पटनाः पटना हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध काम करने पर धार्मिक न्यास परिषद और अध्यक्ष पर 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया गया है. मंगलवार को पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव राय ने अभय सिंह की रिट याचिका सुनवाई करते हुए इस मामले में फैसला सुनाया. यह मामला पूर्वी चंपारण के ढाका अंचल स्थित राम जानकी मंदिर से जुड़ा हुआ है. याचिकाकर्ता एवं उसके परिवार की निजी ठाकुरबाड़ी को जबरन धार्मिक न्यास घोषित कर दिया गया था.
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ठाकुरबाड़ी धार्मिक न्यास घोषित करने का मामलाः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रंजन कुमार दुबे ने कोर्ट को बताया पहले भी बोर्ड ने उनके वकील के परिवार को नोटिस देकर उनके ठाकुरबाड़ी को जबरन धार्मिक न्यास घोषित करने का प्रयास किया गया था. इसके विरुद्ध अभय सिंह ने पूर्वी चंपारण के सिकरनाहा स्थित सब-जज की अदालत में परिषद व उनके अफसरों के खिलाफ एक टाइटल सूट दायर किया था. इस टाइटल सूट में 2016 में ही निचली अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके परिवार के पक्ष में फैसला देते हुए यह तय किया कि उक्त मंदिर परिवार का एक निजी मंदिर है.
मंदिर पर परिषद का अधिकार नहींः उस वक्त फैसला में बताया गया था कि यह एक सार्वजनिक मंदिर नहीं है. धार्मिक न्यास और बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का उस मन्दिर कोई अधिकार नहीं पड़ता है. 2016 के उस फैसले के खिलाफ परिषद की तरफ से कोई अपील नहीं की गयी. याचिकाकर्ता ने परिषद के समक्ष उपस्थित होकर सीकरनहा के सब जज न्यायालय से पारित 2016 में इस टाइटल सूट के फैसले की कॉपी को दर्शाया.
10 हजार रुपए का हर्जानाः परिषद अध्यक्ष ने अदालत के फैसले की कॉपी को रखते हुए अपने कार्यालय को आदेश दिया कि इस फैसले के खिलाफ टाइटल अपील दायर करें. साथ ही आनन-फानन में इस मंदिर को सार्वजनिक धार्मिक न्यास घोषित करते हुए कुछ स्थानीय लोगों को न्यासी भी बना दिया गया. इसी मामले में मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने परिषद व उनके अध्यक्ष के इस पूरी रवैया पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने परिषद के अध्यक्ष की कार्यशैली की निंदा करते 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.