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'पैरेंटस की संपत्ति पर कब्जा करने वाला बेटा नहीं होगा बेदखल, लेकिन देना पड़ेगा किराया' : HC

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 7, 2024, 10:42 PM IST

forcible possession: पटना हाईकोर्ट ने माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि जबरन कब्जा करने वाले बेटे को बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिस संपत्ति पर कब्जा किया है, इसके बदले उसे किराया देना पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर.

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटनाः बिहार के पटना हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. शनिवार को सुनवाई करते हुए कहा कि माता-पिता की संपत्ति के बेटा को बेदखल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने वाले बेटे को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून के अनुसार बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन जबरन कब्जे के तहत उस संपत्ति का मासिक किराया व मासिक भरण-पोषण देने के लिए उत्तरदायी है.

ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कियाः चीफ जस्टिस के वी चंद्रन व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने रविशंकर की अपील याचिका को निष्पादित करते हुए ये निर्णय सुनाया. शनिवार को हाईकोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत बेदखली के लिए पहले से पारित ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर करते हुए मामले को जिला मजिस्ट्रेट पटना के समक्ष भेज दिया.

डीएम को जांच का आदेश दिया थाः डीएम को बेटे के कब्जे वाले तीन कमरों के उचित किराए के निर्धारण पर जांच करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने पीड़ित माता-पिता को संबंधित संपत्ति से कब्जेदारों की बेदखली सुनिश्चित करने के लिए सक्षम कोर्ट से संपर्क करने की छूट दी.

बेटे ने गेस्ट हाउस पर किया कब्जाः शिकायतकर्ता आरपी रॉय ने दावा किया था कि वह एक गेस्ट हाउस के मालिक हैं, लेकिन उनके सबसे छोटे बेटे रवि ने उनके गेस्ट हाउस के तीन कमरों पर जबरन कब्जा कर लिया है. इसी मामलें कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये निर्णय दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह नियम के विरुद्ध होगा अगर बेटे को बेदखल किया जाता है तो. हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिस संपत्ति पर कब्जा किया गया है. उसका किराया बेटे को देना पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः पटना हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, ATS ने की सघन जांच, नहीं मिली संदिग्ध वस्तु

पटनाः बिहार के पटना हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. शनिवार को सुनवाई करते हुए कहा कि माता-पिता की संपत्ति के बेटा को बेदखल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने वाले बेटे को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून के अनुसार बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन जबरन कब्जे के तहत उस संपत्ति का मासिक किराया व मासिक भरण-पोषण देने के लिए उत्तरदायी है.

ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कियाः चीफ जस्टिस के वी चंद्रन व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने रविशंकर की अपील याचिका को निष्पादित करते हुए ये निर्णय सुनाया. शनिवार को हाईकोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत बेदखली के लिए पहले से पारित ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर करते हुए मामले को जिला मजिस्ट्रेट पटना के समक्ष भेज दिया.

डीएम को जांच का आदेश दिया थाः डीएम को बेटे के कब्जे वाले तीन कमरों के उचित किराए के निर्धारण पर जांच करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने पीड़ित माता-पिता को संबंधित संपत्ति से कब्जेदारों की बेदखली सुनिश्चित करने के लिए सक्षम कोर्ट से संपर्क करने की छूट दी.

बेटे ने गेस्ट हाउस पर किया कब्जाः शिकायतकर्ता आरपी रॉय ने दावा किया था कि वह एक गेस्ट हाउस के मालिक हैं, लेकिन उनके सबसे छोटे बेटे रवि ने उनके गेस्ट हाउस के तीन कमरों पर जबरन कब्जा कर लिया है. इसी मामलें कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये निर्णय दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह नियम के विरुद्ध होगा अगर बेटे को बेदखल किया जाता है तो. हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिस संपत्ति पर कब्जा किया गया है. उसका किराया बेटे को देना पड़ेगा.

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