पटनाः हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए की जा रही कार्रवाई का पूरा ब्योरा 8 दिसंबर तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है. दिनेश कुमार सिंह की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार में कोरोना का नहीं होना मात्र मिथ है.
'कोरोना की 40 फीसदी रिपोर्ट सही नहीं'
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन स्वयं का न होकर पीपीपी मोड पर है. इस कारण मरीजों को पैसे खर्च कर टेस्ट कराने होते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरोना टेस्ट में लगभग 40 फीसदी में रिपोर्ट सही नहीं होते हैं.
'जांच में हो रही है कमी'
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री के पास जो कोरोना के आरटीपीसीआर मशीन की जो रिपोर्ट गई है, उसमें बिहार 15 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे है. राज्य में इन मशीनों की काफी कमी है और साथ ही टेस्ट भी काफी कम संख्या में हो रहे हैं.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 60 वर्ष के अधिक आयु के लोगों के कोरोना जांच के मामले में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई 8 दिसंबर को की जाएगी.