पटना: पटना हाईकोर्ट ने सबौर की 11 वर्षीय बालिका से रेप और हत्या के अभियुक्त मुन्ना पांडेय को बरी कर दिया. जस्टिस आशुतोष कुमार व जस्टिस आलोक कुमार पाण्डेय की खंडपीठ ने मुन्ना पाण्डेय को इस आधार पर बरी करने का आदेश दिया कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे इस मामले को साबित नहीं किया. साथ ही केस रिकार्ड से ये स्पष्ट था कि मुन्ना पाण्डेय को इस मामले में गलत ढंग से फंसाया गया था.
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क्या है मामलाः मामला वर्ष 2015 में सबौर थाना में दर्ज किया गया था. 2 फरवरी, 2017 को अपर सत्र न्यायाधीश भागलपुर की अदालत ने मुन्ना पांडेय को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. 10 अप्रैल, 2018 को पटना हाईकोर्ट ने डेथ रेफरेंस संख्या- 4/2017 और क्रिमिनल अपील ( खंडपीठ) संख्या- 358/2017 में सत्र न्यायालय के निर्णय को सही पाया और मृत्यु दंड को बरकरार रखा था.
गवाही के दौरान फंसायाः क्रिमिनल अपील संख्या- 1271/2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसरण किया गया कि सम्बन्धित सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट मूक दर्शक बने रहे. इस केस से सम्बन्धित सभी प्रासांगिक जानकारी प्राप्त नहीं की, जो कि मुन्ना पाण्डेय की बेगुनाही को दर्शाता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों द्वारा कोर्ट में अपना स्पष्ट रूप से बयान बदल लिया गया. मुन्ना पांडेय को पहली बार गवाही के दौरान फंसाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दिया था निर्देशः सुप्रीम कोर्ट ने इस केस सम्बन्ध में पटना हाईकोर्ट को केस से संबंधित सभी प्रासांगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वापस भेज दिया. साथ ही धारा 367 दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 तथा कानून के तहत अपना फैसला सुनाने के लिए निर्देशित किया था. अपीलकर्ता के अधिवक्ता अंशुल ने तर्क दिया कि पुलिस द्वारा की गई जांच में गंभीर खामियां थी. 9 वर्षों तक गलत तरीके से कैद में रहने के बाद मुन्ना पांडे रिहा हो जाएंगे.