पटना: सोमवार को गांधी मैदान में चल रहे पटना पुस्तक मेला का अंतिम दिन रहा. इस दौरान वाणी प्रकाशन के स्टॉल से 'पटना खोया हुआ शहर' पुस्तक सबसे ज्यादा बिकी. इसके लेखक पत्रकार अरुण सिंह हैं. वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर बैठे राहुल कुमार ने बताया कि उनके स्टॉल से 'पटना खोया हुआ शहर' सबसे अधिक बिका है. इसके अलावे सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में कुली लाइंस, मुनव्वर राना की पुस्तक मां और तस्लीमा नसलिम की लज्जा इस बार खूब बिकी है.
विदेशों तक पहुंची पटना की शोहरत
पटना खोया हुआ शहर पुस्तक के लेखक ने बताया कि इस पुस्तक में पटना का इतिहास है. विशेष रूप से 15 वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक का इतिहास है. उन्होंने बताया कि यह वह वक्त था. जब पटना की शोहरत विदेशों तक पहुंच गई थी. इसके व्यापारिक संबंध एशिया, यूरोप और अफ्रीका के देशों के साथ थे. अरुण सिंह ने बताया कि 15 वीं सदी के समय पटना में बहुत सारे हथकरघा उद्योग थे और यहां अफीम काफी मात्रा में पैदा होती थी. विदेशों में खासकर ब्रिटेन में इसकी काफी मांग थी. मुगलों के समय से ही पटना में अफीम की पैदावार होने लगी थी. उस समय बिहार में सूती का उद्योग काफी फल-फूल रहा था और यहां के सूती कपड़े विदेशों तक जाते थे.
पटना के इतिहास पर लिखी गई किताब
अरुण सिंह ने पुस्तक में कहानी का जिक्र करते हुए बताया कि ब्रिटेन के लोग चाय के बहुत शौकीन थे और चीन में बहुत चाय होता था. चाइना ब्रिटेन से चाय के बदले में चांदी के सिक्के लेता था. उन्होंने कहा कि पटना के इतिहास पर आज तक उन्होंने जो शोध किया है, उस पर उन्होंने इस पुस्तक को लिखा है. अभी भी पटना के कई ऐसे अछूते पहलू हैं, जिन पर पुस्तक लिखी जा सकती हैं.