पटना: राजधानी समेत राज्य में कोरोना के बढ़ते संकट के बीच स्वास्थ्य सेवा और अस्पतालों की लचर व्यवस्था को पटना हाइकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. दिनेश कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कोरोना संकट से निपटने, कोरोना मरीजों की जांच और इलाज की व्यवस्था का पूरा ब्यौरा मांगा है.
साथ ही हाइकोर्ट ने जिलास्तरीय कोविड अस्पतालों की जानकारी और वहां कार्यरत डॉक्टरों, नर्स, मेडिकल कर्मियों की भी डिटेल जानकारी देने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट को बताया गया कि राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लेकिन जांच और इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं है. पटना में भी एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच जैसे बड़े अस्पतालों में बड़ी बदइंतजामी है. जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
तैयारियों और इंतजामों की मांगी जानकारी
कोर्ट ने राज्य सरकार को अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडर, वेंटिलेटर और अन्य कोरोना इलाज की सुविधा का ब्यौरा देने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि आईसीएमआर की ओर से जो रैपिड एंटीजन किट दिए गए हैं, उनका भी पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है. कोरोना मरीजों की जांच औऱ इलाज की पूरी व्यवस्था नहीं हो सकी है.
मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त को
वहीं, पटना हाइकोर्ट ने विधि की छात्रा शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि कोविड मेडिकल वेस्ट को सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाए. मामले पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता शिवानी कौशिक ने ये जनहित याचिका कोरोना महामारी के खिलाफ संघर्षरत कोरोना वारियर्स को वित्तीय प्रोत्साहन और उन्हें दिए गए सुरक्षा व्यवस्था के लिए दायर की थी. इसमें डॉक्टर, नर्स, मेडिकलकर्मी, पुलिस और सफाईकर्मी आदि शामिल थे. मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी.