पटना : पटना हाईकोर्ट ने एचआईवी मरीजों के लिये ओआई (ऑपोर्ट्यूनिस्टिक इन्फेक्शन) दवाओं की उपलब्धता के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी (BSACS) को तीन सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने वीरांगना सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास कुमार पंकज ने कोर्ट को बताया कि एचआईवी मरीजों के लिये राज्य के ART सेंटरों में दवा उपलब्ध नहीं रहती है.
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राज्य के एआरटी सेंटरों में दवा उपलब्ध नहीं: याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास कुमार पंकज ने कोर्ट को बताया कि एचआईवी मरीजों के लिये राज्य के एआरटी सेंटरों में दवा उपलब्ध नहीं होने से मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा है. जबकि इन दवाओं को उपलब्ध कराना राज्य सरकार का कर्तव्य है. दवा नहीं होने के कारण एचआईवी मरीजों को भटकना पड़ती है. उससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
तीन सप्ताह बाद होगी सुनवाई: एचआईवी मरीजों के लिए दवा उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस पर खंडपीठ ने एआरटी सेंटर पर दवाओं की उपलब्धता, एचआईवी रोगियों के निबंधन और उनके इलाज से संबंध में जानकारी मांगी है. इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.
वेंटीलेटर, एमआरआई मशीन उपलब्ध नहीं होने के मामले पर सुनवाई: वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों समेत जिला अस्पतालों में वेंटीलेटर, एमआरआई मशीन, सिटी स्कैन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने रणजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया राज्य के बहुत सारे प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों के अपने भवन नहीं है.