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Patna High Court ने सरकार से पूछा- जूनियर पद पर क्यों हुई सीनियर डॉक्टरों की तैनाती - Medical Colleges of Bihar

मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर कार्यरत डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थापित करने के मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Aug 4, 2021, 5:59 PM IST

पटना: बिहार के मेडिकल कॉलेजों में कई वर्षों से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर कार्यरत डॉक्टरों को विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में जूनियर पद (असिस्टेंट प्रोफेसर) पर पदस्थापित करने के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बुधवार को सुनवाई की. डॉक्टर राकेश रंजन और अन्य की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस सीएस सिंह ने सुनवाई की.

यह भी पढ़ें- बड़ा फैसला : मेडिकल कॉलेज में ओबीसी को 27 % और सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को 10 % आरक्षण

अधिवक्ता शशि भूषण कुमार ने याचिकाकर्ता का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए बताया कि इन डॉक्टरों की तैनाती बहुत ही जूनियर पद पर कर दी गई है. इससे पूर्व कोर्ट ने जब राज्य सरकार से पूरा ब्यौरा मांगा था तो जानकारी दी गई थी कि पूरे राज्य में प्रोफेसर के स्वीकृत पद 428 हैं. 91 पोस्ट पर नियमित रूप से नियुक्ति की गई है. 317 पद खाली हैं. एसोसिएट प्रोफेसर के 1039 पद स्वीकृत हैं. इनमें से मात्र 257 पदों पर नियमित शिक्षक कार्य कर रहे हैं. बाकी 782 पद रिक्त हैं.

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि खाली पदों को भरने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है? कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि जब याचिकाकर्ताओं द्वारा उच्च पदों पर सेवा दी गई है तो उनकी पोस्टिंग जूनियर पद पर क्यों हुई? कोर्ट ने कहा कि नियम यह स्पष्ट कहता है कि जो बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहे हैं, उन्हें वेटेज दिया जाएगा.

कोर्ट को जानकारी दी गई कि अदालती आदेश है कि स्थायी आधार पर शिक्षकों के पदों को भरा जाए. सरकार द्वारा एक कॉन्ट्रैक्ट शिक्षक को हटाकर दूसरा कॉन्ट्रैक्ट नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए 17 अगस्त तक का समय दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.

यह भी पढ़ें- Nalanda Crime: नालंदा में 5 लोगों की गोली मारकर हत्या

पटना: बिहार के मेडिकल कॉलेजों में कई वर्षों से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर कार्यरत डॉक्टरों को विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में जूनियर पद (असिस्टेंट प्रोफेसर) पर पदस्थापित करने के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बुधवार को सुनवाई की. डॉक्टर राकेश रंजन और अन्य की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस सीएस सिंह ने सुनवाई की.

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अधिवक्ता शशि भूषण कुमार ने याचिकाकर्ता का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए बताया कि इन डॉक्टरों की तैनाती बहुत ही जूनियर पद पर कर दी गई है. इससे पूर्व कोर्ट ने जब राज्य सरकार से पूरा ब्यौरा मांगा था तो जानकारी दी गई थी कि पूरे राज्य में प्रोफेसर के स्वीकृत पद 428 हैं. 91 पोस्ट पर नियमित रूप से नियुक्ति की गई है. 317 पद खाली हैं. एसोसिएट प्रोफेसर के 1039 पद स्वीकृत हैं. इनमें से मात्र 257 पदों पर नियमित शिक्षक कार्य कर रहे हैं. बाकी 782 पद रिक्त हैं.

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि खाली पदों को भरने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है? कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि जब याचिकाकर्ताओं द्वारा उच्च पदों पर सेवा दी गई है तो उनकी पोस्टिंग जूनियर पद पर क्यों हुई? कोर्ट ने कहा कि नियम यह स्पष्ट कहता है कि जो बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहे हैं, उन्हें वेटेज दिया जाएगा.

कोर्ट को जानकारी दी गई कि अदालती आदेश है कि स्थायी आधार पर शिक्षकों के पदों को भरा जाए. सरकार द्वारा एक कॉन्ट्रैक्ट शिक्षक को हटाकर दूसरा कॉन्ट्रैक्ट नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए 17 अगस्त तक का समय दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.

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