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नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने का फैसला HC ने पलटा, 5000 का लगाया जुर्माना - पटना हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग पर 5000 का जुर्माना लगाया

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित (Naubatpur Nagar Panchayat president including three councilors relieved) करने के फैसले को खारिज कर दिया है. साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है. पढ़ें पूरी खबर...

नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित
नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित
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Published : May 10, 2022, 9:14 AM IST

पटना: राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने खारिज कर दिया है. साथ ही न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों पार्षदों को योग्य ठहराया और नियमों की अनदेखी करने के कारण निर्वाचन आयोग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने रद्द किया निचली अदालत के फांसी का फैसला, नए सिरे से रेप केस की सुनवाई के आदेश

दरअसल, पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत, नौबतपुर के अध्यक्ष सरयुग मोची (वार्ड-14) के अलावा वार्ड-2 के पार्षद विजय पासवान तथा वार्ड-6 के वार्ड पार्षद पूनम देवी को वर्ष 2008 के बाद तीन से अधिक संतान होने के अरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था. आयोग के इस फैसले के विरुद्ध तीनों वार्ड पार्षदों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों पार्षदों को योग्य ठहराया और नियमों की अनदेखी करने के कारण निर्वाचन आयोग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

नौबतपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष समेत तीन पार्षद पदमुक्त: गौरतलब है कि वार्ड नं 11 की पार्षद एवं पूर्व नगर अध्यक्ष कौशल कौशिक की पत्नी उषा कौशिक ने अध्यक्ष सरयुग मोची,पार्षद विजय पासवान एवं पूनम देवी के खिलाफ चुनाव में नामांकन के दौरान दो से अधिक संतान होने संबंधी साक्ष्य को छुपाने का आरोप करते हुए निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत वाद संख्या 12/20 दायर की थी. उषा कौशिक द्वारा निर्वाचन आयोग को दिय गये शिकायत मे यह कहा गया था कि तीनों पार्षदों द्वारा चुनाव के समय अपने संतान के संबंध मे गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ा गया था. तीनों पार्षदों के तीसरे संतान का जन्म 4 अप्रैल 2008 के बाद हुआ है.

धारा 18 का उल्लंघन: नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 का उल्लंघन है. अधिनियम के मुताबिक, तीसरे संतान का जन्म 4/4/2008 के बाद नहीं होना चाहिए अन्यथा वे अयोग्य माने जायेंगे. उषा कौशिक की ओर से अधिवक्ता एस. बी.के मंगलम और प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता विश्व विभूति सिंह द्वारा दलील दी गई. दोनों पक्ष की दलील सुनने और जिला पंचायती राज पदाधिकारी द्वारा इस संबंध में जांचोपरांत राज्य निर्वाचन को उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों के अवलोकन के पश्चयात अंतत सचिव राज्य निर्वाचन आयोग ने अपना आदेश पारित करते हुये तीनों को पदमुक्त कर दिया था.

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पटना: राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने खारिज कर दिया है. साथ ही न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों पार्षदों को योग्य ठहराया और नियमों की अनदेखी करने के कारण निर्वाचन आयोग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने रद्द किया निचली अदालत के फांसी का फैसला, नए सिरे से रेप केस की सुनवाई के आदेश

दरअसल, पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत, नौबतपुर के अध्यक्ष सरयुग मोची (वार्ड-14) के अलावा वार्ड-2 के पार्षद विजय पासवान तथा वार्ड-6 के वार्ड पार्षद पूनम देवी को वर्ष 2008 के बाद तीन से अधिक संतान होने के अरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था. आयोग के इस फैसले के विरुद्ध तीनों वार्ड पार्षदों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों पार्षदों को योग्य ठहराया और नियमों की अनदेखी करने के कारण निर्वाचन आयोग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

नौबतपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष समेत तीन पार्षद पदमुक्त: गौरतलब है कि वार्ड नं 11 की पार्षद एवं पूर्व नगर अध्यक्ष कौशल कौशिक की पत्नी उषा कौशिक ने अध्यक्ष सरयुग मोची,पार्षद विजय पासवान एवं पूनम देवी के खिलाफ चुनाव में नामांकन के दौरान दो से अधिक संतान होने संबंधी साक्ष्य को छुपाने का आरोप करते हुए निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत वाद संख्या 12/20 दायर की थी. उषा कौशिक द्वारा निर्वाचन आयोग को दिय गये शिकायत मे यह कहा गया था कि तीनों पार्षदों द्वारा चुनाव के समय अपने संतान के संबंध मे गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ा गया था. तीनों पार्षदों के तीसरे संतान का जन्म 4 अप्रैल 2008 के बाद हुआ है.

धारा 18 का उल्लंघन: नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 का उल्लंघन है. अधिनियम के मुताबिक, तीसरे संतान का जन्म 4/4/2008 के बाद नहीं होना चाहिए अन्यथा वे अयोग्य माने जायेंगे. उषा कौशिक की ओर से अधिवक्ता एस. बी.के मंगलम और प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता विश्व विभूति सिंह द्वारा दलील दी गई. दोनों पक्ष की दलील सुनने और जिला पंचायती राज पदाधिकारी द्वारा इस संबंध में जांचोपरांत राज्य निर्वाचन को उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों के अवलोकन के पश्चयात अंतत सचिव राज्य निर्वाचन आयोग ने अपना आदेश पारित करते हुये तीनों को पदमुक्त कर दिया था.

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