पटना: बिहार में पटना नगर निगम ने पूर्व में संपत्ति कर वसूल करने वाली कंपनी स्पैरो पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए स्थानीय कोतवाली थाने में एफआईआर (FIR Against Sparrow Company in Case of Forgery) दर्ज कराया है. इस बात की जानकारी पटना नगर निगम के नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने दी. उन्होंने कहा कि नगर निगम के सॉफ्टवेयर पर कंपनी द्वारा छेड़छाड़ और धोखाधड़ी किया गया है, जिसके कारण निगम की आय प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि जब उनके जांच में यह पाया गया. उसके बाद कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द करके संपत्ति कर वसूलने का कार्य नगर निगम ने अपने हाथों में ले लिया है.
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फर्जीवाड़ा मामले में स्पैरो कंपनी पर प्राथमिकी: नगर आयुक्त अनिमेष पाराशर ने बताया कि स्पैरो कंपनी के खिलाफ संपत्ति कर से जुड़े मामले को लेकर कई शिकायतें आ रही थी, जिसके बाद उन्होंने जांच का निर्देश दिया और जांच में कई चीजें सामने आई. जांच में यह पता चला कि सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन में टाइमर कोड लगाकर छेड़छाड़ करने के कारण आमजन और नगर निगम के कर्मी पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं. नगर निगम की जो कुछ भी संपत्ति है, वह उनका डाटा है. जो प्रतिदिन लोगों से मिलता है और यह डाटा निगम को कंपनी बीते 2 वर्षों से नहीं उपलब्ध करा पा रही थी.
सभी मामलों की जांच जारी- आयुक्त: कई बार दबाव डाला गया और जब कंपनी ने डाटा प्रोवाइड किया तो उसमें मालवेयर डाल दिया. जिससे कि कई डाटा में छेड़छाड़ हुए. कंपनी के रवैया से नगर निगम को राजस्व की हानि हो रही थी. इसके साथ ही यह भी पाया गया कि 103 प्रॉपर्टी का डुप्लीकेट डाटा पीआईडी भी तैयार किया गया है, जिससे पटना नगर निगम को करोड़ों की हानि हुई है. नगर आयुक्त ने कहा कि डुप्लीकेट पीआरडी होने के वजह से नगर निगम को काफी रेवेन्यू लॉस हुआ है. इसके साथ ही कंपनी ने सारा डाटा को प्राइवेट सर्वर पर रखा था और उसकी भी जानकारी प्राप्त की जा रही है. इसके अलावा उन लोगों के पास यह भी जानकारी है कि कंपनी ने हजारों की संख्या में डुप्लीकेट पीआरडी तैयार किया है और इन सभी मामलों की जांच चल रही है.
"फिलहाल रेवेन्यू कलेक्शन का काम नगर निगम अपने हाथों में लिए हुए हैं और अब आगे आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से रिवेन्यू कलेक्शन होगा या फिर नगर निगम ही करेगा, यह स्टैंडिंग कमेटी का निर्णय होगा. पटना नगर निगम के स्टाफ रिवेन्यू कलेक्शन करने में सक्षम है लेकिन यदि आउटसोर्सिंग एजेंसी को स्टैंडिंग कमिटी अगर देती है तो उसके पहले कॉन्ट्रैक्ट निकलेगा और जो भी कॉन्ट्रैक्ट फुलफिल करेगा उसे इसका जिम्मा मिलेगा"- अनिमेष पाराशर, पटना नगर आयुक्त