पटना : बिहार की पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामले पर सुनवाई की. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए निगरानी विभाग को जांच करने के लिए तीन माह की और मोहलत दी. बिहार सरकार व निगरानी विभाग ने हलफनामा दायर किया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 75 हज़ार ऐसे शिक्षक हैं, जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है.
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समय सीमा निर्धारित करने का निर्देश: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें, जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपनी डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं इसके साथ ही वे वेतन उठा रहे हैं.
पुराना है मामला: इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी. 26अगस्त,2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं.
विजिलेंस डिपार्टमेंट कर रहा जांच: कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग की जांच के लिए सौंपा था. उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया. 31जनवरी 2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है, लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है.
7 अगस्त को अगली सुनवाई: साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए. कोर्ट ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया. कोर्ट ने सम्बंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त 2023 को की जाएगी.