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Patna High Court: नगर निगम के आयुक्त के खिलाफ अवमानना का केस, रोक के बाद भी तोड़ दिया था अखबार का दफ्तर - पटना न्यूज

पटना में नगर निगम ने पटना हाईकोर्ट के रोक के बाद भी एक समाचार पत्र के दफ्तर को नगर निगम ने तोड़ दिया था. इस मामले में आज पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. पढ़ें, पूरी खबर.

Patna High Court
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Published : Aug 13, 2023, 8:50 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 7:04 AM IST

पटनाः पटना हाई कोर्ट के द्वारा रोक लगाये जाने के आदेश के बावजूद एक अखबार के दफ्तर को तोड़े जाने के मामले में चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने नगर निगम के आयुक्त से कई सवाल किये. उनके जबाब को अपने आदेश में दर्ज करने के साथ साथ उनके खिलाफ अवमानना का मामला शुरू किया गया. इस केस में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे.

इसे भी पढ़ेंः Patna High Court : पटना में निर्मित नये बस स्टैंड के सड़क और नाले की हालत दयनीय, सरकार से मांगा गया जवाब

समाचार पत्र के दफ्तर की जमीन का विवादः गौरतलब है कि एक समाचार पत्र के दफ्तर की जमीन को लेकर विवाद है. जब निगम ने इसे तोड़ने के लिए निर्देश दिया, तब आवेदक ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर उसे चुनौती दी. सिंगल बेंच ने दायर याचिका को खारिज करते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इस आदेश के विरुद्ध अपील दायर कर चुनौती दी गई. जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने गत 2 फरवरी को विवादित जमीन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया. साथ ही 10 हजार रुपये के जुर्माने की राशि देने पर रोक लगा दी.

चीफ जस्टिस ने आदेश सुरक्षित रखाः 11अगस्त,2023 को चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व जब निगम की ओर से कार्रवाई कर अखबार के दफ्तर को तोड़ दिया गया तो कार्रवाई की जानकारी रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से चीफ जस्टिस को दी गई. उन्हें सारे तथ्यों से अवगत कराया गया. आज रविवार को कोर्ट ने सुनवाई इस मामले पर सुनवाई करते हुए नगरपालिका अधिकारियों सहित किसी को भी विवादित परिसर में प्रवेश नहीं करने की जिम्मेदारी कोतवाली थानेदार को सौंप दी.


एलपीए खारिज होने की दी थी सूचनाः सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम आयुक्त व कोतवाली थानेदार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था. आयुक्त ने अपने बचाव में कहा कि हाई कोर्ट में पटना नगर निगम का पक्ष रखने वाले वकील ने उन्हें सूचित किया कि आवेदक का एलपीए खारिज हो गया है. जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या सभी केसों में इसी तरह से कार्रवाई की जाती है, तो उन्होंने कहा कि नहीं सभी केसों में इस तरह से कार्रवाई नहीं की जाती. इस मामले में आगे की सुनवाई जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ करेगी.

पटनाः पटना हाई कोर्ट के द्वारा रोक लगाये जाने के आदेश के बावजूद एक अखबार के दफ्तर को तोड़े जाने के मामले में चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने नगर निगम के आयुक्त से कई सवाल किये. उनके जबाब को अपने आदेश में दर्ज करने के साथ साथ उनके खिलाफ अवमानना का मामला शुरू किया गया. इस केस में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे.

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समाचार पत्र के दफ्तर की जमीन का विवादः गौरतलब है कि एक समाचार पत्र के दफ्तर की जमीन को लेकर विवाद है. जब निगम ने इसे तोड़ने के लिए निर्देश दिया, तब आवेदक ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर उसे चुनौती दी. सिंगल बेंच ने दायर याचिका को खारिज करते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इस आदेश के विरुद्ध अपील दायर कर चुनौती दी गई. जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने गत 2 फरवरी को विवादित जमीन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया. साथ ही 10 हजार रुपये के जुर्माने की राशि देने पर रोक लगा दी.

चीफ जस्टिस ने आदेश सुरक्षित रखाः 11अगस्त,2023 को चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व जब निगम की ओर से कार्रवाई कर अखबार के दफ्तर को तोड़ दिया गया तो कार्रवाई की जानकारी रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से चीफ जस्टिस को दी गई. उन्हें सारे तथ्यों से अवगत कराया गया. आज रविवार को कोर्ट ने सुनवाई इस मामले पर सुनवाई करते हुए नगरपालिका अधिकारियों सहित किसी को भी विवादित परिसर में प्रवेश नहीं करने की जिम्मेदारी कोतवाली थानेदार को सौंप दी.


एलपीए खारिज होने की दी थी सूचनाः सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम आयुक्त व कोतवाली थानेदार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था. आयुक्त ने अपने बचाव में कहा कि हाई कोर्ट में पटना नगर निगम का पक्ष रखने वाले वकील ने उन्हें सूचित किया कि आवेदक का एलपीए खारिज हो गया है. जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या सभी केसों में इसी तरह से कार्रवाई की जाती है, तो उन्होंने कहा कि नहीं सभी केसों में इस तरह से कार्रवाई नहीं की जाती. इस मामले में आगे की सुनवाई जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ करेगी.

Last Updated : Aug 14, 2023, 7:04 AM IST
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