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Patna High Court : समाचार पत्र गर्भाशय घोटाले की सूचना प्रकाशित करे, ताकि पीड़ितों को मुआवजा मिल सके

बिहार में गर्भाशय घोटाला मामले पर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. कोर्ट ने समाचारपत्रों से इसको लेकर सूचना प्रकाशित करने का निर्देश दिया है. बता दें कि वेटरन फोरम ने PIL दायर किया था. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 8, 2023, 4:00 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले मामले पर सुनवाई करते हुए समाचारपत्रों में इस आशय की सूचना प्रकाशित करने का निर्देश दिया, ताकि पीड़ित महिलाएं अपनी क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए शिकायत कर सकें. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

ये भी पढ़ें - Bihar Uterus Removal Scam: 27 हजार महिलाओं की निकाल ली गई थी कोख, 2012 में हुआ था खुलासा, पटना HC ने दिया ये अहम निर्देश

बिहार में गर्भाशय घोटाला : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के 38 जिलों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे की 46,000 महिलाओं का गर्भाशय अवैध रूप से हटा दिया गया, लेकिन राज्य सरकार ने इनमें से 26 हजार गर्भाशय हटाने की अब तक जांच नहीं की है. उन्होंने बताया कि राज्य के मात्र 8 जिलों में ही जांच की गयी है, उन जिलों में भी सभी को क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिल पायी है.

पीड़ितों को क्षतिपूर्ति करने का निर्देश : दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को क्षतिपूर्ति की रकम दो लाख रुपये दी जानी थी. जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सवा लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दी जानी है. बिहार मानवाधिकार आयोग का इस सम्बन्ध में स्पष्ट आदेश दिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित महिलाओं को दिये गये क्षतिपूर्ति का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ितों की सूची और क्षतिपूर्ति देने की जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.

वेटरन फोरम ने दायर किया था PIL : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था. 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए.

चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा था कि राज्य सरकार ने इस बात को अब तक रिकॉर्ड पर नहीं लाया कि कितनी पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति की धनराशि दे दी गई है और कितनों को देनी बाकी है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस डी यादव ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले मामले पर सुनवाई करते हुए समाचारपत्रों में इस आशय की सूचना प्रकाशित करने का निर्देश दिया, ताकि पीड़ित महिलाएं अपनी क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए शिकायत कर सकें. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

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बिहार में गर्भाशय घोटाला : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के 38 जिलों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे की 46,000 महिलाओं का गर्भाशय अवैध रूप से हटा दिया गया, लेकिन राज्य सरकार ने इनमें से 26 हजार गर्भाशय हटाने की अब तक जांच नहीं की है. उन्होंने बताया कि राज्य के मात्र 8 जिलों में ही जांच की गयी है, उन जिलों में भी सभी को क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिल पायी है.

पीड़ितों को क्षतिपूर्ति करने का निर्देश : दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को क्षतिपूर्ति की रकम दो लाख रुपये दी जानी थी. जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सवा लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दी जानी है. बिहार मानवाधिकार आयोग का इस सम्बन्ध में स्पष्ट आदेश दिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित महिलाओं को दिये गये क्षतिपूर्ति का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ितों की सूची और क्षतिपूर्ति देने की जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.

वेटरन फोरम ने दायर किया था PIL : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था. 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए.

चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा था कि राज्य सरकार ने इस बात को अब तक रिकॉर्ड पर नहीं लाया कि कितनी पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति की धनराशि दे दी गई है और कितनों को देनी बाकी है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस डी यादव ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी.

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