी लॉ कॉलेज को नहीं दी गई है
सूत्रों के मुताबिक बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मेनन कुमार मिश्रा ने कहा है कि जिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है उन कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी बार बार कॉलेजों और संबंधित विश्वविद्यालय को शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया जाता है, जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी इन कॉलेजों को अस्थाई मान्यता दी जाएगी उन्होंने कहा है कि छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं कराई जाती है तो अगले सत्र से कई कॉलेजों की मान्यता पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी बताया जाता है कि पटना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन भी लिया जा चुका है पर मान्यता के इंतजार में प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी है पटना लॉ कॉलेज में 300 सीटें हैं


Conclusion: वही पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नागेंद्र कुमार झा ने कहा है कि पटना लॉ कॉलेज में एडमिशन के लिए आवेदन लिया जा चुका है मान्यता मिलने के लिए सारी प्रक्रिया पूरी अपनाई जा चुकी है जल्द ही इस प्रक्रिया में पहल कर लिया जाएगा वहीं लाख कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि हर 3 साल पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के तरफ से निरीक्षण किया जाता है और निरीक्षण के आधार पर मान्यता दी जाती है लेकिन इस चक्कर में छात्रों के एकेडमिक पर असर पड़ता है बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया को विश्वविद्यालय का सत्र देखते हुए मान्यता का मानक को पूरी करवानी चाहिए, सैकडो ऐसे छात्र हैं जो अपने सत्र और एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार दाखिला नहीं हो पाता है
गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा हर बार मान्यता को लेकर बीच में छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाता है



बाईट--सुशांत मिश्रा
एसोसिएट, प्रोफेसर, पटना लॉ कॉलेज
बाईट-प्रोफेसर नागेंद्र कुमार झा
डीन,पटना विश्वविद्यालय
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