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Post Matric Scholarship Scheme: पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, 6 सप्ताह में सरकार से मांगी गयी रिपोर्ट

पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम का लाभ बिहार के छात्रों को नहीं मिल रहा है. इसका आरोप लगाते हुए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जमा करने को कहा है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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Published : Jan 20, 2023, 10:59 PM IST

पटना : पटना हाई कोर्ट ने (Patna High Court) अनुसूचित जाति के छात्रों को केंद्र सरकार की 'पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम' का लाभ नहीं दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थसारथी की खंडपीठ ने राजीव कुमार और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च, 2023 को होगी.

ये भी पढ़ें - बिहार में High Court जज के सेक्रेटरी से साइबर फ्रॉड, उड़ाए 1.38 लाख


6 हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश : कोर्ट ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के सचिव सहित राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और एससी एवं एसटी कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को 6 हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं के वकील विकास पंकज का कहना था कि राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से छात्रवृत्ति को शिक्षा ऋण से बराबर मिलान कर केंद्र सरकार के इस कल्याणकारी स्कीम का लाभ बिहार के अनुसूचित जाति के छात्रों को देने से रोका है. कोर्ट ने इन आरोपों पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का कहा.

क्या है याचिकाकर्ता का आरोप : याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जब राज्य सरकार के समक्ष पिछले साल जून में उसने एक प्रतिवेदन देकर आग्रह किया कि सुबे के अनुसूचित जाति के छात्रों को फ्रीशिप कार्ड मुहैया कराया जाए, तो राज्य सरकार की तरफ से इसे ना मंजूरी देते हुए यह कहा गया कि 2016 से ही राज्य सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू किए हुए हैं. इसके तहत बिना किसी अड़चन के शिक्षा ऋण मुहैया होता है. जिसे छात्र बाद में नौकरी लगने पर वापस अदायगी करते हैं.

क्या है स्कीम : याचिकाकर्ता का आरोप है कि केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप योजना, जिसके तहत अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने हेतु एक "फ्रीशिप कार्ड" दिया जाता है. इसके अंतर्गत लाभुक विद्यार्थी को बिना दाखिले फीस, ट्यूशन फीस हॉस्टल चार्ज बगैर ही 5 वर्षों तक पढ़ाई करने का अवसर मिलता है. कार्डधारी के बैंक अकाउंट में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर मोड के तहत केंद्र सरकार से स्कॉलरशिप राशि डाल दी जाती है. जिसे सम्बन्धित कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी के अकाउंट से भी जोड़ा जाता है. इस प्रकार दाखिला, ट्यूशन, हॉस्टल वगैरह के चार्ज जमा हो जाता है.


पटना : पटना हाई कोर्ट ने (Patna High Court) अनुसूचित जाति के छात्रों को केंद्र सरकार की 'पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम' का लाभ नहीं दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थसारथी की खंडपीठ ने राजीव कुमार और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च, 2023 को होगी.

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6 हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश : कोर्ट ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के सचिव सहित राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और एससी एवं एसटी कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को 6 हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं के वकील विकास पंकज का कहना था कि राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से छात्रवृत्ति को शिक्षा ऋण से बराबर मिलान कर केंद्र सरकार के इस कल्याणकारी स्कीम का लाभ बिहार के अनुसूचित जाति के छात्रों को देने से रोका है. कोर्ट ने इन आरोपों पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का कहा.

क्या है याचिकाकर्ता का आरोप : याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जब राज्य सरकार के समक्ष पिछले साल जून में उसने एक प्रतिवेदन देकर आग्रह किया कि सुबे के अनुसूचित जाति के छात्रों को फ्रीशिप कार्ड मुहैया कराया जाए, तो राज्य सरकार की तरफ से इसे ना मंजूरी देते हुए यह कहा गया कि 2016 से ही राज्य सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू किए हुए हैं. इसके तहत बिना किसी अड़चन के शिक्षा ऋण मुहैया होता है. जिसे छात्र बाद में नौकरी लगने पर वापस अदायगी करते हैं.

क्या है स्कीम : याचिकाकर्ता का आरोप है कि केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप योजना, जिसके तहत अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने हेतु एक "फ्रीशिप कार्ड" दिया जाता है. इसके अंतर्गत लाभुक विद्यार्थी को बिना दाखिले फीस, ट्यूशन फीस हॉस्टल चार्ज बगैर ही 5 वर्षों तक पढ़ाई करने का अवसर मिलता है. कार्डधारी के बैंक अकाउंट में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर मोड के तहत केंद्र सरकार से स्कॉलरशिप राशि डाल दी जाती है. जिसे सम्बन्धित कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी के अकाउंट से भी जोड़ा जाता है. इस प्रकार दाखिला, ट्यूशन, हॉस्टल वगैरह के चार्ज जमा हो जाता है.


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