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पटना हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार पर जताई नाराजगी

पटना हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों के अस्पतालों के हालात का ब्यौरा देने के लिए कहा है. इस पर अब अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी. पढ़िये पूरी खबर..

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Dec 16, 2021, 2:36 PM IST

पटना: कोरोना महामारी के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा पर सख्त नाराजगी जताई है. शिवानी कौशिक और अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को जिले के सरकारी अस्पतालों के हालात का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें:सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट से पटना हाईकोर्ट नाराज, EOU को केस दर्ज कर कार्रवाई का आदेश

राज्य सरकार ने गुरुवार को जो जिले के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी. कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ शुक्रवार को इस मामले पर साढ़े ग्यारह बजे सुबह वर्चुअल मोड पर सुनवाई करेगी. कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी जिले के सिविल सर्जनों को ऑनलाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर सावधानी बरतने की जरूरत है. कोरोना का खतरा अभी भी बरकरार है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था. कोर्ट ने विशेष तौर पर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था.

लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया. उसमें विरोधाभास और जानकारियां सही नहीं थी. एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन और एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था. अब इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें:पटना हाईकोर्ट ने BSRTC प्रशासक प्रमुख को लगाई फटकार, 17 साल बाद भी बेटे को नहीं मिल पाई अनुकंपा नौकरी

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पटना: कोरोना महामारी के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा पर सख्त नाराजगी जताई है. शिवानी कौशिक और अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को जिले के सरकारी अस्पतालों के हालात का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.

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राज्य सरकार ने गुरुवार को जो जिले के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी. कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ शुक्रवार को इस मामले पर साढ़े ग्यारह बजे सुबह वर्चुअल मोड पर सुनवाई करेगी. कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी जिले के सिविल सर्जनों को ऑनलाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है.

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर सावधानी बरतने की जरूरत है. कोरोना का खतरा अभी भी बरकरार है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था. कोर्ट ने विशेष तौर पर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था.

लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया. उसमें विरोधाभास और जानकारियां सही नहीं थी. एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन और एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था. अब इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी.

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