पटना: पटना हाईकोर्ट ने प्रारंभिक राजकीयकृत स्कूलों के हेड मास्टरों की (Appointment of head masters of schools) नियुक्ति एवं अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने वाली नई नियमावली को निष्प्रभावी करार दिया है. उसे नियमावली प्रारूप माना है. जस्टिस पी वी वैजंत्री (Justice P V Vaijanthri) की खंडपीठ ने अब्दुल बाकी अंसारी की रिट याचिका (hearing of writ petition) की सुनवाई की. शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 18 अगस्त, 2021 को जारी की गयी बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर उसकी (नियुक्ति, स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को प्रारूप के तौर प्रकाशित करें.
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सरकार को सलाह मशविरा करना चाहिए था: कोर्ट ने कहा कि ऐसी नियमावली एक बड़े और व्यापक पैमाने के शिक्षक और उनके वर्ग को प्रभावित करेगी. इस तरह के नियम को जारी करने से पहले या उसे कानूनी जामा पहनाने से पहले सरकार को खुले आम लोगों के बीच में उनसे सलाह मशविरा करना चाहिए था. याचिकाकर्तागण उर्दू टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और 2021 में जारी की गई. इस नियमावली में अनुभव की न्यूनतम 8 वर्ष की अवधि को मनमाना पूर्ण कहते हुए इस हेड मास्टर नियुक्ति नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती दिया था.
ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया: हाई कोर्ट ने 18 अगस्त, 2021 को जारी इस नियमावली को बेअसर करार देते हुए इसे ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया है. कानून बनने से पहले कानून का मसविदा जो तैयार होता है. वही दर्जा अब इस नियमावली को तत्काल 2 महीने तक रहेगा. इस दौरान राज्य के 10 हजार से भी अधिक प्रारंभिक स्कूलों जो राजकीयकृत होने के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर चल रहे हैं. वहां के हेड मास्टर नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा.
कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था : कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गई उक्त नियमावली को कानून का दर्जा देने से पहले क्या इसके प्रारूप को प्रकाशित कर सार्वजनिक सलाह आमंत्रित किया गया था या नहीं?. राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं पूरी की गयी थी.